मुंबई । केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना के नाम और निशान एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के बाद पहली बार शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई. मुंबई के होटल प्रेसिडेंट में हुई इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की. बैठक खत्म होने के बाद इसके प्रस्तावों और मांगों से जुड़ी जानकारियां राज्य के कैबिनेट मंत्री उदय सामंत ने मीडिया से साझा की. उन्होंने बताया कि एकनाथ शिंदे को शिवसेना के ‘मुख्य नेता‘ पद पर कायम रखा गया और पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं ने उन्हें पार्टी से जुड़े सारे मामलों में फैसले लेने का अधिकार दिया. उदय सामंत ने मीडिया में उठ रहे उन शंकाओ पर भी सफाई दी जिनके तहत यह कहा जा रहा था कि अब ठाकरे गुट की प्रॉपर्टीज और फंड पर दावे किए जाएंगे और उनके कार्यालयों पर कब्जे किए जाएंगे. उदय सामंत ने यह साफ किया कि ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है. उन्होंने एकनाथ शिंदे के हवाले से कहा कि बैठक में शिंदे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे के विचार ही हमारी संपत्ति हैं. किसी और की संपत्ति या फंड पर दावा करने की हमारी कोई मंशा नहीं है. उदय सामंत ने यह याद दिलाया कि इस संबंध में एकनाथ शिंदे ने कल भी अपनी यह भूमिका साफ कर दी थी. उदय सामंत ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह तय किया गया कि शिवसेना वीर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग करेगी. साथ ही नौकरियों में 80 फीसदी पदों के चयन में राज्य के भूमिपुत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी. मूल निवासियों को यूपीएससी और एमपीएससी में आने के लिए प्रेरित किया जाएगा और इसके लिए उन्हें हर संभव सहायता दी जाएगी. इनके अलावा यह भी प्रस्ताव पास हुआ कि मराठी भाषा को अभिजात्य भाषा का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र से मांग की जाएगी. इनके अलावा मुंबई के चर्चगेट स्टेशन का नामकरण पूर्व केंद्रीय मंत्री चिंतामणराव देशमुख के नाम पर किया जाएगा. शिवसेना के सचिव के पद पर रामदास कदम के पुत्र सिद्धेश कदम की नियुक्ति की गई. साथ ही अनुशासन बनाए रखने के लिए समिति की स्थापना की गई है. यह तीन सदस्यीय समिति कैबिनेट मंत्री दादा भुसे की अध्यक्षता में काम करेगी. इसके अलावा संजय राउत के भड़काऊ बयानों को लेकर निषेध प्रस्ताव भी लाया गया. कार्यकारिणी की बैठक से यह बात तय हो गई कि एकनाथ शिंदे फिलहाल सीधे उद्धव ठाकरे के पद- ‘शिवसेना पार्टी प्रमुख’ को पाने के इच्छुक नहीं हैं. उन्हें ‘मुख्य नेता’ पद पर ही कायम रखा गया. कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद एकनाथ शिंदे के हाथ में पार्टी आ जाने के बाद अब पार्टी प्रमुख का पद ही समाप्त कर दिया जाए. शिवसेना प्रमुख के तौर पर बालासाहेब ठाकरे का नाम सदा के लिए रखा गया है. जब उद्धव ठाकरे के हाथ पार्टी की बागडोर आई थी तब उनके लिए ‘शिवसेना पार्टी प्रमुख’ का पद बनाया गया था. लेकिन एकनाथ शिंदे उनके इस पद को पाने से फिलहाल बच रहे हैं. इसके अलावा कार्याध्यक्ष का पद भी रद्द किया जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन पदों के अधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी को सौंप दिए जाएंगे.