उत्तर प्रदेश में बारिश होने के बाद बिजली की खपत में करीब चार हजार मेगावाट की गिरावट हुई है। फिर भी लोकल फाल्ट मुसीबत बनी है। लखनऊ सहित विभिन्न जिला मुख्यालयों पर रात में बार- बार बिजली की आवाजाही बनी हुई है। इससे उपभोक्ता परेशान हैं। दूसरी तरफ अगस्त- सितंबर माह में फिर खपत बढ़ने की उम्मीद है। इसे लेकर पावर कॉरपोरेशन अभी से रणनीति बनाने में जुटा है।

प्रदेश में जून माह में अधिकतम खपत 27611 मेगावाट पहुंच गई थी। 22 जून के बाद इसमें लगातार गिरावट हो रही है। सोमवार को यह 23500 मेगावाट के करीब रही। बिजली खपत कम होने के बाद भी अभी उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिली है। विभिन्न क्षेत्रों में लोकल फाल्ट की वजह से 15 से 30 मिनट तक बिजली जाने का सिलसिला बना हुआ है। दूसरी तरफ विभागीय जानकारों का कहना है कि अगस्त- सितंबर माह में एक बार फिर बिजली खपत का ग्राफ बढ़ेगा। वर्ष 21-22 में 28 जुलाई को अधिकतम खपत 24798 मेगावाट रह चुकी है, जबकि वर्ष 2022-23 में नौ सितंबर को अधिकतम खपत 26589 मेगावाट पहुंची थी। ऐसे में अगस्त से सितंबर माह में बिजली खपत करीब 29 हजार मेगावाट पहुंचने का अनुमान है। इसी लिहाज से बिजली व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने सभी वितरण एवं ट्रांसमिशन अधिकारियों को अभी से रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने 11 केवी व 33 केवी की लाइनों के पिन तथा डिस्क इन्सुलेटर को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। जहां भी तार के आसपास पेड़ की टहनियां हैं, उन्हें कटवाने, बारिश में उपकेंद्र में नमी होने पर उसे दूर करने के लिए हीटर की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में कॉरपोरेशन अध्यक्ष ने सभी प्रबंध निदेशकों को गाइडलाइन भी जारी कर दिया है।

प्रदेश में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2017-18 में अधिकतम खपत 18061 मेगावाट एवं न्यूनतम 6030 मेगावाट रही। इस वर्ष जून में न्यूनतम खपत 18701 मेगावाट पहुंच गई, जबकि अधिकतम 27611 मेगावाट रही। इस तरह देखा जाए तो पांच साल पहले बिजली खपत जितनी अधिकतम थी, वह अब न्यूनतम रह गई है, लेकिन संसाधनों का विकास उसी अनुपात में नहीं किया गया है। यही वजह है कि बिजली की पर्याप्त व्यवस्था होने के बाद भी उपभोक्ताओं को लोकल फाल्ट की वजह से बिजली नहीं मिल पा रही है।

कॉरपोरेशन की प्रबंधन नीति की खामी की वजह से बिजली होने के बाद भी उपभोक्ताओं को समस्या उठानी पड़ रही है। जिस अनुपात में खपत बढ़ी है, उसी अनुपात में मैनपॉवर और संसाधन बढ़ाने की जरूरत है। अभियंताओं का उत्साह बढ़ाना होगा। पावर कॉरपोरेशन को यह समझना होगा कि बिना कुशल मैन पावर के आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जा सकती है। बारिश के मद्देनजर अभी से तैयारी करने की बात कही जा रही है, लेकिन जब संसाधन ही दुरुस्त नहीं है तो इस तैयारी का कोई मतलब नहीं है। इलाके में ब्रेक डाउन के तहत तार टूटने, जंफर उड़ने, फ्यूज उड़ने जैसी घटनाएं रोकने के लिए मैन पॉवर और संसाधन की जरूरत है।