चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति मां महागौरी की पूजा करने का विधान है. मां महागौरी माता पार्वती का वो स्वरूप हैं जो भगवान श्री गणेश की माता के तौर पर भी जानी जाती हैं. माता का ये रूप सौन्दर्य, ऐश्वर्य बुद्धिमता प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त बच्चों से उड़ी हर समस्या जैसे उनकी लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ आदि के लिए भी मां महागौरी का व्रत पूजन अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. ऐसे में आज हम आपको मां महागौरी की उस कथा से अवगत कराएंगे जब महादेव के अपार प्रेम देवी गंगा की पवित्रता के संगम से प्रगट हुईं मातामां महागौरी का स्वरूप
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी महागौरी है. इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है. मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ मोहक है. देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं. इनके वस्त्र आभूषण आदि भी सफेद ही हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. महागौरी का वाहन बैल है. देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है. इनका स्वभाव अति शांत है. माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य, प्रदायिनी चैतन्यमय भी कहा जाता है.

मां महागौरी की पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ सुंदर वस्त्र धारण करें.
- सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गंगा जल छिड़ककर शुद्ध करें.
- फिर गणेश जी की मूर्ती को स्थापित करें. इसके बाद माता की मूर्ती की भी स्थपना करें.
- फिर कलश पूजन करें. गणेश जी माता को पंचामृत से स्नान कराएं.
- स्नान के पश्चात गणेश जी को नए वस्त्र पहनाएं माता का शृंगार करें.
- माता को गुड़हल का फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी आदि अर्पित करें.
- गणेश जी मां महागौरी को प्रेम पूर्वक भोग लगाएं.
- इसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती कर गणेश स्तोत्र का पाठ करें.
- गणेश स्तोत्र के बाद महागौरी चालीसा का पाठ करें माता मंत्रों का जाप करें.
- फिर अंत में गणेश जी माता की सह परिवार आरती करें.
ध्यान रखें कि माता का महागौरी रूप बालक गणेश की मां के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि माता की आरती पूजा पाठ के साथ साथ गणेश जी की भी आरती पूजा पाठ ज़रूर करें.

मां महागौरी के मंत्र
- पूजा मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
ओम देवी महागौर्यै नम:।।
- ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनाम्।।
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थिता अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कतं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीया लावण्या मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्।।

- कवच मंत्र
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां ह्रदयो। क्लींबीजंसदापातुन भोगृहोचपादयो।।
ललाट कर्णो हूं बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों। कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो।।

मां महागौरी की पूजा का महत्व
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं. जिससे मन शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है. देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती हैं. इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है. जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. संकल्प लेकर की गई पूजा से मां प्रसन्न होकर सुंदरता, धन संपदा सफलता का आशीष देती हैं. मां महागौरी की पूजा अर्चना से घर के भंडार सदैव अन्न से भरे रहते हैं.
मां महागौरी को गणेश जी की माता माना गया है. ऐसे में इनकी पूजा से गणेश जी का भी विशेष आशीर्वाद मिलता है. गणेश जी की कृपा व्यक्ति के जीवन में आने वाले विघ्न दूर हो जाते हैं उसके सभी रुके हुए या नए कार्य पूरे होने लगते हैं. मां के इस रूप की पूजा से संतान प्राप्ति संतान से जुड़ी हर समस्या का निवारण भी हो जाता है.

मां महागौरी की कथा
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं. पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था. वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया. जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया.

दूसरी पौराणिक कथा
वहीं, दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद मां का श्वेतवर्ण माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया. देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी. ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया. इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया. इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया. आपको बता दें मां पार्वती ही देवी भगवती का स्वरूप हैं.
मां महागौरी का प्रिय भोग
मां दुर्गा के आठवें रूप को माता महागौरी कहा जाता है. नवरात्रि के आठवें दिन यानि महाअष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजी होती है. माता महागौरी वृषभ की सवारी करती हैं. उनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है. माता की चार भुजाएं हैं. जो भक्त माता महागौरी की पूजा करते हैं मां उनपर सदा अपनी कृपा बरसाती है. माता गौरी को नारियल नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. आप माता को नारियल से बनी बर्फी का भोग लगा सकते हैं.

मां महागौरी की पूजा का खास उपाय
यदि किसी जातक के दांपत्य जीवन में कलह घर कर गई है, तो महागौरी की पूजा से उसे विशेष लाभ होगा. महागौरी की साधना से सभी प्रकार के विवाद एवं गृह क्लेश दूर होते हैं. ऐसे में तेल या घी का दीपल जलाएं. दीपक मिट्टी का लें. उसके बाद 5 राई के दाने लेकर माता महागौरी पूजा मंत्र का जाप करते हुए पूरे घर में घुमाएं. उसके बाद उन राई के दानों को जलते हुए दीपक में डाल दें. दीपक को मात के आगे से उठाकर घर से दूर किसी कचरे के डब्बे के पास ले जा कर रख दें. फिर लौट कर घर आजाएं. घर आते वाकत पीछे मुड़कर न देखें.