भोपाल । मप्र में सत्तारूढ़ पार्टी में बगावत और दिग्गज नेताओं के वर्चस्व के बीच कांग्रेस का एक सर्वे सामने आया है। इस सर्वे के अनुसार, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया जा रहा है। वहीं भाजपा को केवल 60 से 75 के बीच सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। यह सर्वे सार्वजनिक होने के बाद प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में आलाकमान ने बैठक के दौरान मप्र के नेताओं से इस संदर्भ में फीडबैक मांगा है। साथ ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपनी ओर से प्रदेश की सभी 230 सीटों पर सर्वे कराएगा।
दरअसल, रविवार को मप्र कांग्रेस ने अपने ट्वीटर हैंडल पर इस सर्वे रिपोर्ट को जारी करते हुए प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने की बात कही है। गौरतलब है कि मप्र में भाजपा ने 51 फीसदी वोट के साथ 200 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है, लेकिन हकीकत यह है की पार्टी के सामने बहुमत का आंकड़ा छूना भी मुश्किल बना हुआ है। इसका खुलासा पूर्व में सत्ता और संगठन को सौंपी गई संघ की रिपोर्ट में भी हो चुका है। संघ ने अपनी रिपोर्ट में उन 160 सीटों पर सत्ता और संगठन को काम करने के लिए कहा है जहां भाजपा काफी कमजोर है। वहीं यह भी बताया गया है कि वर्तमान में जिन 127 सीटों पर भाजपा काबिज है उनमें से केवल 70 सीटों पर ही पार्टी जीतने की स्थिति है। रिपोर्ट की मानें तो भाजपा वर्तमान समय में 100 सीटें भी नहीं जीत रही है।  शिवराज जा रहे हैं, कमलनाथ आ रहे हैं।
बता दें कि मप्र में इस साल नवबंर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसको लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस अभी से ही अपनी चुनावी तैयारियों में जुट गई है। चुनाव से पहले पार्टियों ने विधानसभा सर्वे कराने भी शुरू कर दिए हैं। कांग्रेेस सूत्रों का कहना है कि इसी कड़ी में पार्टी ने प्रदेश के सभी 230 विधानसभा सीटों पर सर्वे कराया है। यह सर्वे कर्नाटक चुनाव के बाद का है।  सर्वे में 16779 लोगों ने अपना मत दिया है। जिसमें प्रदेश में भाजपा को 60 से 75 के बीच ही सीटें मिलने का दावा किया गया है। इस सर्वे को जारी करते हुए कांग्रेस ने लिखा है- शिवराज जा रहे हैं, कमलनाथ आ रहे हैं।


आधे से अधिक विधायक खतरे में
गौरतलब है कि उधर भाजपा ने भी अभी तक 3 सर्वे और संघ ने करीब आधा दर्जन सर्वे करवाया है, जिसमें भाजपा की स्थिति साल दर साल कमजोर होती जा रही है। यही कारण है कि भाजपा के बड़े पदाधिकारियों के साथ ही संघ के नेताओं का फोकस मप्र पर है। प्रदेश में सरकार और मंत्रियों के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी है। इसको खत्म करने के लिए पार्टी और संघ कई कार्यक्रम बनाकर सक्रिय हैं। लेकिन उसके बाद भी स्थिति सुधर नहीं रही है। एक तरफ मप्र में भाजपा गुजरात की तरह रिकॉर्ड जीत हासिल करने के फॉर्मूले पर काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ संघ ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कहा गया है कि पार्टी प्रदेश की 230 में से 160 सीटों पर कमजोर है। दरअसल, साल 2018 के आम चुनाव में नंबर गेम में पिछडऩे के बाद भाजपा उस समय विधानसभा चुनाव में हारी हुई 103 सीटों को जीतने की रणनीति बनाकर काम कर रही थी। लेकिन संघ ने भाजपा के कब्जे वाली 57 सीटों को भी कमजोर बताकर पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अब भाजपा के सामने बहुमत तक पहुंचने के लिए इन 160 सीटों में से 47 सीट जीतने की चुनौती है।


उपचुनाव वाली सीटों पर भी बिगड़ा खेल
प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का आलम यह है कि उपचुनाव वाली सीटों पर भी पार्टी की स्थिति खराब है। गौरतलब है कि 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने 2018 में हारी इन 21 सीटों जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांण्डेर, पोहरी, बमोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, पृथ्वीपुर, बड़ामलहरा, अनूपपुर, सांची, हाटपिपल्या, मांधाता, नेपानगर, जोबट, बदनावर, सांवेर और सुवासरा को जीत लिया है। लेकिन पार्टी -इन्हें भी चुनौतिपूर्ण मानकर चल रही है।


कब्जे वाली 57 सीटों पर भाजपा कमजोर
भाजपा वर्तमान समय में जिन 127 सीटों पर काबिज है, उनमें से 57 सीटों पर हार का खतरा मंडरा रहा है। ये सीटें हैं- विजयपुर, जौरा, अम्बाह, मेहगांव, ग्वालियर, भांडेर, पोहरी, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोकनगर, मुंगावली, बीना, नरियावली, टीकमगढ़, निवाड़ी, जतारा, पृथ्वीपुर, खरगापुर, चंदला, मल्हरा, जबेरा, पवई, नागौद, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, देवतालाब, चुरहट, सीधी, सिंगरौली, ब्यौहारी, अनूपपुर, मुडवारा, सिहोरा, मंडला, परसवाड़ा, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, सांची, बासौदा, हाटपिपल्या, मांधाता, पंधाना, नेपानगर, बड़वानी, जोबट, धार, बदनावर, इंदौर-5, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम ग्रामीण, जावरा, सुवासरा, मनासा, नीमच आदि।