प्रयागराज | भीषण ठंड और कोहरे के बीच माघ मेले के प्रथम स्नान का श्रीगणेश पौष पूर्णिमा से हो गया। गंगा, यमुना और अदृश्य संगम में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सर्व सिद्धि योग में पुण्य की डुबकी लगाई। मेले में सुरक्षा व्यवस्था का व्यापक बंदोबस्त किया गया है। संगम तट पर एटीएस कमांडों को तैनात किया गया है। पौष पूर्णिमा डुबकी के साथ कल्पवासियों का मास पर्यंत चलने वाला अनुष्ठान शुरू हो गया है।शुक्रवार को भोर से ही हर हर महादेव और हर हर गंगे के उद्घोष के साथ पुण्य की डुबकी शुरू हो गई।

बुधवार से ही श्रद्धालुओं का संगम पर पहुंचने का सिलसिला चालू हो गया था। माघ मेले में कुल 14 स्नान घाट बनाए गए हैं। कोविड प्रोटोकाल के साथ ही श्रद्धालुओं को मेले में प्रवेश दिया जा रहा है। सभी की थर्मल स्कैनिंग की जा रही है।रोज से ज्यादा शुक्रवार को कोहरे और ठंड का प्रकोप दिखा। बृहस्पतिवार को पारा लुढ़ककर पांच डिग्री पर पहुंच गया था। बावजूद इसके श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। भोर से ही स्नान दान का सिलसिला शुरू हो गया।

संतों की टोलियां भी स्नान के लिए संगम पहुंचेंगी। प्रथम स्नान पर्व पर आधी रात के बाद ही मेला क्षेत्र में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। इस दौरान ट्रैक्टर-ट्राली पर पुआल, लकड़ी,चूल्हा और गृहस्थी के सामान लेकर कल्पवासी अलग मार्गों से अपने शिविरों में पहुंचते रहे। इसी के साथ आम श्रद्धालुओं का भी रेला आधी रात से ही संगम की ओर बढ़ने लगा।

सवा पांच लाख रुद्राक्ष से बने महाकाल की यज्ञशाला में होगा राष्ट्र रक्षा महायज्ञ

महाकुंभ के रिहर्सल के रूप में बसे माघ मेले में इस बार महाकाल की यज्ञशाला देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान खींचेगी। इस यज्ञशाला में शुक्रवार से महीने भर चलने वाला राष्ट्ररक्षा महायज्ञ आरंभ होगा।सेक्टर तीन में खाक चौक स्थित महावीर मार्ग पर स्थित इस यज्ञशाला में सवा पांच लाख रुद्राक्ष के मनकों से महाकाल का पांच फुट ऊंचा शिवलिंग बृहस्पतिवार की शाम तैयार कर लिया गया। विशाल यज्ञ वेदी में चार चरणों में स्हस्त्र त्रिशूल स्थापित किए गए हैं।

इसमें काले रंग के घेरा वाले त्रिशूल आतंक के विनाश के लिए, सफेद रंग के घेरे वाले त्रिशूल ज्ञान-विद्या के लिए और इसी तरह लाल रंग के त्रिशूल अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए और पीले त्रिशूल शत्रु पराजय की कामना से लगाए गए हैं।इस महाकाल यज्ञशाला में पौष पूर्णिमा की सुबह सात बजे शिव योगी मौनी स्वामी लेटकर मंगल यात्रा की शुरुआत करेंगे। यह यात्रा महावीर पांटून पुल से होकर संगम तट पर पहुंचेगी।

वहां वह डुबकी लगाने के बाद उसी क्रम में यज्ञशाला वापस आएंगे और वहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ आरंभ होगा।इस यज्ञशाला में राष्ट्र रक्षा की कामना से सवा पांच लाख आहुतियां दी जाएंगी। साथ 1.51 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। मौनी बाबा ने बताया कि यह उनका 37वां अनुष्ठान है। इससे पहले माघ मेले में उन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए महायज्ञ किया था।