जयपुर। राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पालट खेमे की बगावत का मामला कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में तो शांत हो गया। लेकिन उस समय राजस्थान उच्च न्यायालय में पहुंचा मामला वहां अब भी लंबित है। तीन साल पहले के कांग्रेस के राजनीतिक संकट के समय पायलट सहित 19 विधायकों को निलंबित करने के विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस के मामले में उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई।

लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में जवाब पेश नहीं हुआ।केंद्र सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश एम.एम.श्रीवास्तव और शुभा मेहता ने दो सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।न्यायालय ने कहा,यदि केंद्र सरकार की ओर से दो सप्ताह में जवाब नहीं आता है तो फिर जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा। मामले में केन्द्र सरकार ने तीन साल में भी जवाब पेश नहीं किया है।

न्यायालय ने कहा कि अब तक सभी पक्षों की लिखित बहस पेश नहीं हुई है। इस मामले से जुड़े वकील पी.सी.भंडारी ने कहा,केंद्र सरकार ने तीन साल में जवाब पेश नहीं किया है। ऐसे में केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।दरअसल,शुरूआती दौर में न्यायालय ने इस मामले से जुड़े 13 बिंदुओं पर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा था।

राज्य सरकार ने तो जवाब दे दिया था।लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जवाब अब तक नहीं दिया गया। ये सभी बिंदू संविधान और कानून से जुड़े हुए हैं। पिछली सुनवाई पर बृहस्पतिवार को अंतिम सुनवाई करने की बात कही गई थी। लेकिन अब दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी। न्यायालय में मोहन लाल नामा नामक एक व्यक्ति ने मामले की जल्द सुनवाई को लेकर प्रार्थना पत्र पेश किया था,जिसे खारिज कर दिया गया।

यह है मामला जुलाई,2020 में पायलट खेमे ने बगावत की थी। पायलट खेमे के विधायक मानेसर स्थित एक रिसोर्ट में चले गए थे। उस समय विधानसभा में तत्कालीन सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने व्हिप जारी किया था। व्हिप के बावजूद पायलट सहित 19 विधायक विधानसभा में नहीं पहुंचे थे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सी.पी.जोशी ने विधायकों को निलंबित करने और अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया था।