फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, जीवन में घट रही अनपेक्षित घटनाओं को देख या मनमाफ़िक परिणाम ना पाकर अक्सर हमें लगता है कि अभी हमारी क़िस्मत या हमारा समय सही नहीं चल रहा है और हम जीवन में आ रही हर चुनौती या विपरीत परिस्थिति को भी इसी नज़रिए से देखने लगते हैं। लेकिन हक़ीक़त में ऐसा होता नहीं है दोस्तों, हमारे जीवन में घटने वाली हर घटना असल में हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए ही घटती है बस कई बार हम उसे समझ नहीं पाते हैं। चलिए इस स्थिति को मैं आपको एक काल्पनिक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ-

बात कई वर्ष पुरानी है, एक दिन बंसी अपना सामान उठाकर गुनगुनाता हुआ, खुशी-खुशी कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे इस तरह जाता देख उसके बचपन के दोस्त चिंटू ने देख लिया। चिंटू ने उसी वक्त आवाज़ देकर बंसी को रोका और बोला, ‘क्या बात है बंसी भाई, बड़े खुश नजर आ रहे हो।’ बंसी मुस्कुराता हुआ बोला, ‘चिंटू भाई, मेरी शादी हो गई है, बस उसी की ख़ुशी में हूँ। तुम सुनाओ कैसे हो?’ चिंटू हंसते हुए बोला, ‘बंसी मैं भी अच्छा हूँ लेकिन तुम तो बड़े भाग्यशाली हो भाई!”

चिंटू की बात सुन बंसी को हंसी आ गई और वह एक ही साँस में बोला, ‘शायद नहीं, क्योंकि मेरी शादी एक बहुत ही घमंडी लड़की से कर दी गई है और उसने मुझसे एक बड़ा सा घर, ढेर सारे कपड़े, बड़ी गाड़ी और भी बहुत सी महँगी-महँगी चीज़ें माँगी थी, जो मेरे पास नहीं थी।” बंसी की बात सुन चिंटू बड़े धीरे से बोला, ओह!, यह तो बड़े दुःख की बात है।’ बंसी इस बार और जोर से मुस्कुराया और बोला, ‘शायद नहीं, क्योंकि मैं उसे बहुत चाहता हूँ । इसीलिए मैं खुश हूँ कि वह कम से कम मेरे साथ तो है।”

“वाह!, बड़े भाग्यशाली हो भाई”, चिंटू खुश होकर बोला। “शायद नहीं भैया, क्योंकि शादी के अगले ही महीने मेरे गाँव में बाढ़ आ गई”, बंसी ने जवाब देते हुए कहा। चिंटू एक बार फिर स्तब्ध था, उसे समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दे। फिर भी उसने बात आगे बढ़ाते हुए कहा , ‘अरे रे…, यह तो बड़े दुःख की बात है।’ ‘शायद नहीं, क्योंकि मैं अपना सारा सामान तब तक गाँव में घर पर लेकर गया ही नहीं था।”, बंसी बोला। चिंटू के चेहरे पर एक बार फिर से हंसी थी। उसने रीऐक्ट करते हुए कहा, ‘अरे वाह! बड़े भाग्यशाली हो भाई।’

लेकिन तब तक बंसी फिर गम्भीर हो, उदासी भरे स्वर में बोला, ‘नहीं भाई, शायद नहीं, क्योंकि जब बाढ़ आयी, तो मेरी पत्नी गाँव में घर पर एकदम अकेले ही थी।’, बंसी की बात सुन चिंटू घबरा गया और बोला, ‘ओहो, ये तो बड़े दुःख की बात है।’ लेकिन तब तक बंसी के चेहरे पर हंसी आ गई थी, वह बोला, ‘नहीं, नहीं, बिलकुल नहीं, क्योंकि मैं बाढ़ में कूद पड़ा और अपनी प्यारी पत्नी को सही-सलामत बाहर निकाल लाया और जानते है सबसे अच्छी बात क्या हुई। इस घटना से उनसे सीख लिया है कि सबसे प्यारी चीज ‘ जिंदगी ’ है और अब उसने किसी भी तरह की डिमांड रखना बंद कर दिया है।’

दोस्तों, कहानी सुनकर आपको ऐसा लग रहा होगा कि यह सब तो कहानियों और फ़िल्मों में ही होता है। लेकिन यह कहीं से भी सही नहीं है। मेरे स्वयं के साथ भी ऐसा ही हुआ है। मैंने कक्षा ग्यारहवीं में रहते हुए कम्प्यूटर का व्यवसाय शुरू करा और जल्द ही उसमें सफलता प्राप्त करी। और फिर अपनी बाइक और सेकंड हेंड कार भी ले ली। लेकिन अचानक ही मुझे व्यवसाय में घाटा हुआ और मुझे अपनी सम्पत्ति के साथ गाड़ी वग़ैरह सब बेचना पड़ा।

इसके बाद मैंने एक बार फिर से जीवन की नई शुरुआत करी और ईश्वर की कृपा से सब कुछ ठीक हो गया। लेकिन 2007 में व्यवसाय बदलते वक्त एक बार फिर से मुझे बड़ा नुक़सान हुआ और क़र्ज़ बढ़ गया। इसका असर इतना व्यापक था कि उससे निपटकर, वापस उठने के लिए मुझे, पत्नी और बिटिया तीनों लोगों को तीन अलग-अलग स्थान पर रहना पड़ा। लेकिन जल्द ही सफलता और असफलता के मिश्रित अनुभव ने मुझे मोटिवेशनल स्पीकर और एजुकेशनल कंसलटेंट के रूप में नई पहचान दी। अब जब सब कुछ ठीक लगने लगा था तभी कोरोना आया और एक बार फिर से स्कूल का कार्य पूरी तरह थम सा गया। मैंने स्वयं को व्यस्त रखने और समय का सदुपयोग करने के लिए अपने जीवन के सभी अच्छे-बुरे अनुभवों के साथ अपना न्यूज़ पेपर कॉलम ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है!’ और रेडियो शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ शुरू किया जो आज अपने 700 एपिसोड पूरे कर चुका है।

दोस्तों, जीवन में घटने वाली हर घटना को प्रसाद के रूप में स्वीकारना, उससे सीखना, सकारात्मक रहते हुए कभी हार ना मानना वाला दृष्टिकोण रखना और मेहनत करना ही सफलता का मूल सूत्र है।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com