फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


दोस्तों, अमेज़न, फ़्लिपकार्ट तथा
जोमैटो जैसे  स्टार्टअप की सफलताओं और सरकार की नीतियों को देख आजकल हर युवा स्टार्टअप को लेकर काफ़ी उत्साहित है। असीम सम्भावनाओं को देख वे अपने यूनिक आइडिया को एक स्टार्टअप का रूप देकर इसे ही अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। इसी वजह से दोस्तों हर वर्ष पूरी दुनिया में 50 मिलियन स्टार्टअप कम्पनी जन्म लेती हैं। लेकिन यह सिक्के का मात्र एक पहलू है। ऑक्सफ़ोर्ड बिज़नेस और आईबीएम इंस्टीटियूट ऑफ़ बिज़नेस की रिपोर्ट के अनुसार इन 50 मिलियन स्टार्टअप कम्पनियों में से पहले वर्ष 20%, दूसरे वर्ष 30% और अगले 2 वर्षों में 40% स्टार्टअप कम्पनियाँ बंद हो जाती हैं। इसका अर्थ यह  हुआ दोस्तों कि 90% स्टार्टअप कम्पनियाँ पहले 5 वर्षों में बंद हो जाती हैं और यदि आसान शब्दों में कहूँ तो 10 में से 9 स्टार्टअप कम्पनियाँ अपने शुरू होने के पहले 5 वर्षों में ही बंद हो जाती हैं। लेकिन दोस्तों, स्थिति इस स्तर तक आने की बाद भी सुधरती नहीं है, बची हुई 10 प्रतिशत कम्पनियों में से 70 प्रतिशत स्टार्टअप कम्पनियाँ 10 साल तक भी नहीं चल पाती हैं। 

इस आँकड़े को सीधे शब्दों में समझा जाए दोस्तों, तो एक साल  में 50 मिलियन स्टार्टअप कम्पनी अर्थात् प्रतिदिन 1,37,000 स्टार्टअप शुरू होते हैं और 1,23,300 स्टार्टअप प्रतिदिन बंद हो जाते हैं अर्थात् दोस्तों 5138 स्टार्टअप प्रतिदिन बंद हो जाते हैं। वैसे तो स्टार्टअप बंद होने के कई कारण हैं लेकिन भारतीय बाज़ार में स्टार्टअप बंद होने की मुख्य 5 वजह निम्न हैं-
1) मूल्यों की कमी - भारतीय स्टार्टअप में प्रायः मूल्य आधारित व्यापार करने के स्थान पर शॉर्टकट से जीतने की इच्छा देखी जाती है जो बाज़ार में उनकी छवि को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए किसी और की योजना पर खुद का व्यापार खड़ा करना आदि।
2) फ़ंडिंग एज लेंडिंग - भारतीय स्टार्टअप पैसा जुटाने के लिए फ़ंडिंग के स्थान पर लेंडिंग अर्थात् लोन पर निर्भर रहते हैं।
3) पैसों के ज्ञान की कमी अर्थात् वित्तीय जागरूकता  की कमी - भारतीय स्टार्टअप बाज़ार में सामान्यतः युवा वर्ग हाथ आज़मा रहे हैं और हमारे यहाँ की शिक्षा पद्धति उन्हें पैसों का व्यवहारिक ज्ञान नहीं देती है। इसलिए ज़्यादातर स्टार्टअप फ़ाइनेंस के मामले में जूझते नज़र आते हैं।
4) वित्तीय अनुशानन का ना होना - जैसा हमने तीसरे बिंदु में देखा कि भारतीय स्टार्टअप के मालिक फ़ाइनेंस के मामले में कमजोर रहते हैं इसीलिए अक्सर वे पैसों का ग़लत उपयोग कर जाते हैं। कई बार वे कैपिटल या बार-बार होने वाले ख़र्चों को इतना बढ़ा लेते हैं कि उनके लिए लाभ निकाल पाना ही मुश्किल हो जाता है। 
5) बार-बार, समय से पहले फ़ंडिंग के लिए जाना - कोई भी स्टार्टअप को बाज़ार में जमने के लिए एक अच्छे प्रोडक्ट के साथ - साथ अच्छे लोग, अच्छी प्रॉसेस और बाज़ार की आवश्यक्ता होती है। सामान्यतः स्टार्टअप इन सभी पर अच्छे से काम करने के पहले ही फ़ंडिंग के लिए प्रयास करने लगते हैं और बाज़ार द्वारा नकारे जाने पर परेशान हो जाते हैं अथवा लोन के द्वारा पैसे जुटाने का प्रयास करते हैं। यह भी उनकी विफलता की एक मुख्य वजह होती है।

 दोस्तों अगर आप भारतीय बाज़ार को ध्यान में रखते हुए, स्टार्टअप के माध्यम से कोई बड़ा व्यवसाय खड़ा करने के बारे में सोच रहे हैं तो निम्न 5 सूत्रों को काम में लें-

1) इनोवेशन अर्थात् नवाचार पर ध्यान दें 
दोस्तों हर स्टार्टअप किसी ना किसी समस्या का समाधान होता है। अगर आपमें बाज़ार की परेशानियों, समस्याओं को पहचानने  की क्षमता है, तो आप एक अच्छा स्टार्टअप आइडिया खोज सकते हैं। इसके लिए आपको दूसरों के विचार चुराने और तय मानसिकता के स्थान पर खुले दिमाग़ से विचारों को स्वीकार करना सीखना होगा।
2) अनुभव और रिसर्च को प्राथमिकता दें 
अगर आपने किसी विचार को स्टार्टअप का रूप देने का निर्णय ले लिया है तो उसे मूर्त रूप देने के पहले उस विचार पर अच्छे से रिसर्च करें और किसी अनुभवी के साथ उस विचार को साझा करें। यह आपको असफल होने से बचा सकता है।
3) सही लोगों को चुनें 
दोस्तों, बिना अच्छी टीम के सफल हो पाना सम्भव नहीं है। सफलता के लिए जितना महत्वपूर्ण एक अच्छे विचार, प्रोडक्ट या सर्विस का होना है उतना ही महत्वपूर्ण एक अच्छी और समर्पित टीम का साथ होना भी है। सही, शिक्षित और ज़रूरत के आधार पर लोगों को चुनें।
4) सही बाज़ार चुनें 
दोस्तों, कई बार अपनी कमियों या तय मानसिकता की वजह से हम ग़लत बाज़ार चुन लेते हैं जो सब कुछ अच्छा होने के बाद भी स्टार्टअप को असफल बना देता है।
5) इसके अलावा दोस्तों, आपको खुद की सुविधाओं एवं इच्छाओं का त्याग करते हुए स्वयं को प्रबंधित करना होगा और साथ ही बाज़ार को बेहतरीन सर्विस देनी होगी। 

इतना सब करने के बाद भी दोस्तों असफलता हाथ लग सकती है तो, उसे स्वीकारें और हार मान कर बैठने के स्थान पर अपनी ग़लतियों को सुधारें और  एक बार फिर से प्रयास करें और सफल बनें।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com