फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


अक्सर दोस्तों, ज़्यादातर लोग बिना किसी ठोस वजह के अपनी पुरानी धारणाओं या घटनाओं के आधार पर अपना मूड या अपना मन ख़राब कर बैठते हैं। कल हमने अपनी मनःस्थिति को बिगाड़ने वाली ऐसे ही कुछ स्थितियों को समझने और सुधार करने वाले 7 प्रमुख सूत्रों में से प्रथम 3 सूत्र सीखे थे, आईए आगे बढ़ने से पहले उन 3 सूत्रों को दोहरा लेते हैं-

पहला सूत्र - क्रोध अर्थात् ग़ुस्सा ना करें 
क्रोध या ग़ुस्सा सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको दर्द देता है, इससे दूर रहें। याद रखिएगा, अगर आप सहीं हैं तो नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं है और अगर आप ग़लत हैं तो आपको नाराज़ होने या ग़ुस्सा करने का कोई अधिकार नहीं है।

दूसरा सूत्र - धैर्य रखें 
परिस्थितियाँ कैसी भी क्यूँ ना हों, धैर्य रखना आपको और आपके जीवन को बेहतर बनाता है। अगर आप परिवार के साथ धैर्य रखते हैं तो परिवार में प्रेम उत्पन्न होता है। अगर आप समाज के साथ धैर्य पूर्वक व्यवहार करते है तो आप अपने अंदर दूसरों के लिए सम्मान का भाव पैदा करते हैं और अगर आप स्वयं के प्रति कठोर होने के स्थान पर धैर्य पूर्वक रहते हैं तो आप अपना आत्मविश्वास बढ़ाते है। इसी तरह प्रभु या ईश्वर के साथ धैर्य रखना हमारे विश्वास को मज़बूत करता है।

तीसरा सूत्र - शांत रहें 
परिस्थितियाँ कैसी भी हों उनमें स्वीकारोक्ति का भाव रखते हुए हर हाल में शांत रहना आपको विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में मोड़नें में मदद करता है। शांत रहने के लिए हमेशा याद रखें परिणाम या परिस्थिति आपके हाथ में नहीं है लेकिन उस पर आपकी प्रतिक्रिया, आपकी मनःस्थिति ही तय करेगी। शांति के साथ धैर्य रखना अक्सर आपके शत्रु से अनजाने में आपके पक्ष में कार्य करा लेता है।

चलिए दोस्तों, अब हम अगले 4 सूत्र सीखते हैं-

चौथा सूत्र - वर्तमान में जिएँ  
अक्सर लोग या तो अतीत में रहकर अपना जीवन नकारात्मक भावों के साथ रहते हैं या फिर भविष्य में रहते हुए तनाव पूर्ण जीवन जीते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, अतीत हमेशा कठिन या परेशानी भरा नज़र आता है क्यूँकि हम नकारात्मक बातों को ज़्यादा याद रखते हैं। अगर आप उसमें रहेंगे तो स्वयं को केवल दबाव में पायेंगे। ठीक इसी तरह भविष्य हमेशा अनिश्चित रहता है। इसके बारे में अधिक मत सोचो यह केवल भय और तनाव पैदा करेगा। इसके स्थान पर इस लम्हे को एक प्यारी मुस्कान के साथ, अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए जियें, यह हमेशा खुशियाँ लाता है।

पाँचवाँ सूत्र - समस्याओं को चुनौतियों के रूप में स्वीकारें 
किसी भी परिस्थिति को समस्या के रूप में देखना आपके मन में नकारात्मक भाव पैदा करता है जबकि उसे चुनौतियों के रूप में देखना आपके अंदर ऊर्जा पैदा करता है। हर समस्या हमें बनाने या तोड़ने के लिए आती है। चुनाव हमारा है कि हम पीड़ित बनेंगे या विजयी। अगर हर हाल में विजयी बनना चाहते हैं तो समस्या के विषय में दो ही बात याद रखें, जीवन की हर परीक्षा या चुनौतीपूर्ण समय या तो आपको मनमाफ़िक परिणाम देगा या फिर हमें जीवन का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाएगा, जो अंततः हमारे लिए लाभदायक रहेगा। 

छठा सूत्र - आँख या दिल से नहीं, दिमाग़ से निर्णय लें 
दोस्तों, निर्णय हमेशा तार्किक आधार पर लेना लाभदायक रहता है क्यूँकि आँखों से दिखने वाली खूबसूरत चीजें हमेशा अच्छी हों ऐसा ज़रूरी नहीं है। ठीक इसी तरह भावनाओं के आधार पर आगे बढ़ना भी नुक़सानदायक हो सकता है क्यूँकि भावनायें अक्सर आपको बहाकर ले जाती हैं और आप सही स्थिति का आकलन नहीं कर पाते हैं। इसके विपरीत निर्णय लेते समय अपने दिमाग़ का उपयोग करें और उस निर्णय पर कार्य करते समय अपने दिल की सुनें। ऐसा करना आपके कार्य को सुखद अंत प्रदान करेगा और याद रखिएगा खूबसूरत चीजें भले ही हमेशा अच्छी नहीं होती लेकिन अच्छे अंत वाले कार्य या अच्छी चीजें हमेशा खूबसूरत होती हैं।

सातवाँ सूत्र - खुश रहें 
दोस्तों, सोचकर देखिए ईश्वर ने हमारी उंगलियों के बीच गैप क्यों बनाया? शायद इसलिए कि आप उसकी सहायता से किसी और का हाथ पकड़कर उसकी उँगलियों का गैप भर दे और दोस्तों, ठीक इसका उल्टा भी हो सकता है कोई और आपका हाथ पकड़कर उन कमियों को भर दे, हमेशा के लिए। इसलिए हर हाल में खुश रहना सीखें, कमियों के बीच में भी। याद रखिएगा, खुशी आपको अच्छा एहसास देती हैं; लेकिन अच्छा होने से भी खुशी मिलती है।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com