फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

हाल ही के दिनों में बच्चों की काउन्सलिंग एवं बच्चों से चर्चा के दौरान मैंने एक समान बात पायी है कि सभी बच्चों को तुरंत सफलता चाहिए। हर कोई मिलिनेयर बनने के बारे में बात करता है या यू कहूँ पैसे वाला बनना ही उनका एकमात्र लक्ष्य रह गया है। वे विश्व भ्रमण करना चाहते है, बुगाती, रोल्स रोयस, फ़ेरारी जैसी कारें लेना चाहते है तो, प्राइवेट जेट या याट, फार्म हाउस आदि के सपने देखते है। अगर इन्हीं बच्चों से इन सपनों को पूरा करने की योजना के बारे में बात की जाये, तो वे हवा में बाते करते ही नज़र आते है, जैसे शेख़ चिल्ली के सपने। हाल ही में एक इक्कीस वर्षीय युवा से बात हुई जो अपनी ट्वेंटीस में इन सभी सपनों को पूरा करना चाहता था। जब मैंने उससे इस विषय में उसकी योजना के बारे में बात करी, तो कभी वह क्रिप्टो करन्सी के बारे में बात करता था, तो कभी विदेश जाकर किसी बड़े विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर वही कोई बड़ी नौकरी करने के बारे में बात रहा है। हालाँकि उसके पास दोनो में से किसी क्षेत्र के बारे में ना तो कोई पुख़्ता ज्ञान था ना ही कोई पुख़्ता योजना उसके पास थी। आगे  बढ़ने के पहले उसकी स्थिति को में एक कहानी के माध्यम से आपको समझाता हूँ।

एक दिन सुबह-सुबह मियाँ शेख चिल्ली बाज़ार कुछ सामान ख़रीदने पहुँचें। सभी सामान ख़रीदने के बाद अंत में उन्होंने अंडे खरीदे और उन अंडों को एक टोकरी में रखा और टोकरी को अपने सर पर रखकर अपने घर की ओर जाने लगे। घर जाते-जाते वे अपने ख़्यालों का पुलाव पकाने में मग्न होने लगे। वे सोचने लगे कि कितना अच्छा हो अगर इन सभी अंडों में से बच्चे निकल जाए। अगर सभी अंडों में से बच्चे निकल जाएँगे तो मेरे पास ढेर सारी मुर्गियाँ होंगी। वह सब मुर्गियाँ ढेर सारे अंडे देंगी। फिर उन अंडों में से फिर से ढेर सारे बच्चे निकल जाएँगे, तो मेरे पास और ढेर सारी मुर्गियाँ हो जाएगी।फिर उन मुर्गियों के कुछ अंडों को मैं बाज़ार में बैच दूँगा और ऐसा करते करते मैं बहुत जल्दी बहुत अमीर बन जाऊंगा। अमीर बन जाने के बाद मैं एक नौकर रखूँगा जो मेरे सारे काम करेगा। मुर्गियों को सम्भालेगा, बाज़ार में अंडों को बैचने जाएगा। 

उसके बाद मैं एक महलनुमा आलीशान, हर प्रकार की भव्य सुख-सुविधा वाला घर बनवाऊंगा। उस घर में हर काम करने के लिए अलग-अलग कमरे होंगे, जैसे भोजन करने के लिए, आराम करने के लिए, मनोरंजन के लिए और बैठने के लिए। घर को मनमाफ़िक सजा लेने के बाद मैं एक गुणवान, रूपवान और धनवान लड़की से शादी करूंगा। उसके लिए बहुत सारे अच्छे-अच्छे कपड़े, गहने और भी उसकी ज़रूरत का सारा सामान वगैरह ख़रीदूँगा। और फिर अपनी पत्नी के लिए भी एक नौकर रख दूँगा। शादी के बाद मेरे 5-6 बच्चे होंगे, बच्चों को मैं खूब लाड़ प्यार से बड़ा करूंगा, उन्हें खूब पढ़ाऊँगा और बहुत सारी बटे सिखाऊँगा। और फिर जब वे बड़े हो जाएँगे तब सुंदर, सुशील और समझदार लड़की से उनकी शादी करवा दूंगा। फिर उनके बच्चे होंगे। फिर में अपने पोतों के साथ खुशी-खुशी खेलूँगा।

मियाँ शेख चिल्ली अपने ख़यालों में खोए हुए, सोचते हुए, चले जा रहे थे तभी उनके पैर पर ठोकर लगी और सिर पर रखी हुई टोकरी जिसमें सारे अंडे रखे हुए थे, धड़ाम से ज़मीन पर गिर पड़ी । अंडों की टोकरी के ज़मीन पर गिरते ही सारे अंडे फूट कर चकनाचूर हो गए और अंडों के फूटने के साथ साथ मियाँ शेख चिल्ली का सपनों का खयाली पुलाव भी टूट कर चूर-चूर हो गया।

दोस्तों, निश्चित तौर पर अब आप उस बच्चे की स्थिति को बहुत अच्छे से समझ गए होंगे। वैसे यह स्थिति उस एक बच्चे की नहीं है बल्कि ‘जेन एक्स’ के सभी बच्चों की है और मेरा मानना है कि अगर यह समस्या सभी बच्चों में देखी जा रही है तो निश्चित तौर पर इसमें गलती बच्चों की नहीं अपितु हम बडों की है।हमने इन बच्चों को बड़ा सोचना तो सिखा दिया लेकिन शायद पैसे, संसाधन, मेहनत की क़ीमत सिखाने में चूक कर गए। सभी कुछ मुँह से आवाज़ निकलते ही थाली में सजाकर देने की हमारी आदत ने उन्हें इनकी सही क़ीमत सीखने से वंचित कर दिया है। हालाँकि मैं इस बात से इनकार नहीं करूँगा कि इस पीढ़ी के बच्चे हमसे ज़्यादा बेहतर और बुद्धिमान है। 
दोस्तों, अगर आप वाक़ई उन्हें सफल बनाना चाहते है, तो हमें उनकी सोच पर विश्वास रखना और उन्हें विश्वास दिलाना है कि जो वे सोच रहे है वह हक़ीक़त में सम्भव है। उन्हें बस इसे पूर्ण करने के लिए आवश्यक ज्ञान लेकर और आवश्यक कौशल को विकसित करने साथ साथ अपने दृष्टिकोण को सही रखते हुए इंसानियत, आपके जीवन मूल्यों और आपकी शिक्षा के साथ साथ मेहनत और पैसों की क़ीमत के बारे में भी सिखाना होगा। साधारण शब्दों में कहूँ तो उनकी सोच और अपने जीवन मूल्य व अनुभव का मिश्रण बनाना होगा।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com