फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, बच्चों को जीवन में सफल बनाने के हमारे द्वारा किए गए तमाम प्रयास, अक्सर सामान्य जीवन में हमारे द्वारा की जाने वाली चूकों की वजह से असफल हो जाते हैं और बच्चे हमारी आशा के विपरीत ग़ुस्सा, निराशा और तनाव की वजह से चिड़चिड़े हो जाते हैं। पिछले दो दिनों में हमने इसे दो घटनाओं और 10 चूकों से समझा है। आईए आगे बढ़ने से पहले उन 10 चूकों को संक्षेप में दोहरा लेते हैं-

1) बच्चों के सामने उसके शिक्षक या पालक से अनुचित व्यवहार करना
आप बच्चों को जिनकी मदद से विशेष बनाना चाहते हैं, उनका अपमान बच्चों के सामने करना उनके समक्ष ग़लत उदाहरण पेश कर, उनकी सीखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।

2) कैज़ूअल कपड़ों में विद्यालय जाना और शिक्षकों से मिलना
विद्यालय में बच्चों को जीवन में अनुशासित रहना सिखाया जाता है। ऐसे में आपका व्यवस्थित रूप से तैयार होकर विद्यालय जाना बच्चों के समक्ष अच्छा उदाहरण पेश करता है।

3) बच्चों के समक्ष अभद्र भाषा या अपशब्दों का प्रयोग करना
बच्चों का बालमन अच्छे और अपशब्दों के बीच के अंतर को नहीं पहचानता है। जब आप बच्चों के सामने अपशब्दों का प्रयोग करते हैं वे भी बिना सोचे-समझे उसी भाषा का प्रयोग करना शुरू कर देते।

4) छोटे बच्चों को अभद्र अर्थात् इनडिसेंट कपड़े पहनाना या अत्यधिक मेकअप करना
समय से पहले बच्चों को बनावटी दुनिया में रखना उनके बालमन में ग़लत धारणाओं को जन्म देता है, इससे बचें। ऐसा करना उनका बचपना समय से पहले खत्म कर देता है।

5) बच्चे के समक्ष काँच के सामान, क्रॉकरी, डिजिटल उत्पादों का सही तरीके से रखरखाव ना करना
घरेलू सामान का सही तरीके से रखरखाव ना करना बच्चों को भी उनका लापरवाही पूर्वक इस्तेमाल करना सिखाता हैं। बच्चों को क्रॉकरी से लेकर डिजिटल उपकरणों तक, सभी चीजों के प्रयोग का सही तरीक़ा सिखाएँ।

6) बच्चों के सामने लोगों को यथायोग्य सम्मान ना देना
बच्चों के ग़लत व्यवहार को मूड स्विंग मानकर नज़रंदाज़ करना उन्हें बिगड़ैल स्वभाव का बनाता है इसके विपरीत बच्चों के सामने लोगों को यथायोग्य सम्मान देना बच्चों को दूसरे का सम्मान करना सिखाता है।

7) बच्चों को उन चीजों के घर लाने पर ना टोकना जो आपने उन्हें नहीं दिलवायी हैं
अगर बच्चा उन चीजों को घर ला रहा है जो आपने उन्हें नहीं दिलवायी है यह चोरी जैसी ग़लत आदत की शुरुआत हो सकती है। इसे नज़रंदाज़ ना करें, उन्हें अपने और दूसरों के संसाधन का सम्मान करना कम उम्र से ही सिखाएँ।

8) बच्चों के सामने बड़ों का सम्मान ना करना उन्हें पलटकर जवाब देना सिखाता है। अगर बच्चे अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तो उन्हें 21वीं सदी का बच्चा मानने के स्थान पर टोकें और ज़रूरत के अनुसार अपने व्यवहार में ज़रूरी बदलाव लाएँ।

9) बच्चों द्वारा व्यस्कों के संवाद के दौरान बार-बार टोकना   
वयस्कों के संवाद के दौरान अगर बच्चा बार-बार आपको टोकता है तो इसे उसकी बोल्डनेस या चतुराई मानने के स्थान पर शिष्टाचार की कमी मानें। इसके स्थान पर उन्हें संयमित रहना सिखाएँ।

10) बच्चों के समक्ष अपने सहयोगियों या हेल्पर का सम्मान करें
बच्चों के समक्ष अपने अधीन कार्यरत लोगों का सम्मान करना उन्हें हर काम को एक नजर से देखना सिखाता है। इसके साथ ही उन्हें हेल्परों को भैया, चाचा आदि के नाम से बुलाने के स्थान पर सही तरीके से सम्बोधित करना सिखाएँ।

चलिए दोस्तों अब हम सामान्य जीवन में की जाने वाली अगली दस चूकों को समझने का प्रयास करते हैं-

11) मददगारों को धन्यवाद ना कहना
व्यस्तता अथवा अपनी पोज़ीशन की वजह से अपने मददगारों को धन्यवाद ना कहना बच्चों को, हर बात को ग्रांटेड लेना सिखाता है। इसे ‘इट्स कूल’ कहकर नज़रंदाज़ करना बुरी पेरेंटिंग की निशानी है। बच्चे जब लोगों अथवा चीजों के प्रति आभारी रहना सीखते हैं, तब वे मानवीय दृष्टिकोण के साथ, दूसरों की वैल्यू करना सीखते हैं।

12) मदद ना करना
जरूरतमंदों की मदद ना करना बच्चों को समाज के प्रति उत्तरदायी व दयालु रहना नहीं सिखा पाता है। इसके स्थान पर चीजों को कमज़ोरों के साथ साझा करना उन्हें समाज के प्रति उत्तरदायी और भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाता है।

13) हाइजीन ना रखना
बच्चों को हाइजीन का ध्यान रखना सिखाने के लिए खाने के पूर्व, वॉशरूम का उपयोग करने के बाद अथवा कहीं भी बाहर से आने के बाद हाथ धोना सिखाएँ। इसके साथ ही अपनी अलमारी, कपड़े, किताबें, रूम आदि को साफ़ रखना सिखाना भी ज़रूरी है। इसके लिए सर्वोत्तम तरीक़ा है, आप हाइजीन के साथ रहना शुरू कर दें, बच्चे को इसकी आदत अपने आप पड़ जाएगी।

14) बच्चों द्वारा बिना अनुमति के सामान लेना
अगर बच्चा बिना अनुमति के फ़्रिज, अलमारी या डेस्क पर से सामान ले रहा है और आप उसे इसके लिए टोक नहीं रहे हैं, तो आप उसमें टेकन फ़ॉर ग्रांटेड का भाव विकसित करना शुरू करते हैं। आगे चलकर यही भावना बच्चों को मतलबी बना सकती है।

15) बिना नॉक किए कमरे में आना
अगर बच्चा कमरे अथवा आपके कार्यालय का दरवाज़ा बंद देखने के बाद भी नॉक किए बिना प्रवेश कर जाता है तो आप उसे निजता का सम्मान करना नहीं सिखा रहे हैं। यह सिखाने का सर्वोत्तम तरीक़ा है कि आप अपने से बड़ों और छोटों दोनों कि निजता का सम्मान करना शुरू कर दें।

16) अपनों से बड़ों के कार्यों में हाथ बटाना
अगर आप बाज़ार से कुछ सामान लेकर घर आ रहे हैं और आपका बच्चा आपके हाथ से सामान लेकर निर्धारित जगह पर रखने में मदद नहीं कर रहा है अथवा आप घर की सफ़ाई या कोई अन्य काम कर रहे हैं और आपका बच्चा उस कार्य को पूर्ण करने में हाथ बटाने नहीं आ रहा है तो आप उसमें समानुभूति अर्थात् एमपैथी का भाव विकसित नहीं कर रहे हैं।

17) हर कार्य के बदले में उपहार की आस रखना
अगर बच्चा आपके द्वारा बताए गए हर कार्य के बदले में आपसे उपहार या सीधे शब्दों में कहूँ तो रिश्वत की आस रखता है तो इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ कि वह लालची और मतलबी बनता जा रहा है। इसके स्थान पर घर में एक दूसरे का सम्मान, मदद और तकलीफ़ समझने वाला माहौल विकसित करें।

18) आलोचना, निंदा तथा शिकायत करना छोड़ें
अगर बच्चे आपको ज़्यादातर समय आलोचना, निंदा तथा शिकायत करते देखते हैं, तो वे हर कार्य में नकारात्मकता ढूँढना सीखते हैं। साथ ही वे आपके द्वारा उनके सुनहरे भविष्य के लिए दी गई समझाइश को नकारात्मक रूप से लेना शुरू कर देते हैं। इसके स्थान पर उन्हें लोगों अथवा घटनाओं का सकारात्मक पक्ष देखते हुए एप्रीशिएट करना सिखाएँ। यह उनमें लीडरशिप क्वालिटी विकसित करेगा।

19) बच्चों के सामने झूठ बोलने, हेराफेरी करने अथवा बातों या लोगों को घुमाने-फिराने से बचें
अगर आप बच्चों के सामने उपरोक्त कार्य करते हैं तो वे जीवन में तात्कालिक सफलता के लिए शॉर्टकट के रूप में इन बातों का प्रयोग करना शुरू कर देते हैं। बच्चों की उपरोक्त आदत आपका भविष्य तक बिगाड़ सकती है। इसके स्थान पर उन्हें सच्चाई का साथ देना सिखाएँ।

20) मेहमान और आगंतुकों का सम्मान करें
घर पर आने वाले मेहमानों या आगंतुकों से सम्मान सहित व्यवहार करना बच्चों को समाज के प्रति नम्र रहना सिखाता है। अगर आप डिलीवरी बॉय, हेल्पर से लेकर किसी अधिकारी तक सभी से एक समान व्यवहार करते हैं तो आप बच्चे को पद का नहीं व्यक्ति का सम्मान करना सिखाते हैं।

आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम जाने-अनजाने में की जाने वाली अंतिम 5 सामान्य चूकों को पहचानने का प्रयास करेंगे जो हमारे बच्चे को उसकी सफलता से दूर करती है।


-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com