कोण्डागांव :  भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के साथ ही पशुपालन की एक अलग योगदान है। आज जब खेती-किसानी के लिए कृषि जोत भूमि में कमी और लागत में वृद्धि के मद्देनजर पशुपालन करना लाभप्रद व्यवसाय बन चुका है। विशेषकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन को किसानों के साथ ही ग्रामीण अतिरिक्त आमदनी के लिए अपना रहे हैं। इस पशुपालन व्यवसाय को सुदृढ़ करने के लिए भारत सरकार द्वारा पशु सखी की अवधारणा को प्रारंभ किया गया है। बस्तर अंचल में जहां कृषि कार्य सहित वनोपज संग्रहण और पशुपालन जैसी गतिविधियों में महिलाओं की व्यापक सहभागिता है, जो घर-परिवार की जिम्मेदारी के साथ इन आर्थिक गतिविधियों में महत्ती भूमिका अदा करती हैं।  ऐसी स्थिति में यहां पर पशुपालन को बढ़ावा देने में पशु सखियों का अहम योगदान है। कोण्डागांव जिले में वर्तमान में कुल 230 पशु सखियां अपने इस कार्य को पूरी तरह समर्पित होकर कर रही हैं। जिससे जिले के किसानों, पशुपालकों और ग्रामीणों को पशुपालन के लिए सहूलियत हो रही है। इस बारे में बनियागांव निवासी पशुपालक कोसम साहू एवं कृष्णा राठौर बताते हैं कि पशु सखियों के द्वारा पशुपालन के बारे में विस्तारपूर्वक अवगत कराने के साथ ही पशुओं के उपचार, चारा उत्पादन के लिए समझाईश देने के फलस्वरूप वे इसे बेहतर ढंग से कर रहे हैं। इस गांव की पशु सखी सरस्वती साहू कहती हैं कि वे किसानों और पशुपालकों को पशुओं के उपचार, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, चारा उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर पशुओं के उपचार, टीकाकरण, नस्ल सुधार में व्यापक सहयोग दे रही हैं। वहीं शासन की योजनाओं से लाभान्वित होने के लिए प्रेरित करती हैं। यहीं नही टीकाकरण और किसान क्रेडिट कार्ड प्रदाय के लिए बेहतर कार्य करने हेतु उसे विभाग द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। सरस्वती साहू ने कहा कि यह सब बिहान से जुड़ने और कार्य को समर्पित ढंग से करने के फलस्वरूप संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ. शिशिरकांत पाण्डे सहित विभागीय अमले एवं आजीविका मिशन द्वारा पशु सखियों को प्रशिक्षण के साथ ही निरन्तर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

ग्रामीणों को पशुपालन के लिए
जिले में सेवारत् इन सभी पशु सखियों को प्राथमिक पशु चिकित्सा, टीकाकरण, वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन, कृत्रिम गर्भाधान चारा उत्पादन एवं चारागाह विकास, पशुधन की देखभाल एवं प्रबंधन, नस्ल संवर्धन, शासन की योजनाओं के तहत् हितग्राही चयन संबंधी गहन प्रशिक्षण पशुपालन विभाग के द्वारा दी गयी है। वहीं उक्त पशु सखियों को बेहतर और परिणाममूलक कार्य करने के लिए निरंतर प्रेरित किया जा रहा है। यही वजह है कि जिले के दूरस्थ ईलाकों में पशुपालन गतिविधियों को बढ़ावा मिला है और आय संवृद्धि से ग्रामीण प्रफुल्लित हैं। वहीं पालतू मवेशियों के उपचार एवं टीकाकरण, नस्ल सुधार का विस्तार हुआ है। जिले में पशु सखियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के तहत् अब तक करीब 152 ग्राम पंचायतों के 166 ग्रामों में 32462 गाय, 7656 भैंस, 8450 बकरे-बकरियों, 56366 कुक्कुटों एवं 2125 सूकरों सहित कुल एक लाख 7 हजार 59 पालतू पशुओं एवं कुक्कुटों का टीकाकरण किया गया है। इसके साथ ही इन पशु सखियों के द्वारा राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना से प्शुपालन करने सहित दुग्ध उत्पादन के लिए किसानों एवं पशुपालकों को प्रोत्साहित कर लाभान्वित किया जा रहा है। वहीं बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना, बकरी एवं सूकरपालन योजना जैसी विभागीय योजनाओं से लाभान्वित करने हेतु अहम योगदान निभा रही हैं। कृषि के आनुशांगिक पशुपालन गतिविधि को अपनाने के लिए किसानों एवं ग्रामीणों को किसान क्रेडिट प्रदाय करने हेतु समन्वित प्रयास कर रही हैं। जिससे पशु सखियां जिले में पशुपालन के जरिये आय संवृद्धि के लिए आधार बनाने सहित क्रांतिकारी बदलाव लाने हेतु पशुपालन दूत साबित होंगी।