फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


दोस्तों, निश्चित तौर पर आपने श्री रामचंद्र बारयांजी द्विवेदी, जिन्हें हम ‘कवि प्रदीप’ के नाम से भी जानते हैं, द्वारा गाया और लिखा गया भजन ‘सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गाँव, कभी धूप कभी छाँव, कभी धूप तो कभी छाँव। ऊपर वाला पासा फेंके, नीचे चलते दांव, कभी धूप कभी छाँव, कभी धूप तो कभी छाँव।’, जिसे फ़िल्म ‘कभी धूप, कभी छाँव’ में फ़िल्माया गया था, ज़रूर सुना होगा। हक़ीक़त में भी दोस्तों, हमारा जीवन ठीक ऐसे ही चलता है, कभी हमें सब कुछ अपने अनुकूल, अच्छा लगने लगता है, तो कई बार हम स्वयं को विपरीत परिस्थितियों में घिरा हुआ पाते हैं। जब समय अनुकूल रहता है तो अक्सर हम स्वयं उसका श्रेय देने लगते हैं, लेकिन जब विपरीत परिस्थितियों से सामना होता है, तो हमें अक्सर दोष क़िस्मत या दूसरे लोगों का नज़र आने लगता है। ख़ैर, दृष्टिकोण आधारित इस बात को हम यहीं छोड़, अपने मुख्य विषय की ओर आगे बढ़ते हैं। 

विपरीत परिस्थितियों का दौर कई बार इतना प्रतिकूल हो जाता है कि हमें अपने जीवन में चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा नज़र आने लगता है। ऐसा लगता है मानो अब जीवन को जी पाना ही मुश्किल हो गया है। लेकिन ऐसी विपरीत से भी विपरीत परिस्थिति में भी एक रास्ता हमेशा आपके लिए खुला रहता है, जो आपके जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकता है। चलिए, उस रास्ते को हम एक कहानी से समझते हैं-

जंगल से लगे मैदानी इलाक़े में झील के किनारे एक गर्भवती हिरणी बहुत ही बेचैनी के साथ इधर-उधर घूम रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि बच्चों को जन्म देने के लिए सुरक्षित स्थान कौन सा रहेगा क्यूँकि ख़राब मौसम, बिजली गिरने की वजह से जंगल में लगी आग, दूसरी तरफ़ झील और मैदानी इलाक़ों में जंगली जानवरों का ख़तरा, उसे परेशान कर रहा था। 

काफ़ी देर विचारने के बाद उसने मैदानी इलाक़े को पार करते हुए गाँव के समीप बच्चों को जन्म देने का निर्णय लिया। अभी उसने मैदानी इलाक़े की ओर जाना शुरू ही किया था कि उसकी नजर पेड़ के पीछे घात लगाकर बैठे शिकारी पर पड़ी, जो शिकार करने के लिए अपनी बंदूक़ तैयार कर रहा था। उसे गाँव की ओर जाने का विचार उसी पल त्यागना पड़ा और उसने अपनी जान को जोखिम में डालते हुए आग से बचे, जंगल के बाहरी हिस्से में बच्चों को जन्म देने का निर्णय लिया। अभी वह जंगल के बाहरी हिस्से में पहुँची ही थी कि उसे सामने से आते हुए शेर की तेज़ दहाड़ सुनाई दी।

अब उसकी हालात काटो तो खून नहीं के समान थी। अपने चारों ओर विपत्ति देख वह घबरा गई, उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था क्यूँकि उसके एक ओर जंगल की आग, दूसरी ओर झील, तीसरी ओर शेर और चौथी ओर घात लगाए हुए शिकारी था। अचानक ही उस हिरणी के मन में कुछ विचार आया और उसका सारा डर छूमंतर हो गया। उसने अपनी आँख बंद कर ईश्वर को याद करा और स्वयं को उनके समक्ष पूरी तरह समर्पित करते हुए, सभी के बीच सीना तान, खड़ी हो गई।

इतनी देर में शिकारी ने भी अपनी बंदूक़ हिरणी के ऊपर तान दी और शेर भी उसपर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार हो गया। लेकिन हिरणी अभी भी अपनी आँखें बंद किए, निडर दोनों के बीच खड़ी हुई थी। तभी अचानक बादलों की घड़घड़ाहट के साथ बारिश शुरू हो गई। शिकारी ने सोचा शिकार करने का अब यही सही समय है। उसने गोली चलाने के लिए बंदूक़ का ट्रिगर दबाया ही था कि अचानक से वह, आसमान से गिरी बिजली की चपेट में आ गया। इसी वजह से उसका निशाना चूक गया और बंदूक़ से निकली गोली सीधे शेर को जा लगी और वह, वहीं निढाल होकर गिर पड़ा। इधर अब बारिश भी काफ़ी तेज हो गई थी जिसकी वजह से धीरे-धीरे जंगल की आग भी बुझ गई और मौसम भी सुहाना हो गया। हिरणी के लिए प्रतिकूल परिस्थितियाँ, अब अनुकूल हो गई और उसने निडरता के साथ जंगल में अपने बच्चों को जन्म दिया।

वैसे तो दोस्तों, यह कहानी अपने आप में ही सब कुछ कह देती है, फिर भी अपने नज़रिए से मैं इसे आपको बताने का प्रयास करता हूँ। असल में दोस्तों, इस बात को हर पल ध्यान रखना और स्वीकारना कि इस जीवन, इस धरती, इस ब्रह्मांड का मालिक सिर्फ़ और सिर्फ़ परमपिता परमेश्वर है और यहाँ जो कुछ भी होता है उसकी इच्छा, उसकी योजना के अनुसार ही होता है, आपकी आधी से ज़्यादा समस्याओं का समाधान कर देता है। लेकिन हो सकता है, इस जवाब को आप थोड़ा दार्शनिक मानें, चलिए इसे दूसरे नज़रिए से भी समझ लेते हैं।

जिस तरह दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता है, ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच चलता है अर्थात् अच्छे दिनों के बाद बुरे दिन आ सकते हैं, परिस्थितियाँ विपरीत हो सकती हैं। लेकिन अगर पूर्ण आस्था और समर्पण के साथ धैर्य रखते हुए, हम सिर्फ़ अपने ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाएँ, तो भी परिस्थितियाँ जल्द ही हमारे  अनुकूल हो जाएँगी। जी हाँ दोस्तों, ईश्वर के दिए हर पल को, जैसा उन्होंने दिया, वैसे ही स्वीकारना और पूरी आस्था व समर्पण के साथ सकारात्मक रहते हुए अपने प्रयास करना आपको विपरीत से विपरीत परिस्थिति से भी बचा लेता है। 

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com