फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों अक्सर लोग कहते हैं, ‘देख लेना एक दिन मैं ज़रूर सफल होऊँगा!’ और मैं ऐसे लोगों से मन ही मन कहता हूँ, ‘सिर्फ़ सोचने से वह दिन कभी नहीं आएगा!’  मेरे ऐसा सोचने की मुख्य वजह उनकी जेनेरिक सोच है। अर्थात् सफलता अगर सिर्फ़ एक विचार या एक इच्छा है तो उसका हक़ीक़त में तब्दील होना सिर्फ़ ईश्वरीय इच्छा से ही सम्भव है। मेरा मानना है कि सफलता अचानक से लग जाने वाली लॉटरी नहीं है। अगर आप वाक़ई सफल होने की कामना रखते हैं तो आपको उसके लिए योजना बनानी होगी या एकदम साधारण भाषा में कहूँ तो हमें रोज़ पहले से तय लक्ष्य के लिए, सही दिशा में, सही तरीक़े से प्रयास करना होगा।

अगर आप वाक़ई सफल होना चाहते हैं तो आईए आज सबसे पहले अपनी सफलता की परिभाषा तय कर उसके अनुसार लक्ष्य बनाते हैं, उसे पाने की तारीख़ तय करते हैं और खुद से एक वादा करते है कि यह लक्ष्य मेरा है और इसे पूरा करना सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी ज़िम्मेदारी है। खुद से वादा करने के पश्चात, स्वयं से दो प्रश्न करें, पहला, मैं किस तरह इसे सम्भव बना सकता हूँ? दूसरा, पहले प्रश्न के आधार पर लक्ष्य को पाने के लिए मुझे तार्किक आधार पर क्या-क्या कदम उठाने होंगे?

इन दोनों प्रश्नों के उत्तर लिख लें और लिखी हुई बातों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लें। उदाहरण के लिए मैंने उपरोक्त दोनों प्रश्नों को स्वयं से पूछा था और मिले जवाब को सफलता के सूत्र के रूप में अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था। आईए आज उन्हीं 5 सूत्रों को आपके साथ साझा करता हूँ-

पहला सूत्र - सुबह उठते ही पहला कार्य इरादा बनाएँ 
सुबह उठते ही ईश्वर को धन्यवाद करने के बाद मेरा पहला कार्य अपने लक्ष्यों को याद करना होता है। इसके लिए आप अपने पलंग के सामने दीवार पर अपने लक्ष्यों की सूची लगाकर रख सकते हैं, लक्ष्य याद करते ही उसे पाने के लिए आज दिन भर में किए जाने वाले कार्यों को याद कर लें और ठान लें आज किसी भी हाल में, कैसी भी परिस्थितियों के बीच आप इन्हें पूरा करके ही दम लेंगे।

दूसरा सूत्र - प्रार्थना करें, विज़ुअलाइज़ करें और खुद को सकारात्मक अफ़रमेशंस दें
अपने दैनिक कार्य जैसे ब्रश करना, नहाना इत्यादि पूर्ण करते वक्त आप प्रार्थना भी कर सकते हैं। यह प्रार्थना आपकी अपनी, अपने लक्ष्यों के लिए बनाई हुई होनी चाहिए। जैसे, ‘मैं (अपना नाम) खुद से यह वादा करता हूँ कि मैं आज और अभी से अपने विचारों को नियंत्रित करूँगा। मेरे जीवन में आने वाली समस्याओं, परेशानियों या चुनौतियों के लिए शिकायत करने के स्थान पर, आज से ईश्वरीय इच्छानुसार मुझे जो भी मिलेगा, उसके लिए मैं आभारी रहूँगा। ‘जो प्राप्त है, पर्याप्त है!’ की तर्ज़ पर जो उपलब्ध है उसी पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करूँगा। साथ ही, आज ही से मैं अपना शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर ध्यान रखूँगा और अपने लक्ष्यों का सम्मान करूँगा और उन्हें हर पल हक़ीक़त में बदलने के लिए, अपना सौ प्रतिशत देते हुए, प्रयास करूँगा।’

प्रार्थना के पश्चात, अपने सपनों के जीवन को विज़ुअलाइज़ करें, उससे मिलने वाली ख़ुशी को महसूस करें और फिर खुद को सकारात्मक अफ़रमेशंस दें। जैसे, आई केन, आई विल, आई मस्ट अर्थात् मैं कर सकता हूँ, मैं इसे करूँगा, मैं इसे ज़रूर करूँगा। मेरा अतीत मेरे वर्तमान को प्रभावित नहीं करता है, मैं सफल होने के लिए इस दुनिया में आया हूँ, मैं सफल हो रहा हूँ, मैं सफल हो गया हूँ, आदि।

तीसरा सूत्र - ‘फ़ेक इट, टिल आय मेक इट’, तकनीक काम में लाएँ 
सफल होने के पश्चात आपकी जीवनशैली कैसी होगी, आप किस तरह के कपड़े पहनेंगे, कैसे लोगों से मिलेंगे, किस तरह अपने परिवार के साथ समय बिताएँगे, अपने कार्यालय में किस तरह जाएँगे, वहाँ कैसे कार्य करेंगे आदि जैसे कार्यों में से किसी एक को चुनें और उस पूरे दिन, उस कार्य के लिए वैसा ही व्यवहार करें। ठीक इसी तरह रोज़ कम से कम एक कार्य चुनें और उसे आप भविष्य में सफल होने के बाद जिस तरह करते, वैसे करें। इसे तब तक दोहराते रहें जब तक आप सफल नहीं हो जाते।  

आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम सफलता के 5 सरल सूत्रों में से बचे अंतिम 2 सूत्र सीखेंगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com