नई दिल्ली । देश में इनदिनों पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार जोरों पर चल रहा है। कांग्रेस का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा राज्यों में जीत हासिल कर बढ़त बनाए। अन्य दल भी इन चुनावों में पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं। लेकिन भाजपा सिर्फ विधानसभा चुनावों पर ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनावों पर भी पूरा ध्यान दे रही है। भाजपा के केंद्रीय नेता दिन में राज्यों में चुनाव प्रचार कर शाम को दिल्ली में बैठकें कर लोकसभा चुनावों में जीत की रणनीति बनाते हैं। भाजपा की इन्हीं तैयारियों को देखकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि कांग्रेस का पूरा ध्यान विधानसभा चुनावों पर लगा हुआ है जिसके चलते इंडिया गठबंधन का कामकाज ठप पड़ा हुआ है।
जहां तक भाजपा की ओर से लोकसभा चुनावों की तैयारियों के संबंध में की गई बैठक की बात है, तब बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2024 के चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर कई राज्यों के पार्टी नेताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। बताया जा रहा है कि बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना जैसे राज्यों के वरिष्ठ भाजपा नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी और विभिन्न राज्यों के संगठनात्मक नेता उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने बैठक में हिस्सा लिया। बताया जा रहा है कि बैठक मुख्य रूप से लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर केंद्रित थी और इसमें विभिन्न प्रासंगिक मुद्दों पर भी चर्चा की गई। बता दें कि बैठक कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों द्वारा जाति जनगणना की मांग और मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक हलचल के बीच हुई है। 
बैठक में यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति पर चर्चा हुई और वहां प्रदेश संगठन को इस कार्य में और तेजी से जुटने के लिए निर्देश दिए गए। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी ने कुछ सहयोगी दलों के नेताओं को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर भी आलाकमान से चर्चा की। बताया जा रहा है कि योगी सरकार से कुछ मंत्रियों को हटाकर उन्हें संगठन के काम पर लगाया जा सकता है।
बैठक में महाराष्ट्र को लेकर भी काफी लंबा मंथन हुआ। महाराष्ट्र सरकार को अभी कल ही तब राहत मिली जब मराठा आरक्षण आंदोलन दो महीने के लिए स्थगित हो गया है। बताया जा रहा है कि बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई ही साथ ही गठबंधन में शामिल दलों के साथ सीट बंटवारे पर भी मंथन हुआ। दरअसल, महाराष्ट्र में एनसीपी के एक धड़े के भाजपा के साथ आने के बाद सीटों के बंटवारे का मुद्दा पेचीदा हो गया है, क्योंकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना भी लोकसभा चुनावों में अपने लिए उतनी ही सीटें मांग रही है जितनी 2019 में अविभाजित शिवसेना के हिस्से में आई थी। भाजपा भी ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर लड़ना चाहती है, लेकिन नए गठबंधन में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के लिए भी कुछ सीटें छोड़नी ही पड़ेंगी। फिलहाल कोई पक्ष कम सीटों पर मानने के लिए राजी नहीं दिख रहा है।
बिहार के बारे में पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्य के नेताओं के साथ प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई और नीतीश सरकार की नाकामियों को जनता के बीच और प्रखरता के साथ ले जाने की रणनीति बनी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के तमाम वरिष्ठ नेता भी इस बैठक में सम्मिलित हुए। हम आपको याद दिला दें कि पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने मध्य प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करते हुए 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस समय हो रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी मैदान में उतारा हुआ है। मध्यप्रदेश में भाजपा का जोर राज्य में वापस सत्ता हासिल करने और लोकसभा चुनावों में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने पर लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि बैठक में हरियाणा के नेताओं ने भी शिरकत की। तेलंगाना के नेताओं के साथ चर्चा के दौरान भाजपा नेताओं ने विधानसभा चुनावों में अपना प्रदर्शन सुधारने और लोकसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रूपरेखा बनाई।
बता दें कि बैठक में शामिल हुए राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा में 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था और तेलंगाना में भी अपना अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था।