फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, ख़ुशी कोई बाज़ार में पैसों या किसी और चीज़ अर्थात् वस्तु को देकर ख़रीदी नहीं जा सकती है। बल्कि यह तो एक ऐसी कला है जो हमारा मन जन्म से ही जानता है। लेकिन अकसर हम अपनी बदली हुई प्राथमिकताओं की वजह से इसे भूल जाते हैं। कल ही की बात ले लीजिए, ग्वालियर में एक कार्यक्रम के बाद एक सज्जन ने मुझसे कहा, ‘सर, आपकी शैली, आपकी कही बातें एकदम दिल को छू जाती हैं। आप हमारे देश में प्रसिद्ध फलाने मोटिवेशनल स्पीकर से कई गुना बेहतर हैं।’

मैंने तुरंत उन्हें टोका और कहा, ‘वे बहुत ही बढ़िया, समझदार, बेहतरीन और वरिष्ठ ट्रेनर हैं। उनकी अपनी शैली है और मेरी अपनी। वे अपनी योजना पर अपने तरीक़े से कार्य करते हुए लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे रहे हैं और मैं अपने। इसमें तुलना की कोई गुंजाइश ही नहीं है।’ 

दोस्तों, अकसर तुलना हमारी ख़ुशी, हमारी शांति छीन लेती है और हमें पता भी नहीं चलता। इसकी मुख्य वजह सिर्फ़ एक है, तुलना करते वक्त हम, ‘हमारे पास क्या है?’ से ध्यान हटाकर ‘हमारे पास क्या-क्या नहीं है?’ पर केंद्रित कर लेते हैं और फिर परेशान होते हैं। असल में दोस्तों तुलना करना एक प्रकार से अपनी ख़ुशी को किसी वस्तु या घटना से जोड़कर पोस्ट्पोन करने के समान है। उदाहरण के लिए-

सर्वप्रथम आपको तुलना से पता चला आपके पास क्या नहीं है, पता लगते ही आपने उसे पाने का लक्ष्य बनाया और सोचा अगर यह मिल जाएगा तो सब कुछ अच्छा और मन-माफ़िक़ हो जाएगा और मैं ख़ुशी-ख़ुशी अपने जीवन में आगे बढ़ जाऊँगा। लेकिन जब वह पल आता है अर्थात् जो आपने चाहा था वो आपको मिल जाता है, तब आप तुलना के द्वारा कुछ और लक्ष्य बना लेते हैं और अपनी ख़ुशी को उस लक्ष्य के साथ जोड़ देते हैं। 

अगर आप मेरी बात से सहमत ना हों या उसे अच्छे से समझ ना पाए हो तो चलिए इसे हम अपने ही जीवन से समझ लेते हैं। जब हम छोटे थे तब हमने पहले दसवीं, फिर बारहवीं बोर्ड की परीक्षा को अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण करने का लक्ष्य रखा था। यह पूरा होता उससे पहले ही हमें समझ आया कि अभी तो प्रतियोगी परीक्षा पास करके अच्छे कॉलेज में प्रवेश पाना होगा। ख़ाली अच्छे बोर्ड परिणाम से कुछ नहीं होगा। जब अच्छे कॉलेज में प्रवेश मिल जाता है तो हमें अच्छी नौकरी, फिर परिवार, फिर घर, गाड़ी, बच्चे, सुरक्षा आदि की चिंता सताने लगती है और हर बार हम अगले लक्ष्य के साथ अपनी ख़ुशियों, अपनी शांति को जोड़ देते हैं। सीधे शब्दों में कहूँ तो दस वर्ष पूर्व हम में से ज़्यादातर लोगों ने जिन चीजों को पाने के लक्ष्य बनाए थे और सोचा था कि अगर यह मुझे मिल गए तो मैं खुश हो जाऊँगा, आज वो हम में से ज़्यादातर के पास है। बस अगर कुछ नहीं है तो वह है ख़ुशी और शांति क्यूँकि अब वह अगले दस वर्षों के लक्ष्य के साथ जुड़ी है।

असल में दोस्तों, इन भौतिक लक्ष्यों के चक्कर में हम भूल गए हैं कि हमारा मन खुश रहने की कला जानता है। अगर हम अपनी सोच, दृष्टिकोण में बदलाव कर जीवनशैली में छोटे-मोटे बदलाव कर लें तो बड़ी आसानी से खुश, मस्त और शांत रहते हुए, अपना जीवन जी सकते हैं। आईए, आज हम तीन छोटे सूत्रों से जीवन की कमान अपने हाथ में लेकर खुश, मस्त और शांत रहना सीखते हैं-

1) आंतरिक और बाह्य अर्थात् भौतिक लक्ष्यों के अंतर को समझें 
दोस्तों, जीवन में हमें दो तरह के लक्ष्यों को पाना होता है पहले आंतरिक अर्थात् ख़ुशी, मस्ती, शांति, प्यार, हिम्मत, साहस, सहानुभूति, केयर, विनम्रता आदि। यह सभी आंतरिक लक्ष्य हम जन्म के समय ही अपने साथ, अपने अंदर छुपाकर लाते हैं। हमें इन्हें सिर्फ़ अपने अंदर ही खोजना होता है। जब तक आप इन्हें नहीं पा लेंगे, तब तक बाहरी लक्ष्य पाना मुश्किल होगा और अगर आप किसी तरह उन्हें पा भी लेंगे तो भी वे आपको मज़ा नहीं दे पाएँगे। बाह्य अर्थात् बाहरी लक्ष्य में नाम, पैसा, घर, गाड़ी, बंगला, पद आदि जैसी सभी भौतिक चीजें आती हैं।

2) दूसरों के मापदंड के अनुसार खुद को सही साबित करने का प्रयास ना करें 
दोस्तों, हर किसी की सफलता की अपनी परिभाषा, उसे देखने की अपनी दृष्टि हो सकती है। अगर आप उनकी परिभाषा या दृष्टि के अनुसार कुछ पाने का प्रयास करेंगे तो खुद के आंतरिक लक्ष्यों से दूर हो जाएँगे। ख़ुशी, शांति और मस्ती के साथ जीवन जीना चाहते हैं तो अपने जीवन को अपने अनुसार जीना शुरू करो।

3) जो आपके पास है, उसके लिए आभारी रहें, उसकी ख़ुशी बनाएँ 
दोस्तों 2007 में मेरे ऊपर क़र्ज़ा था, मैं उससे मुक्त होना चाहता था। मैं नाम और नई पहचान बनाने के लिए बेचैन था। मुझे हर हाल में अपने परिवार का साथ चाहिए था और आज यह सब मेरे पास है। अब आप ही बताइए अपने जीवन को मैं दूसरे ट्रेनर से तुलना करने में बर्बाद करूँ या जो है उसकी ख़ुशी बनाऊँ? आपके पास जो है अगर आप उसकी ख़ुशी बनाते हैं तो आप ख़ुशी-ख़ुशी नए लक्ष्यों को पा लेते हैं फिर भले ही वो भौतिक ही क्यूँ ना हों।

आशा करता हूँ दोस्तों तुलना से बचते हुए खुश, मस्त और शांत रहने के तीन सूत्र आपके जीवन को बेहतर बनाएँगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.coming