बॉलीवुड अभिनेता वरुण शर्मा आज फिल्म इंडस्ट्री में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अपनी कॉमेडी और दमदार अभिनय के दम पर वरुण फिल्मों में जान डाल देते हैं। आज वरुण शर्मा फिल्म इंडस्ट्री का जाना माना चेहरा बन चुके हैं। वरुण की मुस्कुराहट और उनकी मासूमियत भरे अंदाज पर दर्शक फिदा हो जाते हैं। वरुण 'फुकरे' और 'छिछोरे' जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीत चुके हैं।वरुण शर्मा आज भले ही आलीशान जीवन जीते हों, लेकिन एक समय था जब उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। अपनी मेहनत और संघर्षों के दम पर वरुण शर्मा ने आज यह मुकाम हासिल किया है। वरुण शर्मा का जन्म 4 फरवरी 1990 में हुआ था। वह आज अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास किस्से...

वरुण शर्मा ज्यादातर फिल्मों में कॉमेडी करते नजर आते हैं। अपने नौ साल के फिल्मी करियर में वरुण ने कई यादगार रोल से लोगों के हंसाया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां तक आने के लिए उन्हें काफी संघर्षों के सामना करना पड़ा और धक्के खाने पड़े। कुछ समय पहले इंटरव्यू के दौरान एक्टर ने अपने स्ट्रगल के बारे में बताया था। फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए वरुण शर्मा को उस दौर से भी गुजरना पड़ा, जब उन्हें डायरेक्टर ने धोखा दे दिया था। वरुण ने अपने संघर्ष के दिनों में ऐसा समय भी देखा है, जब उन्हें पेंट के डिब्बों में खाना खाने को मजबूर होना पड़ा था।

वरुण शर्मा ने इंटरव्यू के दौरान अपनी संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया था कि एक निर्देशक ने उन्हें धोखा दे दिया था। वरुण ने बताया था, 'मुझे एक फिल्म साइन हुई थी, जिसके लिए मुझे कहा गया था कि आप हीरो के दोस्त हो, लेकिन मेरा ऑडिशन तक नहीं लिया गया था। जब मैं उनके पास पहुंचा तो मुझसे कॉन्ट्रैक्ट साइन करवा लिया। उस कॉन्ट्रैक्ट के पेपर्स में केवल चार लाइनें लिखी थी। मैंने पूछा यह कैसा कॉन्ट्रैक्ट? वरना कॉन्ट्रेक्ट का मतलब एक किताब होता है, जहां कई पन्ने होते हैं, लेकिन वह सिर्फ चार लाइन का कॉन्ट्रेक्ट था। मैंने भी साइन कर दिया, क्योंकि मुझे उस वक्त ज्यादा समझ नहीं थी। उसके बाद ट्रेन से उन्होंने हमें सेट पर भेजा'।

वरुण ने इस बात का भी खुलासा किया था कि कैसे उन्हें पेंट के डब्बे में खाना खाने को मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने बताया था, 'जब मैं शूटिंग के सेट पर पहुंचा, तब जाकर मुझे पता चला कि मैं हीरो का दोस्त नहीं हूं, बल्कि साइड आर्टिस्ट हूं। उन्होंने इस बारे में मुझे पहले कुछ नहीं बताया था। इसके बाद जब शूटिंग होती थी, तब आगे सब शूट होता था और मैं पीछे बस चलता रहता था, पर मुझे लगा ठीक है। एक तरह का तजुर्बा हो जाएगा। फिर एक दिन खाना आया, तो उन्होंने हमें पेंट के डिब्बों में खाना दिया। उन डिब्बों पर बाहर से पेंट के ब्रांड का नाम लिखा हुआ था और उसके अंदर खाना था। यह देखकर सबको रोना आ गया और मेरी भी आंखों में आंसू आ गए।'