बारां। कोटा संभाग के बारां जिले में लहसुन उत्पादक किसानों से इस बार राम भी रूठा है और राज भी रूठा है। राम और राज के रूठ जाने से किसान खासे परेशान हैं। जिले की सबसे बड़ी कृषि उपज मंड़ी में लहसुन की आवक तो रोज हो रही है ,पर भाव नहीं मिलने से किसान निराश हैं। इसके कारण किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही इस समय कम भाव पर लहसुन को बेचना किसान की मजबूरी बनी हुई है।
  किसानों को लहसुन की उपज निकाले करीब 8 महीने से अधिक का समय गुजर गया, पिछले वर्ष भी लहसुन का कम भाव मिलने से किसानों ने लहसुन नहीं बेचा और लहसुन के लिए घर पर वातानुकूलित स्टोरेज बनाकर रख लिया। जब एक समय सीमा के बाद लहसुन खराब होने लगा तो अधिक संख्या में किसानों ने मंड़ी की ओर रूख किया। भाव पिछले वर्ष की तुलना में कम रहने से किसानों की मेहनत पर फिर से पानी फिर गया और लहसुन संग्रहण करने से लेकर मंड़ी लाने तक का लागत मूल्य भी बढ़ गयी। जिससे किसानों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
  जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर साकली सीमली से आये किसान शोभागमल मीणा ने बताया कि हम नुकसान में लहसुन बेच रहे, नहीं तो यह खराब हो जाएगी। हमारी लागत भी नहीं निकल रही है, हम मंड़ी में जो लहसुन बेचने के लिए लाये पिछले 8 महीने से घर में रखा हुआ था, पहले हमने उपज निकालने के साथ ही लहसुन मंड़ी में बेच दिया और जिसका भाव 1100 रुपये क्विंटल था अब भाव और भी कम हो गया और अब हमें 500 रुपये क्विंटल का भाव मिल रहा है, हमने 5 बीघा में लहसुन की खेती की थी। आज से एक महीने बाद फिर से लहसुन की बुवाई शुरू हो जाएगी।
  कोटा संभाग के पीपल्दा तहसील क्षेत्र से आये किसान मुरारीलाल सुमन ने बताया कि इस समय हमें लहसुन की मजदूरी भी नहीं मिल पा रही। भाव पहले से कम देखने को मिल रहे है जिससे निराश हैं, लहसुन को करीब एक साल होने को आया फिर से लहसुन की बुवाई शुरू हो जाएगी और हमें खेत मंड़ी तक लाने की लागत भी नहीं मिल पा रही। बारां कृषि उपज मंड़ी के सचिव मनोज मीणा ने बताया कि बताया कि मंड़ी में लहसुन की रोजाना 3 हजार क्विंटल आवक हो रही है। लहसुन का भाव 900 से लेकर 3500 रुपये क्विंटल तक का है। कोटा रोड स्थित दुकान लगाने वाले फुटकर विक्रेता बंटी ने बताया कि हम मंड़ी से ग्राहक की क्वालिटी के हिसाब से लहसुन 15 से 20 रुपये किलो की खरीद का लहसुन लाते है और ग्राहकों को 30 रुपये किलो तक लहसुन बेच रहे हैं।