नई दिल्ली। आबकारी ‎‎विभाग के आंकड़े बता रहे हैं ‎कि दिल्ली वालों ने तीन महीने में 6800 करोड़ रुपये की शराब पी डाली। वहीं इससे ‎दिल्ली सरकार का खजाना भी भर गया है। हालां‎कि इतनी शराब पीने पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है। ले‎किन यह सच है ‎कि ‎दिल्लीवा‎सियों ने 62 करोड़ बोतलें ‎तिमाही में खाली कर दी। एक्साइज से ‎मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में साल 2023-24 की पहली तिमाही में 6821 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई है। शराब की इस बिक्री से दिल्ली सरकार मालामाल हो गई। इस जबरदस्त बिक्री के आधार पर, दिल्ली सरकार के एक्साइज विभाग ने 2023-24 की पहली तिमाही में एक्साइज ड्यूटी और मूल्य वर्धित कर (वेट) के रूप में लगभग 1,700 करोड़ रुपये जुटाए हैं। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कमाई वित्त वर्ष 2022-23 के बराबर थी जब विभाग ने 62 करोड़ से अधिक शराब की बोतलें बेचकर 6,821 करोड़ रुपये एकत्र किए थे। इस राशि में एक्साइज शुल्क के रूप में 5,548.48 करोड़ रुपये और वैट के रूप में 1,272.52 करोड़ रुपये शामिल हैं। इस बार चार सरकारी निगमों की तरफ से अधिक शराब की दुकानें खोली गई हैं। साथ ही शराब परोसने के लिए नए होटलों और रेस्ट्रॉ के एक्साइज लाइसेंस लेने से राजस्व बढ़ने की उम्मीद है।
‎निगम के एक अधिकारी ने कहा कि गर्मियों के दौरान बीयर, जिस पर तुलनात्मक रूप से कम एक्साइज ड्यूटी लगती है। इस वजह से स्पिरिट की तुलना में यह अधिक बिकती है। यही कारण है कि वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही की तुलना में पहली छमाही में रेवेन्यू कलेक्शन हमेशा अपेक्षाकृत कम होता है। उस दौरान व्हिस्की अधिक बिकती है। दिल्ली सरकार के चार निगम - दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम, दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम, दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम और दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक स्टोर - मिलकर 574 शराब की दुकानें चलाते हैं। वहीं, शहर में 930 से अधिक होटल, क्लब और रेस्तरां शराब परोसी जाती है।
दिल्ली सरकार ने अपने 2023-24 के बजट में वित्तीय वर्ष में कुल स्टेट एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 7,365 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया है। एक्साइज डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक्साइज पॉलिसी जिसे पुरानी एक्साइज पॉलिसी भी कहा जाता है, के तहत बिक्री अपेक्षाकृत कम होने पर भी सरकार को अधिक राजस्व मिलता है। हालांकि, अब वापस ली गई नई शराब पॉलिसी में, विभिन्न योजनाओं और डिस्काउंट्स के कारण सेल में तेजी से बढ़ोतरी होने पर भी सरकार का रेवेन्यू फिक्स था। इसीलिए 2022-23 की आखिरी तिमाही में बिक्री कम हो सकती है, लेकिन वास्तविक रेवेन्यू अभी भी अधिक था।