राजस्थान। राजस्थान के डीजीपी उमेश मिश्रा ने राज्य में दुष्कर्म के झूठे मामलों का आंकड़ा सांझा किया है। उन्होंने बताया कि राज्य में कुल पंजीकृत दुष्कर्म के मामलों में से 41% झूठे पाए जाते हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर दुष्कर्म के झूठे मामलों का प्रतिशत मात्र 8% है। इससे पता चलता है कि अन्य राज्य या तो मामले दर्ज नहीं करते हैं या उन्हें शिकायत की तरह मानते हैं।यदि कोई झूठा मामला दर्ज किया जाता है तो दावेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वर्ष 2022 में झूठे मुकदमे करवाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही में पिछले वर्ष की तुलना में कुल 68% की वृद्धि हुई है।डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि एक गलत धारणा यह भी है कि राजस्थान दुष्कर्म के मामलों में भारत में प्रथम स्थान पर है। जबकि सच्चाई यह है कि पहला स्थान मध्यप्रदेश का और दूसरा स्थान राजस्थान का है। साथ ही राजस्थान के दूसरे स्थान पर होने का कारण 'निर्बाध पंजीकरण' है ना की दुष्कर्म के घटनाओं की तुलनात्मक अधिकता है।

हमारे यहां कुल दर्ज प्रकरणों के 41 प्रतिशत अप्रमाणित पाये जाते है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 8 प्रतिशत है।2021 के मुकाबले 2022 में 11 फीसदी से ज्यादा अपराध का ग्राफ प्रतिशत बढ़ने को डीजीपी उमेश मिश्रा ने तर्क-दोष बताया। उन्होंने कहा- क्राइम बढ़ रहा है ये कैसे कह सकते हैं। रजिस्ट्रेशन बढ़ रहा है, ये कहना चाहिए। क्राइम का रजिस्ट्रेशन बढ़ा है इसलिए ग्राफ 11 प्रतिशत से ऊपर आया है।DGP ने कहा- 'कभी कोई राजनीतिज्ञ ये नहीं कहता है कि ये अपराधी है इसे छोड़ दो, इसे मत पकड़ो। ऐसा कभी नहीं हुआ है। मैं तो अपनी बात कह सकता हूं। मैंने ऐसा अनुभव किया है तो बाकी पुलिस अधिकारी भी अनुभव कर रहे हैं।

पुलिस अधिकारी या कर्मचारी में कोई कमी होगी, तो पत्रकार भी हावी हो जाएंगे और जनता भी हावी हो जाएगी।उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान में पुलिस को स्पष्ट निर्देश हैं कि दुष्कर्म का मामला दर्ज करने में देरी नहीं होनी चाहिए। झूठा मुकदमा दर्ज होने पर प्राथमिकी दर्ज कर झूठा मुकदमा दर्ज कराने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।