फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, हम सब अपने बच्चों को जीवन में सफल, अनुशासन प्रिय, आज्ञाकारी, व्यवहार कुशल, पढ़ाकू बनाना चाहते हैं। जिससे वह अच्छा कैरियर बनाकर धनवान बन सके और बुढ़ापे में हमारा ख्याल रख सके। इसीलिए हम उसे अच्छी शिक्षा, संस्कार और तरह-तरह की गतिविधियों में कुशल बनाने का प्रयास करते हैं। अपना समय, संसाधन व पैसा इस लक्ष्य को पाने में, लगाने के बाद भी हमें आजकल बच्चों में आक्रामक प्रवृति, ग़ुस्सा, विश्वास की कमी, शोषण का डर, उदासी निराशा और तनाव जैसे नकारात्मक भाव नज़र आते हैं और कई बार तो बच्चों में खुद को नुक़सान पहुँचाने वाली प्रवृति भी नज़र आती है।

मेरी नज़र में अपेक्षा और परिणाम के बीच के इस बड़े अंतर के लिए कहीं ना कहीं उनके समक्ष किया जाने वाला हमारा व्यवहार ज़िम्मेदार है। अगर आप गौर से देखेंगे तो आप पाएँगे कि अक्सर हमारी कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है और मानवीय प्रवृति के अनुसार बच्चे अपने सामने जो घटता हुआ देखते हैं, उससे सीखते हैं। इसीलिए दोस्तों मेरा मानना है कि अगर हमें बच्चों को विशेष प्रतिभा का धनी बनाना है तो हमें अपनी उन व्यवहारिक ग़लतियों को पहचानकर उन्हें दूर करना पड़ेगा जो हम जाने-अनजाने में बच्चों के समक्ष कर जाते हैं जो भविष्य में हमारे बच्चों को उनकी सफलता से दूर कर देती है। आइए आज हम अपनी उन 25 सामान्य चूकों को पहचानने का प्रयास करते हैं-

1) बच्चों के सामने उसके शिक्षक या पालक से अनुचित व्यवहार करना आपके और शिक्षक के मत में अंतर होना और इस वजह से एक दूसरे को ग़लत मानना स्वाभाविक है। लेकिन इस वजह से एक-दूसरे से ग़लत व्यवहार करना किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है। आप बच्चों को जिनका सम्मान करना सिखाना चाहते हैं, उनका अपमान बच्चों के सामने करना उनके समक्ष ग़लत उदाहरण पेश करता है।

2) कैज़ूअल कपड़ों में विद्यालय जाना और शिक्षकों से मिलना
विद्यालय में बच्चों को जीवन में अनुशासित रहना सिखाया जाता है। ऐसे में आपका व्यवस्थित रूप से तैयार होकर विद्यालय जाना बच्चों के समक्ष अच्छा उदाहरण पेश करता है।

3) बच्चों के समक्ष अभद्र भाषा या अपशब्दों का प्रयोग करना
बच्चों का बालमन अच्छे और अपशब्दों के बीच के अंतर को नहीं पहचानता है। जब आप बच्चों के सामने अपशब्दों का प्रयोग करते हैं वे भी बिना सोचे-समझे उसी भाषा का प्रयोग करना शुरू कर देते।

4) छोटे बच्चों को अभद्र अर्थात् इनडिसेंट कपड़े पहनाना या अत्यधिक मेकअप करना
समय से पहले बच्चों को बनावटी दुनिया में रखना उनके बालमन में ग़लत धारणाओं को जन्म देता है, इससे बचें। ऐसा करना उनका बचपना समय से पहले खत्म कर देता है।

5) बच्चे के समक्ष काँच के सामान, क्रॉकरी, डिजिटल उत्पादों का सही तरीके से रखरखाव ना करना
जब आप बच्चों के समक्ष उपरोक्त सामान का सही रखरखाव नहीं करते हैं तो वे लापरवाही से चीजों का उपयोग करना सीखते हैं और कभी भी उन वस्तुओं के मूल्य या उसे उपलब्ध करवाने के पीछे की गई मेहनत को नहीं पहचान पाते हैं। इसके साथ ही वे क्रॉकरी या अन्य चीजों का सही इस्तेमाल करना भी नहीं सीख पाते हैं।

6) बच्चों के सामने लोगों को यथायोग्य सम्मान ना देना
आजकल बच्चों द्वारा लोगों का अभिवादन ना करने पर उसे बच्चों का मूड स्विंग मानकर नज़रंदाज़ करना, एक बड़ी भूल साबित हो सकता है, जिसके लिए भविष्य में आपको दोषी ठहराया जाएगा। लेकिन जब बच्चों के सामने आप हर बार लोगों को यथायोग्य सम्मान देते हैं, तो वे भी लोगों का सम्मान करना सीखते हैं।

7) बच्चों को उन चीजों के घर लाने पर ना टोकना जो आपने उन्हें नहीं दिलवायी हैं
अगर बच्चा उन चीजों को घर ला रहा है जो आपने उन्हें नहीं दिलवायी है यह चोरी जैसी ग़लत आदत की शुरुआत हो सकती है। इसे नज़रंदाज़ ना करें, उन्हें अपने और दूसरों के संसाधन का सम्मान करना कम उम्र से ही सिखाएँ।

8) बड़ों का सम्मान ना करना
जब आप बच्चों के सामने अपने से बड़ों अर्थात् अपने माता-पिता, भाई-बहन या अन्य रिश्तेदारों का सम्मान नहीं करते हैं तब बच्चे आपको पलटकर जवाब देना सीखते हैं। अगर वे अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तो उन्हें 21वीं सदी का बच्चा मानकर नज़रंदाज़ करने के स्थान पर टोकें और साथ ही अपने व्यवहार में भी ज़रूरत के अनुसार बदलाव लाएँ।

9) बच्चों द्वारा व्यस्कों के संवाद के दौरान बार-बार टोकना   
अगर आप किसी अन्य वयस्क से बात कर रहे हैं और आपका बच्चा बीच-बीच में बार-बार टोक रहा है और आप इसे बच्चे की बोल्डनेस और चतुराई मानकर नज़रंदाज़ कर रहे हैं तो आप एक बड़ी गलती कर रहे हैं। वास्तव में यह खराब शिष्टाचार है और यह बच्चों को संयमित रहना सीखने से वंचित करता है।

10) बच्चों के समक्ष अपने सहयोगियों अथवा घर पर कार्य करने वाले लोगों का सम्मान करें
जब आप अपने घर पर अथवा अपने नीचे कार्यरत लोगों का सम्मान नहीं करते हैं तो बच्चा उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना सीखता है। इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आप बच्चों को सहयोगियों को चाचा, भैया आदि कहना सिखाएँ लेकिन उन्हें मेरा ड्राइवर या मेरा कर्मचारी कहना सिखाना भी ग़लत है इसके स्थान पर उनके समक्ष सहयोगियों को आदर के साथ सम्बोधित कर, डील करना सिखाएँ।

आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम जाने-अनजाने में की जाने वाली अगली दस सामान्य चूकों को पहचानने का प्रयास करेंगे जो हमारे बच्चे को उसकी सफलता से दूर करती है।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com