मध्यप्रदेश में नए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू हो जाएगी। नई आबकारी नीति में अंगूर के अलावा जामुन से भी शराब बनाने की अनुमति दी जाएगी। वहीं विदेशी शराब सस्ती होगी। कैबिनेट ने घर पर शराब रखने की सीमा भी बढ़ा दी है। अब लोग पहले के मुकाबले 4 गुना ज्यादा शराब घर पर रख सकेंगे। इसके अलावा जिस शख्स की सालाना आय 1 करोड़ रु है, वो घर पर बार भी खोल सकेगा।

विदेशी शराब होगी सस्ती

प्रदेश में शराब की नई दुकानें नहीं खोली जाएंगी। आबकारी विभाग ने उप-दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया था, जिसे मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया। शिवराज कैबिनेट ने मंगलवार को वर्ष 2021-22 के लिए नई शराब नीति को मंजूरी दे दी है। इसके मुताबिक विदेशी यानी अंग्रेजी शराब सस्ती होगी। क्योंकि सरकार ने विदेशी शराब पर एक्साइज डयूटी 10 से 13% तक कम करने का निर्णय लिया है। इससे शराब की डिमांड बढ़ेगी और ज्यादा बिक्री होगी। प्रदेश में फिलहाल 2544 देशी, 1061 विदेशी शराब दुकानें हैं। सरकार के प्रवक्ता व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि नई शराब नीति नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी।

देशी-विदेशी शराब की ब्रिकी एक ही दुकान से होगी

नई आबकारी नीति में प्रावधान किया गया है कि अब से देशी और अंग्रेजी शराब की बिक्री एक ही दुकान से होगी। प्रदेश में 11 डिस्टलरी के जिलों में सप्लाई के लिए टेंडर जारी नहीं होंगे। ऐसे में सभी 11 डिस्टलरी को सभी संभागों में विदेशी शराब की तरह ही गोदामों में शराब रखना होगी। वहां से ठेकेदार शराब की क्वालिटी और कीमत का अध्ययन कर शराब अपनी दुकानों के लिए खरीदेंगे।

भोपाल और इंदौर में माइक्रो बेवरेज को मंजूरी

भोपाल और इंदौर के लिए माइक्रो बेवरेज बनाई जाएंगी। माइक्रो बेवरेज छोटी यूनिट होती हैं, जिनमें रोज 500 से 1000 लीटर शराब बनाने की क्षमता होती है। माइक्रो बेवरेज ​​​​​​प्लांट होटलों में लगाए जा सकते हैं। इनमें फ्रेश बीयर (कम एल्कोहल वाली शराब) मिल सकेगी। एयरपोर्ट पर अंग्रेजी शराब की दुकानें होंगी। मॉल्स में काउंटर पर शराब भी मिल सकेगी।

होम बार लाइसेंस भी देगी सरकार

शिवराज सरकार ने होम बार लाइसेंस देने का निर्णय भी लिया है। अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय एक करोड़ रुपए है, तो वह व्यक्ति घर पर बार खोल सकता है। इसके अलावा, घर पर शराब रखने की लिमिट भी सरकार ने बढ़ा दी है। जिसके बाद वर्तमान लिमिट की 4 गुना शराब घर पर रखी जा सकेगी। फिलहाल घर में एक पेटी बीयर व 6 बॉटल शराब रखने की अनुमति है। इसके अलावा आलीराजपुर और डिंडौरी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत महुए से बनने वाली शराब लाई जा रही है। महुआ की शराब हैरिटेज नीति से ग्रामीण इलाकों की शराब को बाहर बेचने के लिए बाजार मिलेगा।

छोटे समूहों में दी जाएंगी दुकानें

नई नीति के तहत छोटे समूहों में शराब दुकानें दी जाएंगी। मौजूदा ठेकेदारों को छोटे समूह में दुकानों के नवीनीकरण के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद शेष दुकानें नीलाम की जाएंगी। इसके तहत ऐसे 17 बड़े जिले, जो 2019-20 में छोटे लेवल पर थे, उन्हें अब डिस्पोज किया जाएगा। यानी यहां नए सिरे से नीलामी होगी। बाकी के छोटे जिलों को रिन्यूअल का ऑफर दिया जाएगा।

विदेशी शराब की रिजर्व प्राइस 15% और देशी की 25% रखी जाएगी। नई नीति के तहत देशी शराब के अलग टेंडर खत्म होने से डिस्टलरी का एकाधिकार खत्म होगा। ऐसे में इनकी कीमतों में कमी आएगी। वहीं, शराब ठेकों के लिए छोटे-छोटे ग्रुप बनेंगे। इसके अलावा, शराब के ठेकों के लिए इस बार जिला स्तर पर एक ही सिंडिकेट को ठेका देने के बजाय 3-5 दुकानों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर टेंडर कराए जाएंगे।

पिछले साल भी बना था प्रस्ताव

पिछले साल भी यह प्रस्ताव बना था, लेकिन शराब कारोबारियों ने नुकसान की बात कही, जिसके बाद सरकार ने ये प्रस्ताव टाल दिया था। ऐसे में विवाद की स्थिति बनते देख फिर ज्यादातर जिलों में एक कंपनी बनाकर ठेके दिए गए थे। वर्तमान में प्रदेश में 2019 की आबकारी नीति लागू है। इसमें शराब दुकानें सिंगल ग्रुप सिस्टम में 1 जिले में एक ग्रुप के पास है। इसकी वजह से शराब ठेकेदारों में आपसी प्रतिस्पर्धा नहीं है। दो से तीन दुकानों के छोटे ग्रुप में शराब दुकान ठेके होने से कीमतों को बढ़ने से रोका जा सकेगा। वर्तमान में एक्साइज ड्यूटी ज्यादा होने के साथ ही नियमों में विसंगति है। इसलिए ठेकेदार ड्यूटी पटाने के बाद माल नहीं उठाते हैं। इससे एक हजार करोड़ रुपए के राजस्व के नुकसान की आशंका है।