ग्वालियर ।    डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की नवीन डीआरडीई (रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना) लैबोरेटरी का शिलान्यास मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वर्चुअल माध्यम से रिमोट दबाकर किया। महाराजपुरा में 143 एकड़ में प्रस्तावित यह बीएसएल-4 लैब रक्षा मंत्रालय की पहली विश्वस्तरीय लैबोरटरी होगी।राजभवन भोपाल के कार्यक्रम स्थल पर राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल मंगुभाई पटेल, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, डीआरडीओ के निदेशक (जैव विज्ञान) डा. यूके सिंह उपस्थित थे। वहीं ग्वालियर में लैब के प्रस्तावित स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में सांसद विवेक शेजवलकर, डीआरडीई लैब के निदेशक डा. मनमोहन परीडा, बीज विकास निगम के अध्यक्ष मुन्नाालाल गोयल, पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल, कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, निगमायुक्त किशोर कान्याल व सीईओ जिला पंचायत आशीष तिवारी मौजूद रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भोपाल में जैसे ही रिमोट का बटन दबाया, ग्वालियर स्थित कार्यक्रम स्थल पर लगी शिला का अनावरण हो गया। इस दौरान उपस्थित जनसमूह ने करतल ध्वनि से हर्ष व्यक्त किया। यहां बता दें कि यह देश की दूसरी और रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत पहली प्रयोगशाला होगी, जिसमें खतरनाक सूक्ष्मजीवों पर अनुसंधान कार्य संभव होगा और भविष्य में होने वाली आपदाओं का सामना प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। वर्ष 2026 तक यह प्रयोगशाला बनकर तैयार हो जाएगी और इसमें अनुसंधान कार्य आरंभ हो जाएंगे। वर्तमान में ऐसी देश में इकलौती लैब पुणे में है।

विशेष प्रयासों से बचीं 10 हजार करोड़ की संपत्तियां

वर्तमान में डीआरडीई की लैब सिटी सेंटर में स्थित है, जिसके 200 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित था। रक्षा मंत्रालय के इसी नियम के आधार पर यहां दस हजार करोड़ की संपत्तियां खतरे में आ गईं थीं। मामला हाई कोर्ट में पहुंचा तो अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए। इसके बाद माननीयों ने लैब शिफ्टिंग को लेकर कई विभागों को पत्र लिखे। हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे कर दिया। इसके बाद शासन स्तर पर डीआरडीई की नई लैब के लिए महाराजपुरा में जमीन आवंटित हुई।