हल्द्वानी (उत्तराखंड): देश में हाथियों पर लगातार संकट मंडरा रहा है. आरटीआई से खुलासा हुआ है कि पिछले 14 साल में देश के विभिन्न राज्यों में 1,357 हाथियों की मौत हुई है. इसमें करंट से 898, ट्रेन से कटकर 228, शिकारियों द्वारा 191 हाथी मारे गए हैं. 40 हाथियों को जहर खिलाकर मौत के घाट उतारा गया है.

आरटीआई में हाथियों पर बड़ा खुलासा: उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि जून माह में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ सूचनाएं मांगी थीं. प्रोजेक्ट हाथी के वैज्ञानिक डॉ. मुथामिज़ सेलवन की तरफ से जवाब आया. जवाब में बताया गया है कि देश में सबसे ज्यादा हाथियों की मौत करंट से हुई है.

14 साल में असमय मर गए 1,357 हाथी: 898 हाथी पिछले 13 सालों में बिजली के तारों में उलझ कर मौत की नींद सो गए. हाथियों की मौत का दूसरा बड़ा कारण ट्रेन से कटकर मौत होना बताया गया है. ट्रेन से कटकर 228 हाथियों ने जान गंवाई है. ट्रेन से कटकर उत्तराखंड में 27 हाथी मारे जा चुके हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश में हाथियों की अनुमानित संख्या में नार्थ ईस्ट के अरुणाचल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, वेस्ट बंगाल, मणिपुर और मिज़ोरम में मिलाकर 10,139 हाथी हैं.

भारत में हैं 29, 964 हाथी: ईस्ट सेंट्रल रीजन में ओडिसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल (दक्षिण) में 3,128 हाथी हैं. नार्थ वेस्ट रीजन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल में 2,085 हाथी हैं. साउथ रीजन के कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार आइलैंड में 14,612 हाथी हैं. हाथियों का देश भर में कुल योग 29,964 है.
वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल: आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि जिस तरह से देश में हाथियों की आकस्मिक मौत हो रही है, कहीं न कहीं वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. भारी भरकम विभाग को बजट भी काफी बड़ा मिलता है. उसके बावजूद भी हाथियों की असामयिक मौत चिंताजनक बन रही है. ऐसे में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय को हाथियों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है.