वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश करेंगी। इसमें व्यक्तिगत करदाताओं को कई राहतें मिलने की उम्मीद की जा रही है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट महत्वपूर्ण है, जिसे 2014 से नहीं बदला गया है। इसी तरह स्लैब्स में बदलाव भी हो सकता है, जिसमें लंबे समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

80सी की छूट 3 लाख रुपये होनी चाहिए 
बैंकबाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि 2014 में आयकर अधिनियम के तहत 80सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और बढ़ती आय को देखते हुए इसे 1.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। 80सी में इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस और अन्य खर्च पर टैक्स में छूट दी जाती है। इसे सिर्फ निवेश तक सीमित रखा जाए तो लोगों को निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। कोविड महामारी ने कई परिवारों को आर्थिक बोझ में डाला है। हेल्थ इंश्योरेंस की लिमिट बढ़ाकर कोविड के लिए एक बार की छूट दी जानी चाहिए। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी।  

टैक्स स्लैब में बदलाव होना आवश्यक
आम लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में मदद करने वाले क्लियर (क्लियरटैक्स) के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि आयकर को लेकर नई और पुरानी व्यवस्था आम लोगों को कन्फ्यूज कर रही है। सरकार को सबसे उच्च टैक्स स्लैब को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करना चाहिए। नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए उसमें छूट देना आवश्यक हो गया है।

बीमा पर जीएसटी कम करेंगे तो कवरेज बढ़ेगा
पॉलिसीएक्स के सीईओ नवल गोयल का कहना है कि टर्म इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए आयकर में प्रीमियम पर छूट अलग से मिलनी चाहिए। इसके साथ ही जीएसटी को टर्म इंश्योरेंस से हटाया जाना चाहिेए। स्वास्थ्य बीमा पर कर छूट की सीमा को 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की जाए तो ज्यादा से ज्यादा लोग स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आएंगे। कैनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इश्योरेंस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर तरुण रस्तोगी का कहना है कि एक लाख रुपये तक की बीमा प्रीमियम को 80सी के तहत आयकर में छूट मिलना चाहिए।
जीएसटी का सरलीकरण आवश्यक
टैक्सजीनी के सीईओ राकेश दुबे ने कहा कि इस बजट में हम और ज्यादातर एमएसएमई जीएसटी सरलीकरण की उम्मीद कर रहे हैं। साथ ही टीडीएस में कमी और कम्प्लायंस में राहत चाहते हैं। कोविड ने एमएसएमई को कैश फ्लो चुनौतियों की वजह से कम्प्लायंस में डिफॉल्टर बना दिया है। टीमलीज सर्विसेस के वाइस प्रेजिडेंट और बिजनेस हेड अजॉय थॉमस ने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स में कमी से सभी सेक्टरों में विकास की राह खुलेगी।
डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बढ़ा है तो राहत भी चाहिए
डीवीएस एडवायजर्स के सीनियर पार्टनर सुंदर राजन टीके ने कहा कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। इसे देखते हुए बजट में व्यक्तिगत वित्त के मामले में कर राहत बढ़ सकती है। वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80सी के तहत छूट की सीमा में बढ़ोतरी जैसे कदमों की उम्मीद की जा सकती है। वहीं, टाटा कैपिटल के वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख सौरव बसु ने कहा कि करदाताओं को राहत देने के लिए सरकार ELSS कैटेगरी में राहत देने पर विचार कर सकती है।