दिवाली पर मान्यता है कि मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं। इस मौके पर आप कुछ खास विधि से पूजन करेंगे तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन संपदा देगी। सुबह उठते ही मां लक्ष्मी को नमन कर सफेद वस्त्र धारण करें और मां लक्ष्मी के श्री स्वरूप व प्रतिमा के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें एवं कमल फूल चढ़ाएं। लक्ष्मी पूजन कर 11 कौड़ियां चढ़ाएं। अगले दिन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें इससे धन वृद्धि होती है। लक्ष्मी का पूजन कर उन्हें मालपूए या गुलाबजामुन का भोग लगाकर उसे गरीबों में बांटने से चढ़ा हुआ कर्जा उतर जाता है।
साफ-स्वच्छ कपड़े पहनना और उन्हें करीने से संभाल कर रखने से घर में सकारात्मकता का संचार होता है और देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहती है। घर में साफ-सफाई और रोशनी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इससे लक्ष्मी आकर्षित होती हैं। इसके विपरित जाले, गंदगी और धूल-मिट्टी फैली हो तो धन की कमी होती है।  
हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘श्रीं’ लिखने से लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन देती हैं।
गाय के दूध से श्रीयंत्र का अभिषेक करने के बाद, अभिषेक का जल पूरे घर में छिड़क दें और घर में जहां आपका धन पड़ा हो वहां श्रीयंत्र को कमलगट्टे के साथ धन स्थान पर रख दें। इससे धन लाभ होने लगेगा। शंख में वास्तुदोष दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है। जहां नियमित शंख का घोष होता है और सुबह और शाम दोनों समय होता है, वहां के आसपास की हवा भी शुद्ध और सकारात्मक हो जाती है और घर की कलह खत्म होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है। जो लोग अपने जीवन व वास्तु में बदलाव चाहते हैं तो रोजाना सुबह-शाम शंख का घोष अवश्य ही करें।
भगवान गणेश का करें पूजन 
मां लक्ष्मी ने गौरीपुत्र गणेश को प्रथम पूज्य होने का वर देते हुए यह आशीर्वाद दिया था कि उनकी उपासना से मनुष्य पर लक्ष्मी कृपा भी हमेशा बनी रहेगी। ऐसे में दिवाली पूजन में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है।  मां का आशीर्वाद सदैव बनाएं रखने के लिए आप भगवान गणेश का पूजन उनको प्रिय मंत्रों से करें। 
भगवान गणेश की विधिवत पूजा के मंत्र हैं। 
श्री गणेश बीज मंत्र:
ॐ गं गणपतये नमः॥
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिंदूर अर्पण करना चाहिए।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
इस मंत्र का जाप करते हुए गौरीपुत्र गणेश को अक्षत(चावल) चढ़ाएं।