कहां स्थाई होना था, स्थाई नहीं हुए नौकरी चली गई


भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के समय 2023 में संविदा नीति जारी की गई थी। इस नीति के बाद संविदा कर्मचारियों को अनुबंध करना था। उन्हें स्थाई कर्मचारी का दर्जा मिलना था। यह प्रक्रिया पूरी होती, इसके पहले ही संविदा कर्मचारियों को निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। 3000 से अधिक कर्मचारियों को पिछले तीन माह में निकाला जा चुका है। यह सारी कार्रवाई चुनाव आचार संहिता के दौरान की गई है।
 सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों और विभागाध्यक्षों को परिपत्र जारी किया था। जिसमें नियमित पदों के विरुद्ध संविदा कर्मचारियों को स्थाई किया जाना था। नियमित पद नहीं होने की दशा में और अनुबंध निष्पादित नहीं करने की आड़ लेकर 3 से 4000 लोगों को संविदा नौकरी से निकाल दिया गया है। जिन कर्मचारियों को निकाला गया है। उनमें जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, जिला पंचायत में कार्यरत संविदा कर्मी, मनरेगा में कार्यरत संविदा कर्मी, पीएचई विभाग जैसे दर्जनों संस्थान है।जहां से संविदा कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है। जिसके कारण संविदा कर्मचारियों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। संविदा कर्मचारियों से भारी लैन देन कर स्थाई किए जाने की बात भी सामने आ रही है।