फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


दोस्तों, मेरा मानना है कि सफलता का रास्ता चुनौतियों और तात्कालिक असफलताओं से होकर जाता है। लेकिन अक्सर लोग इस बात पर विश्वास नहीं कर पाते हैं और किसी ना  किसी वजह से हार मानकर बैठ जाते हैं। ऐसा ही कुछ काउन्सलिंग के लिए आए एक मध्यम वर्गीय युवा के साथ हुआ ।

शिक्षा पूर्ण करने के बाद इस युवा ने अपने किसी परिचित के साथ मिलकर एक व्यवसाय प्रारम्भ किया। शुरुआती दौर में तो सब कुछ ठीक चलता रहा। लेकिन 2020 में कोविद के दौरान बाज़ार की अनिश्चितताओं ने इनके व्यवसाय पर  विपरीत प्रभाव डाला और दोनों अलग-अलग हो गए। इस वजह से उस युवा को ना सिर्फ़ बहुत सारा आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ा बल्कि इसने उस युवा की सोच को भी प्रभावित किया। अब वह खुद की क्षमताओं पर भी यक़ीन नहीं कर पाता था और उसे हर पल लगता था कि अब वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाएगा। मैंने उसे बचपन में सुनी एक प्रेरक कहानी सुनाने का निर्णय लिया जो इस प्रकार थी-

बरसात का मौसम नज़दीक आता देखकर एक चिड़िया ने अपने घोंसले में ज़रूरत के अनुसार अन्न एकत्रित करने का निर्णय लिया। अब वह रोज़ सुबह बड़ी मेहनत से दूर खेत तक जाकर चोंच में अन्न का एक दाना लेकर आती थी और उसे पेड़ की  शाख़ पर बने अपने घोंसले में रख देती थी। एक दिन चिड़िया की चोंच से अन्न का दाना गिरकर पेड़ की शाख़ में फंस गया। चिड़िया ने तुरंत पेड़ से दाने को वापस लौटाने का अनुरोध किया। लेकिन पेड़ ने चिड़िया के विनम्र अनुरोध को ठुकरा दिया। काफ़ी देर तक प्रयास करने के बाद चिड़िया बढ़ई के पास गई और उससे पेड़ को काटकर दाने को वापस दिलवाने का अनुरोध करने लगी।

भला बढ़ई एक दाने के लिए कहाँ पेड़ काटने के लिए राज़ी होता, उसने बड़े प्यार के साथ चिड़िया के अनुरोध को स्वीकारने से मना कर दिया। चिड़िया को बढ़ई की बात का बुरा लगा पर वह उसे  कुछ कह नहीं पायी और ग़ुस्से से राजा के पास पहुँच गई और बोली, ‘राजा जी - राजा जी, तुम उस बढ़ई को बुला कर सजा दो क्यूँकि वह उस पेड़ को नहीं काट रहा जो मेरा दाना नहीं लौटा रहा।’ राजा को चिड़िया की बात सही नहीं लगी और उसने डाँटकर चिड़िया को भगा दिया।

चिड़िया भी कहाँ हार मानने वाली थी, वह तुरंत महावत के पास गई और बोली, ‘महावत भैया, जब राजा हाथी पर बैठे तब तुम उसे हाथी से गिरा देना क्यूंकि वह उस बढ़ई को सजा नहीं दे रहा जो उस पेड़ को काटने को राज़ी नहीं है जिसने मेरा दाना ले लिया है।’ महावत को चिड़िया थोड़ी सनकी लगी उसने भी उसे डांटकर भगा दिया।

ग़ुस्से से भरी चिड़िया अब हाथी के पास गई और उसे पूरा क़िस्सा सुनाते हुए बोली, 'हाथी भाई - हाथी भाई'  अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे ज़मीन पर गिरा देना। हाथी ने अपने प्यारे मालिक को पीठ से गिराने से साफ़ इनकार कर दिया और चिड़िया को भगा दिया।

ग़ुस्से से आकंठ भरी चिड़िया चींटी के पास गई और उससे बोली, चींटी रानी तुम हाथी की सूंड़ में घुस जाओ। चींटी ने चिड़िया को  डाँटते हुए बोला, ‘चल भाग यहाँ से,  बड़ी आई !!मुझे हाथी की सूंढ में घुसने का आदेश देने वाली।’ अब तक अनुरोध की मुद्रा में विनम्रता से अपनी बात कहने वाली चिड़िया ने रौद्र रूप अपना लिया और अपने तेवर बदलते हुए बोली, ‘चींटी मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन ले, भले ही मैं स्वयं पेड़, बढ़ई, राजा, महावत और हाथी को सजा ना दे पाऊँ, पर तुझे तो अपनी चोंच से मसलने की शक्ति  रखती हूँ, तुझे खा भी सकती हूँ। ज़रा एक बार और सोचकर सही निर्णय लो।’

चिड़िया की बात सुनकर चींटी डर गई और भागकर हाथी के पास पहुँची और उसे पूरी बात कह सुनाई। चींटी की बात सुनकर हाथी डर गया और भागकर महावत के पास पहुँचा और महावत को सारी बात कह सुनाई। अब महावत राजा के सामने पहुंचा और राजा ने बढ़ई को बुलाकर सारी बात समझाते हुए पेड़ काटने का आदेश दे डाला। अंत में बढ़ई अपनी कुल्हाड़ी ले पेड़ के पास पहुँच गया। चिड़िया के साथ बढ़ई को देखते ही पेड़ डर गया और हाथ जोड़कर विनती करते हुए बोला, ‘कृपया मुझे मत काटो,  मैं तुरंत  चिड़िया का दाना लौटा रहा हूँ।’ बढ़ई ने पेड़ से दाना लेकर चिड़िया को दे दिया और लौट गया।

कहानी पूरी होते ही मैंने उस युवा से कहा, ‘जीवन में कुछ नकारात्मक घटनाओं से हार मानकर बैठना कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं होता। अगर तुम ख़ुश रहकर अपना जीवन जीना चाहते हो तो तुम्हें चिड़िया की तरह ही समस्या को हल करने के तरीके  खोजने होंगे, जो तुम्हारी क्षमताओं के अनुरूप हो। याद रखना उसके लिए तुम्हें अपनी कमियों को नहीं बल्कि अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा अर्थात् तुम क्या-क्या नहीं कर सकते हो, के स्थान पर उस चीज़ को पहचानने का प्रयास करो जो तुमसे अच्छा कोई और नहीं कर सकता। 

वैसे साथियों जीवन में हर स्थिति में आगे बढ़ने के लिए सर्वोत्तम तरीक़ा है, बिना घबराए अपनी विशेष योग्यता या क्षमता पर विश्वास रखते हुए हिम्मत, लगन और पक्के इरादे के साथ समस्या का हल खोजने में भिड़ जाना। यक़ीन कीजिएगा, अंत में जीत आपकी ही होगी क्यूँकि हर ताक़त से ताकतवर हैं आप।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com