फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, बच्चों को लिटिल सुपर स्टार सिद्ध करने के लिए उन्हें कुछ कविताएँ, गाने, डाँस, गिनती, बारहखड़ी आदि सिखा देना और लोगों के सामने उसका प्रदर्शन कराना क़तई सही नहीं है बल्कि समय से पूर्व उन्हें प्रतिभाशाली दिखाने के प्रयास में कोचिंग भेजना और विभिन्न खेल या आर्ट सिखाने का प्रयास करना, अक्सर नुक़सान ही पहुँचाता है। 

मेरा तो मानना है कि अगर आप बच्चे की निडरता, असीमित क्षमता और सीखने की स्वाभाविक ललक का फ़ायदा सही तरीके से उठाएँ अर्थात् उसे सही समय पर सही बातें सिखाएँ तो वह अपने आप ही लिटिल सुपर स्टार किड्स बन जाएगा। कल हमने बच्चों की क्षमताओं को पहचानने, उसे निखारने और जीवन को सही दिशा देने के लिए आवश्यक 9 कौशल में से प्रथम 4 कौशल पर चर्चा करी थी, चलिए आगे बढ़ने से पहले उन्हें दोहरा लेते हैं- 

पहला कौशल - स्व-प्रबंधन
हीन भावना और आत्मविश्वास की कमी से बचने के लिए ज़रूरी है खुद की क्षमताओं को पहचान कर, उस पर विश्वास करना। यह आपको अनावश्यक तुलना से भी बचाता है। दोस्तों इस लक्ष्य को स्व-प्रबंधन सिखाकर ही पाया जा सकता है। स्व-प्रबंधन से बच्चे अपने कार्यों, प्राथमिकताओं, ज़िम्मेदारियों को समझना और उसके अनुसार कार्य करना सीख जाते हैं अर्थात् स्व-प्रबंधन मतलब अपने लक्ष्यों के लिए अकेले खड़े होने, लक्ष्यों के अनुसार सोचने, उसे पाने की योजना बनाने और पूर्ण आत्मविश्वास के साथ उसे पाने के लिए कार्य करने की क्षमता को विकसित करना।

दूसरा कौशल - मन नियंत्रण
दोस्तों, स्व-प्रबंधन के साथ जब आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए कार्य करते हैं, तो जल्द ही आपको शुरुआती सफलताएँ मिलना शुरू हो जाती हैं और यही छोटी-मोटी शुरुआती सफलताएँ हमें भटका देती हैं। वैसे ऐसा ही कई बार शुरुआती असफलताओं के दौर में या दूसरों की सफलताओं को देखकर भी होता है। ऐसे में अपनी भावनाओं और मन पर नियंत्रण रखकर फ़ोकस्ड रहते हुए कार्य करना सफल बनाता है। इस आधार पर समझा जाए तो मन नियंत्रण करना अर्थात् मन में आ रहे विचारों के भँवर को नियंत्रित कर मन को एक कर, खुद को लक्ष्य प्राप्ति के लिए झोंकने की क्षमता विकसित करना ।

तीसरा कौशल - स्मार्ट स्टडी
21वीं सदी जिसमें लगभग हर क्षेत्र में बदलाव अपेक्षित हैं, में सीखना, वह भी बहुत कम समय और मेहनत के, आपके बच्चों को  विजेता या लिटिल सुपर स्टार किड्स बनने में मदद कर सकता है। कम समय और मेहनत में ज़्यादा सीखने के लिए हमें बच्चों को स्मार्ट स्टडी करना सिखाना होगा। इसके लिए बच्चों की स्मरण शक्ति, पढ़ने की गति बढ़ाने में मदद करें। साथ ही उसे जो पढ़ा है, उसे याद रखना सिखाएँ। स्मार्ट स्टडी सिखाने के पूर्व हमें उन्हें शिक्षा का महत्व को समझाते हुए बताना होगा कि पढ़ाई, सिर्फ़ अच्छे नम्बरों से परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए नहीं बल्कि ज्ञानार्जन करने, खुद को चुनौतियों और भविष्य के लिए तैयार करने के लिए है।

चौथा कौशल - तीव्र मानसिक अर्थात् शार्प मेंटल स्किल 
ध्यान केंद्रित करना, उद्देश्यों को समझना, किसी भी बात या कार्य के पीछे के कारणों को पहचानना, विभिन्न परिस्थितियों का विश्लेषण करना, मानसिक शक्तियों का उपयोग करना आदि को सिखाकर हम बच्चों को फ़ोकस्ड रहना सिखा सकते हैं, जो अंततः उनमें तीव्र मानसिक अर्थात् शार्प मेंटल स्किल डेवलप करेगी।

चलिए दोस्तों, अब हम बच्चों को लिटिल सुपर स्टार किड्स बनाने के अगले 3 सूत्र सीखते हैं।

पाँचवा कौशल - योग्यताएँ और कमज़ोरी पहचानने 
बच्चों को हर क्षेत्र में विशेषज्ञ बनाने का प्रयास करने से बेहतर है कि उसकी योग्यता, शौक़ अर्थात् जिन कार्यों को करने में बच्चे को मज़ा आता है, पहचानने का प्रयास करें। अर्थात् पता करें कि उसके पास कौन से कौशल हैं, वह किस चीज में सबसे ज्यादा दिलचस्पी रखता है, वह क्या पढ़ सकता है और किस विषय विशेष में अपनी प्रतिभा दिखा सकता है, पहचानने का प्रयास करें। ठीक इसी तरह उसकी कमजोरी भी पहचानें, इसके बाद पसंद के क्षेत्रों में उसे विशेषज्ञता हासिल करने में मदद करें और जिन विषयों में वह कमजोर है उसमें उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें। समय से ऐसा करना उसे जीवन जीने के लिए सही उद्देश्य या लाइन चुनने में मदद करेगा। 

छठा कौशल - व्यक्तित्व विकास
जीवन में विजेता बनने के लिए जितना आवश्यक तकनीकी कौशल का होना है, उतना ही आवश्यक आकर्षक व्यक्तित्व का होना है। आकर्षक व्यक्तित्व का अर्थ शारीरिक सुंदरता से नहीं बल्कि व्यक्तित्व विकास से है। हमें उसे सॉफ़्ट स्किल में महारत हासिल करने में मदद कराना होगी। जैसे दूसरों को प्रभावित करना, निर्णय लेना, बेहतर कम्यूनिकेशन करना, समय प्रबंधन करना, अपनी जरूरतों को पूरा करना, दूसरों के साथ बातचीत करना, दूसरों के साथ हमेशा दोस्ताना रहने की क्षमता का विकास करना आदि ।

सातवाँ कौशल - रचनात्मकता  
ए॰आई॰ के युग में पुराने तरीक़ों का आदि बना रहना आपको सफलता की दौड़ से बाहर कर देगा। इसके स्थान पर नई चीजों के बारे में जिज्ञासा रखना, नई रणनीतियों को बनाना और उसके अनुसार कार्य करना, समस्याओं का सरल समाधान खोजने की क्षमता होना, आपको विशेष बना सकता है। प्रतिस्पर्धात्मक जीवन में खुद को थोड़ा अलग, थोड़ा बेहतर बनाने के लिए यह क्षमता आवश्यक है।

आज के लिए इतना ही दोस्तों! कल हम बच्चों को लिटिल सुपर स्टार बनाने वाले अंतिम 2 कौशल सीखेंगे।  

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com