फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


जी हाँ दोस्तों, आपने बिलकुल सही पढ़ा है, उद्देश्य है, तो उम्र सिर्फ़ एक नम्बर है। मेरा नज़रिया या कही गई बात छोड़िए, आप ही ऐसे कई उम्रदराज लोगों से मिले होंगे जिनके कार्य, ऊर्जा, रहन-सहन या यह कहना ज़्यादा उचित होगा, जीवन जीने के तरीक़े को देखकर एहसास ही नहीं होता है कि उनकी उम्र क्या है?

चलिए अपनी बात को एक सच्ची घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ। बात 2017 की है, रोज़ की ही तरह नवजोत (बदला हुआ नाम) ने अपने कॉलेज कैम्पस से हॉस्टल जाने के लिए मोबाइल पर ऐप की सहायता से एक कैब बुक करी। कैब के तय स्थान पर पहुँचने का मैसेज आते ही नवजोत कैम्पस से पार्किंग की ओर बढ़ा। वहाँ उसने देखा कि लगभग 60-65 वर्षीय साफ़-सुथरे लेकिन कैजुअल कपड़े पहने एक सज्जन कार की पिछली सीट को साफ़ करने में व्यस्त थे। जैसे ही उन सज्जन का ध्यान अपने पैसेंजर नवजोत की ओर गया उन्होंने बड़े सलीके के साथ नवजोत को कार में बैठने का इशारा करा।

नवजोत जो की युवा थे, ने मुस्कुराते हुए कार का पिछला दरवाज़ा बंद करा और आगे वाली सीट पर बैठते हुए बोला, ‘धन्यवाद अंकल, जब मैं अकेला होता हूँ पीछे की सीट पर बैठना पसंद नहीं करता और आप मेरे बैठने के लिए गाड़ी की सीट साफ़ कर रहे थे उसके लिए भी धन्यवाद।’ कैब ड्राइवर मुस्कुराते हुए अगली सीट पर बैठते हुए बोले, ‘सर, मैं जब भी किसी युवा या छात्र को पिक करने जाता हूँ तो सुनिश्चित करता हूँ कि कैब और सीट एकदम साफ़ हो।’ इतना कहते हुए उन्होंने गाड़ी गंतव्य की ओर बढ़ा दी।

कुछ पलों बाद नवजोत ने ट्रैवल में लगने वाले समय का सदुपयोग करते हुए अपने बेग से एक नोटबुक निकाली और केस स्टडी पढ़ने में व्यस्त हो गया। पढ़ते समय दिक़्क़त महसूस होने पर नवजोत कैब ड्राइवर की ओर देखते हुए व्यंग्यात्मक लहजे में बोला, ‘कभी अपने बच्चों को एमबीए मत कराना!’ नवजोत की बात सुन ड्राइवर मुस्कुराते हुए बोले, ‘आप इस केस स्टडी के बारे में इतने चिंतित क्यों हैं? बस एस॰डबल्यू॰ओ॰टी॰ अर्थात् स्ट्रेंथ, वीकनेस, ओपर्टूनिटी एवं थ्रेट विश्लेषण करें और अंत में सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा दिया गया समाधान कम से कम 5 वर्ष के लिए टिकाऊ हो।’

एमबीए की केस स्टडी पर कैब ड्राइवर द्वारा की गई टिप्पणी नवजोत को हैरान करने के लिए काफ़ी थी। उसने तुरंत अपनी नोटबुक बंद करी और उनसे बात करने लगा। बात जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रही थी उसकी नज़र में कैब ड्राइवर की इज्जत और उनके बारे में और जानने की इच्छा और बढ़ती जा रही थी। असल में दोस्तों कैब ड्राइवर भारत के बड़े सार्वजनिक उपक्रमों में से एक के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक थे और 5अंकों में पेंशन पा रहे थे, जो दिल्ली एन॰सी॰आर॰ में रहने, उनका खर्च चलाने के लिए काफ़ी थी। उनकी पत्नी दिल्ली के एक बहुत ही प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल की लेक्चरर थी। इतना ही नहीं उनका बेटा अधिकारी के रूप में बहुत ही अच्छे वेतन पर मर्चेंट नेवी क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दे रहा था।

इतना पढ़कर उलझ गए ना आप भी, ‘जब इतने सक्षम थे तो कैब क्यों चला रहे हैं? मजबूरी जैसी स्थिति तो लग नहीं रही है।’ यही बात नवजोत के मन में भी चल रही थी। जब उसने इस विषय में ड्राइवर से चर्चा करी तो वे बोले, ‘मैं घर पर वेल्ला बैठा-बैठा टीवी देखते हुए अपना जीवन बर्बाद नहीं करना चाहता था। सुरक्षा और आरामदायक जीवन जीने के लिए ज़रूरी पैसा मेरे पास है। मुझे गाड़ी चलाना, गाना सुनना पसंद है। नौकरी के दौरान अपने शौक़ को पूरा नहीं कर पाया था इसलिए कैब चलाते हुए अपने सपनों को पूरा कर रहा हूँ।’ 

दोस्तों, वैसे बात यहाँ ख़त्म नहीं होती है। उन सज्जन का एक लक्ष्य और था, जो वे कैब चलाने से प्राप्त हुई आय से पूरा कर रहे थे। उनका बचपन दिल्ली के पास ग़ाज़ियाबाद में बीता था। उस वक्त जहाँ उनके इलाक़े के ज़्यादातर बच्चे पैसों की कमी या अन्य कारणों से शिक्षा नहीं ले पाते थे, वे क़िस्मत वाले रहे कि उन्हें अपनी शिक्षा पूर्ण करने का अवसर मिला। अब वे उसका क़र्ज़ गाड़ी चलाने से प्राप्त आय से उसी क्षेत्र के गरीब बच्चों की फ़ीस भरकर, उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में मदद कर, उतार रहे हैं। उनका मानना था कि भारत में बड़े और ज़रूरी बदलाव तभी लाए जा सकते हैं जब हम शिक्षा को अपनी जड़ों तक या जरूरतमंदों तक पहुँचाएँगे।

हमारी इस कहानी के हीरो का मानना है कि ज़िंदगी जीने के लिए है तो फिर उसका उम्र से क्या लेना देना? अगर आपके पास लक्ष्य है, जीवन जीने का उद्देश्य है तो आप अपने जीवन के हर पल को चेतन अवस्था में, सार्थक तरीके से जीते हैं। इसीलिए तो मैंने शुरू में ही कहा था कि अगर आपके पास उद्देश्य है तो उम्र सिर्फ़ एक नम्बर है। आशा करता हूँ आप इस कैब ड्राइवर की जीवनशैली से अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कोई ना कोई सीख अवश्य लेंगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com