फिर बना पौने पांच किमी लंबा ग्रीन कारिडोर, बची कई जिंदगियां
इंदौर । सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल नंदबाग निवासी 22 वर्षीय नवीन कश्यप ने दुनिया को अलविदा कहने से पहले कई जिंदगियां रोशन कीं। ब्रेनडेड घोषित होने के बाद परिवार ने उनकी किडनियां, आंखें और त्वचा दान की। ग्रीन कारिडोर सीएचएल अस्पताल से बांबे अस्पताल तक करीब पौने पांच किमी में बना। इस तरह से इंदौर शहर में शनिवार को 50वां ग्रीन कारिडोर बना और कई लोगों को नई जिंदगी मिली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, निजी कंपनी में काम करने वाला नवीन सात जून को सुपर कारिडोर पर सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गहरी चोट थी, जिसके चलते एमवाय अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसके बाद उन्हें सीएचएल अस्पताल रेफर किया गया। शुक्रवार शाम करीब छह बजे डाक्टरों की टीम ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित किया, फिर रात 12 बजे दोबारा परीक्षण कर पुष्टि की गई। मुस्कान फाउंडेशन के जीतू बगानी और संदीपन आर्य ने परिवार की काउंसलिंग की, जिसके बाद वे अंगदान के लिए राजी हुए।
युवक की एक किडनी सीएचएल अस्पताल में 39 वर्षीय महिला को ट्रांसप्लांट की गई, जबकि दूसरी किडनी बांबे अस्पताल में 48 वर्षीय पुरुष के लिए भेजी गई। इसके लिए दोपहर 1.50 बजे ग्रीन कारिडोर बनाया गया। तीन मिनट में किडनी बांबे अस्पताल पहुंच गई। अस्पताल से जब किडनी बांबे अस्पताल पहुंचाई जा रही थी, तब परिवार के सदस्यों की आंखें भर आईं। हालांकि उन्हें इस बात पर गर्व हो रहा था कि उनके परिवार का बेटा कई लोगों की जिंदगी में खुशहाली भर गया। बगानी ने बताया कि परिवार में वह एकलौता लड़का था। उसकी एक बहन है। पिता कोर्ट के बाहर ज्यूस की दुकान संचालित करते हैं। परिवार अंगदान के लिए तैयार नहीं हो रहा था। काफी समझाइश के बाद वे माने।
शहर में अंगदान के लिए पहला ग्रीन कारिडोर सात अक्टूबर 2015 में बनाया गया था। तब चोइथराम अस्पताल में भर्ती खरगोन जिले के बरूड़ गांव निवासी ब्रेनडेड रामेश्वर खेड़े का लिवर विमान से गुड़गांव ले जाया गया था। ग्रीन कारिडोर की लंबाई 10.4 किलोमीटर थी। तब डाक्टरों ने कहा था कि चोइथराम अस्पताल से लिवर लेकर एंबुलेंस 12 मिनट में एयरपोर्ट पहुंच जाना चाहिए, लेकिन एंबुलेंस ने दूरी महज आठ मिनट में तय कर ली थी। इस काम में शहरवासियों ने तो सहयोग किया ही, ड्राइवर की काबिलियत भी काम आई थी।