फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, कई बार आपका सामना ऐसी समस्या से होता है जो सुनने में बड़ी हास्यास्पद लगती है, लेकिन उसे हास्यास्पद मान नकारना आपके ब्रांड के लिए बड़ा नुक़सानदायक हो सकता है। दोस्तों, अगर आप बड़ा ब्रांड बनाना चाहते हैं तो अपनी कस्टमर केयर सेल का ध्येय वाक्य ‘ग्राहक हमेशा सही होता है’, बना दें। जी हाँ साथियों, ग्राहक की शिकायत को कम आंकना जहाँ आपकी ब्रांड वैल्यू कम करता है वहीं शांत रहते हुए उसको गहराई से समझना, उसका निदान करना आपको हमेशा के लिए एक ब्रांड एंबेसेडर दिला सकता है। अपनी बात को समझाने के लिए मैं आपको विश्व की एक बड़ी कार निर्माता कम्पनी, ‘जनरल मोटर्स’ की सच्ची कहानी सुनाता हूँ।

एक दिन जनरल मोटर्स के पोंटिएक कार डिविज़न को एक ग्राहक की शिकायत मिली, जिसमें उसने लिखा था, ‘महोदय, मैं दूसरी बार आपको शिकायती ख़त लिख रहा हूँ। मेरी पहली शिकायत का आपकी ओर से किसी ने भी जवाब नहीं दिया। वैसे, इसके लिए मैं आपको दोषी भी नहीं मानता क्यूँकि मेरी शिकायत है ही इतनी अजीब। हो सकता है, आप मुझे पागल समझ रहे होंगे, लेकिन यह एक सच्चाई है।

हमारे परिवार में रात को खाना खाने के बाद आईसक्रीम खाने की परम्परा है। हर रात खाना खाने के बाद सब मिलकर निर्णय लेते हैं कि आज हम कौनसी आईसक्रीम खाएँगे और उसे बाज़ार से लाने की ज़िम्मेदारी मेरी रहती है। जबसे मैंने नई पोंटिएक कार ली है आईसक्रीम लाना मेरे लिए विचित्र पहेली या अजीब सी समस्या बन गया है। जिस दिन भी मैं स्टोर से वेनिला आईसक्रीम ख़रीद कर आता हूँ मेरी नई पोंटिएक कार चालू ही नहीं होती है। इसके विपरीत, जब भी मैं कोई और आईसक्रीम ख़रीदता हूँ, कार तुरंत चालू हो जाती है। मेरी शिकायत आपको कितनी भी मूर्खतापूर्ण क्यों ना लगे, पर यह एक सच्चाई है।

पोंटिएक कार डिविज़न के प्रेसिडेंट को जब इस शिकायत के बारे में पता चला तो शुरु में तो उन्हें इस पर संदेह हुआ, पर ग्राहक की संतुष्टि के लिए उन्होंने कार को जाँचने के लिए एक इंजीनियर की नियुक्ति कर दी। इंजीनियर ने ग्राहक से सम्पर्क करा और तय समय पर उनके घर पहुँच गया। लेकिन वहाँ पर हास्यास्पद और मूर्खतापूर्ण लगने वाली शिकायत के शिकायतकर्ता के रूप में एक सफल, उच्च शिक्षित, स्पष्ट व्यक्ति को पा वह हैरान था।

आपसी अभिवादन के पश्चात दोनों उसी पोंटिएक कार में आईसक्रीम लेने के लिए स्टोर पर गए। उस दिन उन्होंने वेनिला आईसक्रीम ख़रीदी और वापस आकर कार चालू करने का प्रयास करने लगे। जैसी ग्राहक को उम्मीद थी, कार उस दिन फिर चालू नहीं हुई। इंजीनियर को यह थोड़ा अटपटा लगा उसने अगले तीन दिन तक रोज़ आने का निर्णय लिया। पहले दिन उन्होंने चॉकलेट आईसक्रीम ली, कार स्टार्ट हो गई। दूसरे दिन वे स्ट्रॉबेरी आईसक्रीम लेकर आए, कार फिर स्टार्ट हो गई। तीसरे दिन उन्होंने फिर से वेनिला आईसक्रीम ली, कार फिर स्टार्ट नहीं हो पाई।

जहाँ ग्राहक अपनी समस्या को सही सिद्ध कर खुश था वहीं उस इंजीनियर का तार्किक दिमाग़ इसे स्वीकारने को राज़ी नहीं था कि कार को वेनिला आईसक्रीम से एलर्जी है और इसी वजह से वह स्टार्ट नहीं होती है। उसने ग्राहक से बातचीत करी और उसे इस बात के लिए मना लिया कि जब तक समस्या ठीक नहीं हो जाती वह रोज़ इस वक्त आना चाहेगा।

अगले दिन से इंजीनियर रोज़ तय समय पर ग्राहक के यहाँ पहुँच जाता और उसके साथ स्टोर तक जाता। जब तक ग्राहक स्टोर से आईसक्रीम लेकर आता, इंजीनियर अपनी डायरी में कुछ नोट बनाता। इस प्रकार इंजीनियर ने आइसक्रीम ख़रीदने के लिए जाने का समय, ख़रीदने में लगने वाला समय, पेट्रोल का प्रकार और उसे ख़रीदने का स्थान, कार चलाने का तरीक़ा, बाहरी तापमान आदी का डेटा रखना प्रारम्भ कर दिया।

थोड़े समय में ही उस इंजीनियर को कार में ख़राबी के संदर्भ में एक सुराग मिला, उसने डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि वेनिला आईसक्रीम चूँकि सबसे ज़्यादा बिकती है इसलिए स्टोर ने उसका एक अलग शेल्फ, दुकान के बाहरी हिस्से में बना रखा है और आईसक्रीम के अन्य सभी फ़्लेवर स्टोर के पिछले हिस्से में रखे हैं। जिसकी वजह से किसी भी अन्य आईसक्रीम ख़रीदने के मुक़ाबले, वेनिला आईसक्रीम ख़रीदने में कम समय लगता है। इंजीनियर का तार्किक दिमाग़ तुरंत असली समस्या समझ गया। कार की समस्या वेनिला आईसक्रीम ख़रीदना नहीं बल्कि कम समय में फिर से चालू करने पर चालू ना होना थी।

अब इंजीनियर ने कार चालू ना होने की असली समस्या ‘समय’ पर विचार करना चालू किया। जल्द ही वह अपने अनुभव से समझ गया कि कार के वाष्प ताले अर्थात् वेपर लॉक में समस्या है। जब भी ग्राहक कोई अन्य फ़्लेवर वाली आइसक्रीम ख़रीदता था तो कार के इंजिन को ठंडा होने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता था और वेपर लॉक बराबर काम करने लगता था। इसलिए कार तुरंत चालू हो जाती थी। इसके विपरीत वेनिला ख़रीद कर जल्दी वापस आने पर वेपर लॉक रीसेट नहीं हो पाता था इसलिए कार चालू होने में दिक़्क़त देती थी। इंजीनियर ने इस समस्या को जल्द ही ठीक कर दिया और उसके बाद वेनिला आइसक्रीम ख़रीदने पर भी कार ने कभी कोई दिक़्क़त नहीं दी।

जी हाँ दोस्तों, इसीलिए मैंने शुरू में कहा था कि ‘ग्राहक हमेशा सही होता है।’ कई बार उसकी मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद सी लगने वाली समस्याएँ भी वास्तविक होती हैं और जब आप उसकी समस्या को ग़लत ठहराने के स्थान पर सही मान, उस पर धैर्य पूर्वक कार्य करते हैं तो आप एक ग्राहक के साथ कम्पनी की साख भी बचा लेते हैं। वैसे दोस्तों उपरोक्त किस्से से हम जीवन का एक और महत्वपूर्ण सबक़ सीख सकते हैं, ‘कोई भी समस्या को सुलझाना तब आसान हो जाता है जब आप शांत सोच के साथ उसका समाधान ढूंढते हैं। जी हाँ साथियों, समस्या के समाधान खोजने में आपकी धारणा और आपका दृष्टिकोण मायने रखता है। इसीलिए कहते हैं, ‘सफलता कोई लम्बी या ऊँची कूद प्रतियोगिता नहीं है जिसे एक छलांग में तुरंत पाया जा सके। यह तो चलते हुए, कदमों से पूरी करने वाली मैराथन रेस है।’

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com