फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, वैसे तो ज़िंदगी अपने आप में ईश्वर का दिया हुआ सर्वोत्तम उपहार है। लेकिन कई बार हम दैनिक जीवन में मिलने वाले अनुभवों के आधार पर अपनी सोच और प्रतिक्रिया से इसे स्वयं के लिए कष्टप्रद बना लेते हैं। ज़िंदगी है, आप उसे जी रहे हैं, उसे बेहतर बनाने के लिए रोज़ निर्णय ले रहे हैं, कर्म कर रहे हैं और यही कर्म कई बार आपको आपके मनमाफ़िक परिणाम देते हैं, तो कभी ईश्वरीय योजना के अनुसार। लेकिन अक्सर तार्किक दुनिया में ईश्वरीय योजना के आधार पर प्राप्त फलों को स्वीकारना आसान नहीं होता है। शायद आस्था, विश्वास, भरोसा और तर्क के तुलनात्मक असंतुलन की वजह से यही परिणाम हमारे भावनात्मक संतुलन को प्रभावित कर कभी ख़ुशी देते हैं तो कभी ग़म, कभी हम ऊर्जावान रहते हैं तो कभी ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं और इसी तरह हम सकारात्मक और नकारात्मक भावों के बीच जीवन में तमाम तरह के उतार-चढ़ाव को महसूस करते हैं।

ऐसे में अगर मैं आपसे कहूँ कि हर वक्त खुश रहा जा सकता है तो आपका मत क्या होगा? निश्चित तौर पर आप सोचेंगे, ‘क्या यह वाक़ई में सम्भव है?’ जी हाँ दोस्तों, यह वाक़ई सम्भव है। थोड़ा सा गम्भीरता के साथ सोचकर देखिएगा दोस्तों, नकारात्मक भावों के पीछे आप मुख्यतः दोष हमारी मनःस्थिति का पाएँगे। अर्थात् अगर आप अपनी मनःस्थिति को अपने वश में रखना सीख जाएँ, तो आप हर हाल में खुश रहना सीख जाएँगे। आइए आज हम अपनी मनःस्थिति को संतुलित या अच्छा रखने के लिए ज़रूरी 9 महत्वपूर्ण सूत्र सीखते हैं-

पहला सूत्र - कर्म प्रधान बनें
जीवन में हमें जो भी परिणाम मिलते हैं, वे हमारे कर्मों का परिणाम होते हैं। अगर आप परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं तो परिस्थितियों, क़िस्मत अथवा किसी भी अन्य को दोष देने के स्थान पर जो भी परिणाम मिला है उसकी ज़िम्मेदारी लें और अगर आप परिणाम बदलना चाहते हैं तो पूर्व अनुभवों से सीखकर, कर्म को बदलें।

दूसरा सूत्र - माफ़ करें
जिस तरह हम अपनी प्राथमिकताओं के लिए कार्य करते हैं, उसी तरह दूसरे लोग अपनी। कई बार अनुभव की कमी और विचारों की अस्पष्टता की वजह से लोग ग़लत व्यवहार या कार्य में ग़लतियाँ कर जाते हैं। उन्हें हर पल याद रखना हमारे जीवन को मुश्किल बनाता है इसलिए लोगों से मिले नकारात्मक अनुभवों को भूलें, उन्हें माफ़ करें और अपना जीवन आसान बनाएँ।
 
तीसरा सूत्र - अनावश्यक स्टारडम से बचें
दोस्तों, कई बार हम अपनी सफलताओं के आधार पर अथवा लोगों से मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर खुद की एक छवि बना लेते हैं और फिर इस छवि को सही सिद्ध करने के लिए खुद के ऊपर अनावश्यक दबाव बना लेते हैं। इसके स्थान पर कोई भी कार्य आत्म संतुष्टि व अपनी ज़रूरतों को पूरी करने के उद्देश्य से करें ना कि पहचान पाने के लिए।
 
चौथा सूत्र - नकारात्मक भावों से बचें
ईर्ष्या, ग़ुस्सा, डर, तुलना, द्वेष आदि जैसे नकारात्मक भावों से बचना आपको सकारात्मक रहने और अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करने में मदद करता है। आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम अपनी मनःस्थिति को ठीक रखते हुए हर हाल में खुश रहने के अगले 3 सूत्र सीखेंगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com