फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, मेरा मानना है, पैसे कमाने के साथ-साथ संतुष्टि के भाव के साथ जीवन में संतुलन बनाते हुए, ख़ुशी-ख़ुशी व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक जीवन में आगे बढ़ते जाना ही सफलता है। लेकिन बढ़ती उम्र और ज़िम्मेदारियों के साथ उत्पादकता बरकरार रखते हुए व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन में संतुलन बनाना आसान नहीं होता क्यूँकि कई बार आपके जीवन में यह बदलाव इतना जल्दी आता है कि हम खुद को उसके लिए तैयार ही नहीं कर पाते हैं। लोगों की बढ़ती अपेक्षाओं और भरोसे पर खरा उतरने की चाह में खुद पर दबाव बना लेते हैं और जीवन के संतुलन को बिगाड़ लेते हैं। 

आईए दोस्तों, आज हम अपनी उत्पादकता को प्रभावित करे बिना अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन में संतुलन बनाने के लिए आवश्यक 9 सूत्रों को सीखते हैं-

पहला सूत्र - प्राथमिकताएँ तय करें
प्राथमिकताएँ हमारे जीवन को दिशा देकर बेहतर बनाती है। इसके लिए सर्वप्रथम अपने कार्यों को व्यक्तिगत, पारिवारिक, कामकाजी, सामाजिक व अन्य में बाँटें और उसके बाद सभी कार्यों को प्राथमिकता व कार्य प्रकार के आधार पर निम्न 4 में से किसी एक सूची में डाल दें। पहली वरीयता और सूची, उन महत्वपूर्ण कार्यों की होगी जिन्हें तत्काल पूर्ण किया जाना आवश्यक है। दूसरी सूची और वरीयता उन कार्यों की होगी जो महत्वपूर्ण तो नहीं है लेकिन उन्हें तत्काल पूर्ण करना ज़रूरी है। इन कार्यों को डेलिगेट कर पूर्ण कराएँ और डेलिगेट करना सम्भव नहीं है तो उसे स्वयं पूर्ण करें। तीसरी सूची और वरीयता में वे कार्य आएँगे जो महत्वपूर्ण तो हैं, लेकिन उन्हें तत्काल पूर्ण करना आवश्यक नहीं है। अगर सम्भव हो तो इन्हें उसी दिन पूरा करने का प्रयास करें। अंतिम सूची और वरीयता उन कार्यों की होगी जो ना तो महत्वपूर्ण होंगे ना ही उन्हें तत्काल पूरा करना आवश्यक है, इन कार्यों को अपनी सूची से डिलीट करने या टालने या फिर अन्य किसी को आवंटित करने का प्रयास करें।

दूसरा सूत्र - विभिन्न प्राथमिकताओं के आधार पर कार्य को पूर्ण करने के लिए समय तय कर लें
प्राथमिकताएँ तय करने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है उन्हें समय सीमा में पूर्ण करना। इसके लिए आप सुबह 6 से 9 का समय व्यक्तिगत कार्यों, सुबह 9 से शाम 6 का समय कार्यालयीन कार्यों और शाम 6 से सुबह 6 का समय पारिवारिक, व्यक्तिगत और आराम करने के लिए तय कर सकते हैं। अब बस इस समय सीमा में तय कामों को प्राथमिकताओं के आधार पर पूर्ण करें।

तीसरा सूत्र - अपने वित्त अर्थात् फ़ायनेंस का प्रबंधन करें
दोस्तों अगर आप वित्तीय आधार पर डिस्टर्ब चल रहे हैं तो अच्छी से अच्छी कार्य योजना भी विफल हो सकती है। इसलिए सबसे पहले अपने वित्त का प्रबंधन करें।

चौथा सूत्र - प्राथमिकताओं या ज़िम्मेदारियों की खिचड़ी ना बनने दें 
दोस्तों काम-क़ाज़ी जीवन में चलता है वाला दृष्टिकोण बिलकुल भी नहीं चलता। समय सीमा को नज़रंदाज़ करना आपकी अन्य प्राथमिकताओं या कार्यों को डिस्टर्ब करता है और तनाव अथवा दबाव में लाकर आपकी शांति और ख़ुशी को खत्म कर देता है। इससे बचने के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि आप कब काम कर रहे हैं और कब नहीं। अन्यथा घर पर आपका समय कार्यालय के विस्तार की तरह लगने लगेगा। काम, घर और आराम के निर्धारित घंटे होने से जीवन के हर पहलू में आपकी खुशी और उत्पादकता बढ़ जाती है।

पाँचवाँ सूत्र -अपने आसपास मौजूद लोगों के शेड्यूल को ध्यान में रखें 
कई बार हम सिर्फ़ अपने शेड्यूल के अनुसार कार्य करते हैं जबकि हमें पता होता है कि बेहतर परिणाम के लिए हमें दूसरों के सहयोग की ज़रूरत पड़ेगी। ऐसी स्थिति में अक्सर हम अपने सहकर्मियों, दोस्तों और परिवार के शेड्यूल के साथ संघर्ष करते नज़र आते हैं। अगर आप बेहतर तालमेल के साथ अपनी ऊर्जा, समय, प्राथमिकताओं, शांति और ख़ुशी बरकरार रखना चाहते हैं तो कार्य योजना बनाने से पहले, अपने आस-पास मौजूद लोगों, जिन पर आप निर्भर है, का शेड्यूल और प्राथमिकताएँ जान लें। 

छठा सूत्र - सीखें
हर पल सीखना आपको ज़्यादा उत्पादक अर्थात् प्रोडक्टिव और बेहतर बनाता है। नई तकनीकें या ज्ञान आपको समय, ऊर्जा, वरीयताओं के प्रबंधन में बेहतर बनाकर व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन में संतुलन बनाने में मदद करता है।

सातवाँ सूत्र - स्वमूल्यांकन अर्थात् सेल्फ़-इवेल्यूशन करें
स्वमूल्यांकन हमें अपनी ऊर्जा, समय और संसाधनों का प्रयोग और प्रबंधन सही तरीक़े से करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए एक हफ़्ते पूर्व का मूल्यांकन कर आप जान सकते हैं कि आपका शेड्यूल फ़ालतू के कार्यों से आगे तो नहीं बढ़ रहा है या आप काम पर बहुत अधिक समय व्यतीत तो नहीं कर रहे हैं? अगर हाँ, तो देखें कि आप अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कहां कटौती कर सकते हैं? ऐसा करके आप अपने कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बना सकते हैं।

चलिए दोस्तों अब हम कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाने के अंतिम 2 सूत्र सीखते हैं-

आठवाँ सूत्र - शांत और खुश रहें (रिग्रेट ना रखें)
जब हम शांत और खुश रहते हुए व्यक्तिगत अर्थात् पर्सनल और कामकाजी अर्थात् प्रोफेशनल जीवन में उपरोक्त बातों को ध्यान में रख संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं तब सही और ग़लत का निर्णय करना आसान हो जाता है और आप बेहतर प्रबंधन के साथ संतुलन बना पाते हैं।

नवाँ सूत्र - स्वीकारोक्ति का भाव रखें 
कई बार हमारा व्यक्तिगत जीवन अच्छा नहीं चल रहा होता है ऐसे में यथास्थिति को स्वीकारते हुए अपने काम पर फ़ोकस करें, अपने सहकर्मियों को अपनी परेशानी महसूस ना होने दें अर्थात् घर की परेशानियों को ऑफ़िस से दूर रखें। ठीक इसी तरह कार्यालय के तनाव को कार्यालय तक सीमित रखें, उसे अपने साथ घर ना लाएँ। स्वीकारोक्ति का भाव रखते हुए खुद के लिए बाउंड्री बनाना आपको दोनों में संतुलन बनाने में मदद करेगा।

आशा करता हूँ दोस्तों, उपरोक्त 9 सूत्र आपके व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन के संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करके आपके जीवन को हसीन बनाएँगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com