इंदौर ।  शहर में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डाक्टरों की मानें तो पिछले एक दशक में पुरुषों में मुंह और गले के कैंसर मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट और बच्चादानी के कैंसर से पीड़ितों की संख्या बढ़ी है। इसके पीछे जीवन शैली में आया बदलाव और तंबाकू के बढ़ते सेवन को वजह बताया जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि कैंसर अब लाइलाज बीमारी नहीं रही। इसकी पहचान प्राथमिक स्तर पर हो और समय पर और समूचित उपचार लिया जाए तो इससे पूरी तरह से निजात पाई जा सकती है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

ज्यादा मांसाहार खाने वालों में बढ़ा है बड़ी आंत
जीवन शैली में बदलाव और खाद्य पदार्थों में रसायनों के इस्तेमाल से कैंसर के मरीज तेजी से बढ़े हैं। शराब और तंबाकू के सेवन का चलन भी बढ़ा है। जो लोग नियमित रूप से मांसाहार लेते हैं ऐसे लोगों में बड़ी आंत के कैंसर के मामले बढ़े हैं। यह कहना है कैंसर विशेषज्ञ डा.राकेश शिवहरे का। उन्होंने बताया कि किसी समय मुंह के कैंसर के मामले 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में देखने को मिलते थे लेकिन वर्तमान में 30-35 आयुवर्ग के युवा भी मुंह और गले के कैंसर के साथ आ रहे हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि इंदौर में ही कैंसर का अत्याधुनिक उपचार उपलब्ध है।

भ्रांतियों पर ध्यान न दें, पूरा इलाज करवाएं

कैंसर को लेकर कई भ्रांतिया भी हैं। लोग अक्सर कहते हैं कि हमने सुना है बायप्सी कराने से कैंसर होता है। कैंसर की बीमारी छूने से फैलती है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। यह कहना है कैंसर विशेषज्ञ डा. साकेत मित्तल का। उन्होंने बताया कि समय पर कैंसर का पता चल जाए तो यह बीमारी पूरी तरह से ठीक की जा सकती है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और बच्चादानी के कैंसरों के मामले बढ़े हैं। इसी तरह पुरुषों में भी मुंह और गले के कैंसर बढ़े हैं।

यह भी जानें

-ब्रिटिश और यूरोपियन लोगों के मुकाबले भारतीयों में कैंसर कम उम्र में दस्तक दे देता है। यानी भारतीय लोग कम उम्र में कैंसर का शिकार हो जाते हैं

-अस्पताल में 30-32 आयुवर्ग की महिलाएं भी ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत लेकर पहुंच रही हैं
-कैंसर की वजहों में जीवन शैली में बदलाव एक बड़ी वजह है

-पहली और दूसरी स्टेज में कैंसर का पता चलने पर 90 प्रतिशत मरीजों की जान बचाई जा सकती है

-मुंह के कैंसर के लिए ब्रेस्ट बच्चादानी के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग ही पासीबल है।

-गर्भाशय के कैंसर के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। यह टीका 9 से 14 वर्ष की उम्र में लगाया जाता है। इससे गर्भाशय का कैंसर होने की आशंका अत्यंत कम हो जाती है