फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


दोस्तों, सफलता में अंकों का बहुत महत्व होता है। अंक अर्थात् गणना करने के लिए आवश्यक वह तत्व जिसके बिना किसी भी गणितीय ज़रूरत या गणना को पूरा नहीं किया जा सकता हो। तभी तो हमारे जीवन के हर पहलू में इसका अपना एक अलग महत्व रहता है। जैसे, अंकों से उम्र की गणना की जा सकती है या परीक्षा में प्राप्त किए अंक पढ़ाई में आपके द्वारा अर्जित की गई सफलता को दर्शाता है या फिर बैलेंस शीट के अंक व्यापार में आपकी सफलता दर्शाते हैं। इतना ही नहीं दोस्तों, अंकों के आधार पर आप व्यक्ति के स्वभाव, उसकी आदतों, सोचने और काम करने के तरीके का अंदाज़ा लगा सकते हैं और यही अंक आज बिग डेटा, कम्प्यूटर और आर्टीफ़िशियल इंटेलिजेन्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के द्वारा हमारे जीवन को और बेहतर बना रहे हैं।

वैसे दोस्तों, अंकों के द्वारा गणना करने का चलन कोई नया नहीं है। हमारे देश भारत को तो वैसे भी शून्य का जनक माना गया है और हिंदू शास्त्रों में तो अंकों को सामान्य से अलग बल्कि यह कहना बेहतर होगा कि ज़्यादा बेहतर नज़रिए से देखा और परिभाषित किया गया है, जिसके पौराणिक आधार भी उपलब्ध हैं। इसे मैं आपको कुछ उदाहरणों से समझाने का प्रयास करता हूँ। जैसे अंक एक, सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर या परमशक्ति का प्रतीक है। अंक दो, को हम दार्शनिक आधार पर आत्मा और परमात्मा से जोड़ सकते हैं क्यूँकि ईश्वर और जीव से मिलकर ही यह सृष्टि बनी है। अंक तीन, तीनों लोकों अर्थात् स्वर्गलोक, मृत्युलोक एवं पाताल लोक को दर्शाता है। अंक चार, हिंदू धर्म के आधार, हमारे चारों वेद अर्थात् ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के बारे में बताता है। अंक पाँच, हमें पंचतत्वों अर्थात् धरती, जल, अग्नि, आकाश और पवन का भान कराता है और ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण सृष्टि का निर्माण इन्हीं पांच तत्वों के मिलने के कारण हुआ है। अंक छः, हमें छः ऋतुओं अर्थात् वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर का बोध कराता है। अंक सात, संगीत के सात सुर या फिर इंद्रधनुष के सातों रंगों की याद दिलाता है। अंक आठ, दिन के आठों पहर तथा अंक नौ, भक्ति के नौ प्रकार अर्थात् श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवा, अर्चना, वंदना, मित्र, दासत्व और आत्मनिवेदन को दर्शाता है और अंक दस, हमें दसों दिग्पाल  इंद्र, यम, कुबेर, वरूण, ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, अग्नि, नैऋत्य और पवन देवता की याद दिलवाता है। 

कुल मिलाकर कहूँ तो पुरातन काल से लेकर आधुनिक समय तक, अंक हमेशा हमारे जीवन से किसी ना किसी रूप में जुड़े रहे हैं और अक्सर इन का प्रयोग सफलता को आंकने के लिए भी किया जाता रहा है। जैसा पहले मैंने आपको परीक्षा के परिणाम, आपकी हैसियत आदि से जोड़कर बताया है। दोस्तों, ऐसा ही एक विशेष अंक हमारा आज का शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ बनने जा रहा है। जी हाँ दोस्तों, आज के एपिसोड के साथ ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ अपने साढ़े सात सौ एपिसोड पूरे करने जा रहा है। जो कि  अपने आप में ही एक रेकॉर्ड है। जी हाँ दोस्तों ‘सेल्फ़ डेवलपमेंट’ अर्थात् खुद या अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक बातों को सिखाने वाला यह शायद भारत का एकमात्र शो है जो पिछले साढ़े सात सौ दिनों से लगातार बिना एक भी दिन का ब्रेक किए चल रहा है।

अगर आज मैं पीछे पलटकर देखूँ दोस्तों, तो इस सफलता के पीछे मुझे ईश्वर का आशीर्वाद, आपका स्नेह और रोज़ उठाया एक छोटा सा कदम नज़र आता है। जी हाँ दोस्तों, एक छोटा सा कदम, जिसमें पिछले साढ़े सात सौ दिनों में मैंने जीवन के कई रंग देखे हैं। कभी आप घर पर पूरी तरह फ़्री थे, तो कभी व्यवसायिक ज़िम्मेदारियों के चलते अत्यधिक व्यस्त। कभी आप ट्रैवल कर रहे थे, तो कभी आप अपने घर पर रिलैक्स कर रहे थे, कभी आपका या आपके परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक नहीं था, तो कभी कोविद जैसी महामारी का प्रकोप, दिन कैसा भी रहा हो साथियों, ईश्वर के आशीर्वाद और आपके सहयोग से मेरा लक्ष्य सिर्फ़ एक ही रहता था, ‘किसी भी तरह आज का एपिसोड सही समय पर पूरा करना।’ जी हाँ, मैंने हमेशा सिर्फ़ और सिर्फ़ आज उठाए जाने वाले कदम के बारे चिंता करी और निरंतरता के साथ उठाया गया यही छोटा सा कदम मेरी ज़िंदगी में मील का एक पत्थर बन गया।

दोस्तों, जीवन में सफल होने का सिर्फ़ और सिर्फ़ यही एक मूल मंत्र है। अगर आप बड़ी-बड़ी संख्याओं या लक्ष्यों को पाना चाहते हैं या फिर कोई नया रेकॉर्ड बनाना चाहते हैं तो उसे बनाने वाले अंकों को भूलकर, पूरी कंसिसटेंसी के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लक्ष्य को पाने के लिए रोज़ उठाने वाले कदम पर ध्यान लगाएँ और सफल हो जाएँ।

एक बार पुनः ज़िंदगी ज़िंदाबाद को अपना स्नेह, अपना प्यार देने के लिए धन्यवाद।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com