नई दिल्ली । चीन को भारत का महत्व अब समझ आने लगा है ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान के लिए चीन के विशेष दूत यू शियाओओंग ने तालिबान के प्रभुत्व वाले देश में मौजूदा हालात के बारे में बात करने के लिए पहली बार इस सप्ताह भारत का दौरा किया। इसी साल मार्च में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की यात्रा के बाद ये दूसरे महत्वपूर्ण चीनी अधिकारी की दिल्ली यात्रा थी। जून 2020 में गलवान घाटी में हुए सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए थे।
एक खबर के मुताबिक आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यू का यह दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के बावजूद बीजिंग ने अब मान लिया है कि अफगानिस्तान में भारत भी एक महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर है। अपने दौरे में यू शियाओओंग ने विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के साथ बातचीत की। जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से जुड़े मामलों को संभालते हैं। ताइवान को लेकर अमेरिका के साथ चीन के नए सिरे से बढ़े तनाव के बीच यह यात्रा हुई है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी मार्च के अंत में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक बैठक के लिए भारत आए थे। यू ने भी अपने दौरे में कहा कि लद्दाख में सैन्य टकराव के बावजूद दोनों देशों के आपसी संबंध सामान्य बने रहेंगे। इस बैठक में भारत और चीन ने अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा, मानवीय मदद और खास तौर पर भारत के लिए आतंकवाद से जुड़े खतरे के मुद्दों पर चर्चा की। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि इस इलाके के देशों के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ाने के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जहां भारत का ध्यान जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे भारत केंद्रित आतंकी संगठनों की गतिविधियों को लेकर है, वहीं चीन का ध्यान ईटीआईएम पर ज्यादा है जो उसके अशांत शिनजियांग प्रांत में सक्रिय है।