हिन्दू धर्म में शंख का न सिर्फ अत्यधिक महत्व है अपितु इसे बहुत पूजनीय भी माना जाता है. देवी देवताओं की पूजा के दौरान शंख को बजाना अत्यंत शुभ माना गया है.धर्म, ज्योतिष वास्तु तीनों ही शास्त्रों में शंख को पुण्यफलदायी, अपार सफलता प्रदायक देवी लक्ष्मी स्वरूपा बताया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी, मां दुर्गा भगवान विष्णु ने अपने हाथ में दक्षिणमुखी शंख धारण किया हुआ है. दक्षिणमुखी शंख अर्थात जिसका मुंह दक्षिण दिशा की ओर खुलता हो. इसी कारण से देवी लक्ष्मी, माँ दुर्गा भगवान विष्णु का वास भी दक्षिण दिशा में ही है. ऐसे में आये जानते हैं दक्षिणमुखी शंख के बारे में कुछ रोचक बातें.
दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार
- भारत में दो प्रकार के दक्षिणावर्ती शंख पाए जाते हैं. पहला नर दक्षिणमुखी शंख दूसरा मादा दक्षिणमुखी शंख.

- जिस शंख की परत मोटी भारी होती है, उसे नर दक्षिणावर्त शंख कहते हैं. वहीं, जो शंख पतला स्पर्श में हल्का होता है, उसे मादा दक्षिणावर्त शंख कहा जाता है.

- दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखना शुभ माना जाता है. इसकी नियमित पूजा करने से भगवान विष्णु माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. माना जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा से घर हमेशा धन धान्य से भरा रहता है.

दक्षिणावर्ती शंख के लाभ
- हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जिस घर में दक्षिण दिशा में शंख स्थापित होता है, उस घर में हमेशा देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

- घर में हमेशा धन-समृद्धि का वास होता है आर्थिक परेशानियां भी ख़त्म हो जाती हैं.

- वास्तु के अनुसार, दक्षिणमुखी शंख की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से घर में मौजूद किसी भी प्रकार की नकारात्मकता नष्ट हो जाती है सकारात्मक ऊर्जा का प्रसाव होता है.

- वहीं, दक्षिणावर्ती शंख को लाल रंग के कपड़े में लपेट कर तिजोरी में रखने से तंगी दूर होती धन के नए स्रोत खुलते हैं.

- ऐसा करने से वास्तु दोष से भी मुक्ति मिल जाती है.

- दक्षिणावर्ती शंख को घर के मंदिर में दक्षिण दिशा में स्थापित करने से नजर दोष का भी खात्मा होता है बुरी शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं हो पाता है.