फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आजकल मुझे यह देखकर बहुत ख़ुशी होती है कि आजकल सिर्फ़ सरकारी नौकरियों के पीछे भागने के स्थान पर युवा अपने जीवन की डोर अपने हाथ में रखने या अपनी क़िस्मत खुद लिखने को प्राथमिकता दे रहे हैं और इसी वजह से वे लोगों की समस्याओं का हल रचनात्मक तरीक़े से प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं। लोगों के इसी प्रयास को हम नए-नए स्टार्टअप के रूप में देख रहे हैं।

आईए आगे बढ़ने से पहले हम स्टार्टअप के अर्थ को साधारण बोलचाल की भाषा में समझ लेते हैं। जब भी कोई युवा व्यवसायिक रूप में, लोगों की समस्या का नए तरीक़े से रचनात्मक हल प्रस्तुत करता है, जो लोगों के जीवन को आसान और बेहतर बनाता है, उसे हम स्टार्टअप कहते हैं। अर्थात् पुरानी समस्याओं को नए तरीक़े से देखना और उसका आसान, तेज़ और सस्ता हल प्रस्तुत करना जो उनके जीवन को आसान और बेहतर बना सके। वैसे भी दोस्तों, कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस जिसे बाज़ार में बेचा जाता है, वह किसी ना किसी समस्या का समाधान ही होती है और यही प्रयास आजकल हमारे युवा कर रहे हैं।

साथियों युवाओं का यह प्रयास है तो बहुत बढ़िया, लेकिन इस प्रयास में एक बहुत बड़ा जोखिम भी है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स, इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस वैल्यूस एवं आईबीएम इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज की एक रिसर्च बताती है कि शुरू होने के प्रथम 5 वर्षों में 90% स्टार्टअप बंद हो जाते हैं अर्थात् हर 10 में से 9। अगर इसे और बारीकी से देखा जाए तो 20% पहले वर्ष, 30% दूसरे वर्ष और 40% तीसरे वर्ष। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यह जानना है साथियों कि बचे हुए 10% स्टार्टअप में से 70% स्टार्टअप 10 वर्ष भी पूरे नहीं कर पाते हैं। चलिए इसी आँकड़े को एक और नई नज़र से देखते हैं, दुनिया में प्रतिदिन 1,37,000 स्टार्टअप शुरू होते हैं और 1,23,000 स्टार्टअप बंद हो जाते हैं अर्थात् 5138 स्टार्टअप प्रति घंटे।

आख़िर क्या वजह है साथियों कि लोगों के जीवन को आसान और बेहतर बनाने वाले, उन्हें तेज़ गति से सर्विस देने वाले, सस्ते विचारों को बाज़ार नकार देता है या बाज़ार की स्वीकारोक्ति के बाद भी युवाओं के लिए उन स्टार्टअप को चलाना मुश्किल हो जाता है। मेरी नज़र में इसकी तीन मुख्य वजह है-

1) इन्वेस्टमेंट और पैसों को मैनेज ना कर पाना
सामान्यतः दोस्तों हमारे यहाँ बच्चों को पैसों से सम्बंधित कार्यों में 15-16 वर्ष की आयु तक ज़्यादा कुछ सिखाया नहीं जाता है और जब वे स्टार्टअप प्लान करते हैं तो यही बात उनके लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है। दूसरी बात दोस्तों, हमारे यहाँ स्टार्टअप के लिए फ़ंडिंग नहीं मिल पाती है इसलिए हमारे यहाँ स्टार्टअप मनी लेंडिंग अर्थात् ब्याज के पैसों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में पैसे से सम्बंधित ज्ञान की कमी होना उन्हें पैसों के ऐसे जाल में फँसा देता है जिससे उनके लिए बाहर निकल पाना आसान नहीं होता है। मेरा सुझाव है दोस्तों, फ़ंडिंग के लिए जाने में जल्दी करने के स्थान पर अपने अंदर और अपनी कम्पनी में वित्तीय अनुशासन लाए और उसे पहले छोटे सत्र पर मुनाफ़ा कमाने वाली कम्पनी बनाने का प्रयास करें।

2) ग्राहक के बदलते व्यवहार को ना पहचान पाना
अक्सर दोस्तों स्टार्टअप अपनी धारणाओं को ही ग्राहकों की ज़रूरत मान, योजना बनाकर काम करने लगती है और यही बात उनके लिए समस्या बन जाती है। दोस्तों अगर आप सफल व्यवसाय स्थापित करना चाहते हैं तो आपको अपने ग्राहकों के साथ समय बिताना होगा जिससे आप उनके व्यवहार, आवश्यकताओं, बदलती ज़रूरतों को पहचान सकेंगे।

3) नवाचार अर्थात् इन्नोवेशंस का अभाव 
दोस्तों, अक्सर मैंने भारतीय स्टार्टअप्स में नवाचार अर्थात् इन्नोवेशन की कमी देखी है। हमारे यहाँ हम लोगों की नई समस्या, उसका समाधान, अपने लिए नया बाज़ार तलाशने के स्थान पर सफल स्टार्टअप की कॉपी बनाने का प्रयास करते हैं। दोस्तों मेरा मानना है कि जब मूल विचार आपका नहीं होता है तब आपके लिए उस विचार के साथ सफल हो पाना मुश्किल हो जाता है और यह स्टार्टअप के विफल होने की एक बड़ी वजह है।
 
4) अनुभव एवं रिसर्च की कमी 
दोस्तों, हमारे यहाँ लम्बे समय तक सरकारी नौकरी को अच्छे कैरियर विकल्प के रूप में देखा जाता है। बल्कि यह कहना ज़्यादा बेहतर होगा कि बाक़ी सभी कैरियर को दोयम दर्जे का माना जाता है इसलिए ज़्यादातर लोग पढ़ाई के दौरान खुद को किसी नौकरी के लिए तैयार करने में ही व्यस्त रहते हैं। ऐसे में उन्हें शिक्षा के दौरान किसी भी तरह का व्यवसायिक अनुभव नहीं मिल पाता है। 

ठीक इसी तरह दोस्तों, सब कुछ पका हुआ मिलने की वजह से ज़्यादातर लोग स्टार्टअप शुरू करने के पहले रिसर्च में समय लगाने के स्थान पर पुराने तरीक़ों को ही आज़माना बेहतर मानते हैं लेकिन इसी वजह से वे भविष्य में आने वाली चुनौतियों को पहचानने से चूक जाते हैं और अक्सर अपने प्रतिद्वंदी से पीछे रह जाते हैं।

आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम स्टार्टअप के असफल हो जाने के अंतिम तीन कारण जानने का प्रयास करेंगे। 

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com