फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


‘रूल बुक’ से आगे निकल कर ‘वाओ’  या ‘वाह! क्या बात है’, ‘मज़ा आ गया’ जैसा एहसास कराना अर्थात् फ़ीलिंग देना आपको विशेष बनाता है। जी हाँ दोस्तों, ग्राहक को आत्मिक संतुष्टि का एहसास कराना आपको उनके दिल में जगह दिलाता है, उन्हें हमेशा के लिए आपका बना लेता है। अपनी बात को मैं आपको दो घटनाओं से समझाने का प्रयास करता हूँ। 

अपने व्यवसायिक कार्य से जैसलमेर जाने के लिए मैंने ट्रैवल एजेंट कि सहायता से 30 मार्च को इंदौर से दिल्ली के लिए इंडिगो की 6ई-962 और फिर दिल्ली से जोधपुर के लिए 6ई-6267 फ़्लाइट बुक कराई। 29 मार्च को मैंने ऐप द्वारा उक्त फ़्लाइट चेक-इन करने का असफल प्रयास करा। एजेंट से सम्पर्क करने पर उसने कहा, ‘सर टेक्निकल समस्याओं की वजह से इस वक्त चेक-इन नहीं हो पा रहा है, आप निश्चिंत रहें मैं शाम तक आपको बोर्डिंग पास भिजवाता हूँ।’  

एजेंट से आश्वासन पाकर में निश्चिंत था, लेकिन जब रात्रि तक मुझे बोर्डिंग पास नहीं मिला तो चिंतित हो, मैंने एक बार फिर ट्रैवल एजेंट से बात करी। इस बार ट्रैवल एजेंट ने मुझसे कहा, ‘सर तकनीकी समस्या की वजह से ऑनलाइन चेक-इन नहीं हो पा रहा है, आप जल्दी जाकर एयरपोर्ट पर कर लीजिएगा।’ इस बार मुझे एजेंट की बात पर भरोसा नहीं हुआ, मैंने तुरंत इंडिगो के कॉल सेंटर पर सम्पर्क करा तो पता चला की इंडिगो ने 6E-962 दिल्ली की फ़्लाइट को निरस्त कर दिया है। कॉल सेंटर पर वैकल्पिक फ़्लाइट के बारे में बात करने पर उन्होंने अगले दिन की फ़्लाइट लेने या फिर टिकट कैन्सल कराने का विकल्प दिया। मैंने इंडिगो से इंदौर-मुंबई, मुंबई-जोधपुर फ़्लाइट का आग्रह किया तो उन्होंने अपनी असमर्थता जताते हुए कहा, ‘सर इसमें हमें दो सेक्टर का टिकट देना होंगे इसलिए सम्भव नहीं है।’ जब मैंने उन्हें इंडिगो से अपनी इंदौर-दिल्ली, दिल्ली-जोधपुर बुकिंग के बारे में बताया तो वे बोले, ‘सर, यह हमारी कनेक्टिंग फ़्लाइट है, इसलिए हम इसे एक ही सेक्टर मानते हैं।’ अगले विकल्प के रूप में मैंने उनसे इंदौर-दिल्ली फ़्लाइट कैन्सल कर, दिल्ली-जोधपुर ट्रैवल करने का अनुरोध किया तो पहले उन्होंने इसके लिए भी मना कर दिया, लेकिन मेरे जोर देने पर वे इसके लिए राज़ी हो गए। लेकिन इसके लिए उन्हें टिकट कैसे बुक किया, मेल ऐड्रेस और मोबाइल नम्बर कौनसा डाला था आदि सुरक्षा की दृष्टि से बताना ज़रूरी था, जो मुझे पता नहीं था क्यूँकि एजेंट ने सभी जगह अपना नम्बर व मेल आई॰डी॰ डाला हुआ था।

इंदौर से दिल्ली फ़्लाइट का नया टिकिट बुक करने एवं उपरोक्त जानकारी के लिए मैंने एजेंट को मोबाईल पर कॉल किया लेकिन उन्होंने फ़ोन पिक नहीं किया। ख़ैर, जैसे-तैसे मैंने रात्रि 1 बजे तक प्रयास करते हुए मैंने इंडिगो की इंदौर-दिल्ली फ़्लाइट का टिकट कैन्सल कराया और एयर इंडिया का टिकट लिया। अगले दिन जब ट्रैवल एजेंट से बात हुई तो उनका कहना था, ‘सर ऑफ़िस टाइम खत्म हो गया था, इसलिए मैं फ़ोन नहीं उठा पाया।’ उस वक्त मैं सोच रहा था कि, ऑफ़िस टाइम में आप कैसे काम करते हैं, वह मैंने अनुभव करके देख लिया है। 

दोस्तों इस पूरी प्रक्रिया के दौरान इंडिगो कर्मचारी और ट्रैवल एजेंट रूल बुक के मुताबिक़ अपनी ड्यूटी निभाते हुए कार्य कर रहे थे। दोनों में से किसी को भी मेरी समस्या या मेरी ज़रूरत से मतलब नहीं था। ख़ैर, थोड़ा खिन्न मन से, परेशान हो मैं दोपहर 3 बजे जोधपुर पहुँचा और वहाँ से गाड़ी द्वारा शाम 7 बजे जैसलमेर। 

रात्रि लगभग 9-9.30 बजे मैं थक कर, परेशान अवस्था में जैसलमेर स्थित होटल रूपल रीजेन्सी पहुँचा। होटल स्टाफ़ मेरा चेहरा देख शायद मेरी समस्या समझ गए और नियमों से आगे बढ़कर पहले मुझे अपनी सर्विस द्वारा रिलैक्स करा और लगभग 10 मिनिट बाद सभी औपचारिकताएँ पूरी करी। दोस्तों होटल मालिक से लेकर, रिसेप्शनिस्ट बल्कि वेटर तक हर कोई अगले चार दिन तक मेरी प्राथमिकताओं, मेरी ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए ‘रूल बुक’ से आगे जाकर सर्विस देते रहे, मुझे ‘विशेष’ होने का एहसास दिलाते रहे। दोस्तों अगर इसी सिक्के का दूसरा पहलू देखा जाए तो हक़ीक़त इसके बिलकुल उलट थी। होटल स्टाफ ने मुझे विशेष होने का एहसास दिलाकर असल में अपने लिए मेरे दिल में विशेष जगह बना ली थी। बल्कि यह कहना ज़्यादा उचित होगा मुझे हमेशा के लिए अपना ग्राहक बना लिया। 

दोस्तों अगर पहली घटना को देखा जाए तो इंडिगो और ट्रैवल एजेंट के लिए अपना पैसा, अपना नियम, अपना तरीक़ा महत्वपूर्ण था, लेकिन होटल कर्मचारियों के लिए इन सभी से पहले मेरी प्राथमिकताएँ थी। याद रखिएगा दोस्तों, पैसा या प्रोफ़िट कमा कर आप बड़े आदमी तो बन सकते हैं, लेकिन संतुष्ट ग्राहकों की बढ़ती संख्या आपको अमीर और आपके व्यवसाय को बड़ा ब्रांड बनाती है।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com