जयपुर । राजस्थान में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस विधानसभा में सरकार के लिए चुनौती पेश करेगी, लेकिन कांग्रेस विधायक दल के नेतृत्व को लेकर संभावित नाम की फेहरिस्त लगातार घटती बढ़ती रही है. अब 19 जनवरी को विधानसभा सत्र के पहले माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व राजस्थान में विधायक दल के नेता का नाम तय कर लेगा हालांकि, पार्टी के लिए जातिगत समीकरण और कुशल नेतृत्व के अलावा भी कई चुनौतियां हैं, जिस तरह से बीते 6 सालों में राजस्थान में गुटबाजी चरम पर रही है। उसके बाद माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व आम राय के आधार पर ही नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करेगा. इन चेहरों में जातीय और क्षेत्रीय आधार के साथ-साथ अनुभव के लिहाज से कई बड़े नाम रेस में है, जो कांग्रेस के विधायक दल के नेता के रूप में पार्टी की रीति-नीति को 5 साल तक सरकार के सामने चुनौती बनाकर पेश करेंगे। राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कई नाम पर मंथन किया जा रहा है. फिलहाल चर्चा में शामिल नाम में ओबीसी और जाट वर्ग को तवज्जो देने के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और बायतु विधायक और पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी का नाम आगे है. हालांकि, सचिन पायलट को भी रेस में माना जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ का जिम्मा मिलने के बाद और संगठन में प्रमुखता मिलने के बाद माना जा रहा है कि प्रदेश की सियासत में प्रत्यक्ष रूप से पायलट का दखल नहीं होगा. वहीं, दलित चेहरे के रूप में टीकाराम जूली भी रेस में बने हुए हैं. इसी तरह आदिवासी चेहरे के रूप में महेंद्रजीत मालवीय के ऊपर मुरारी लाल मीणा का दावा अहम समझा जा रहा है. अनुभव के लिहाज से राजेंद्र पारीक या हरिमोहन शर्मा को भी कमान सौंपी जा सकती है।लोकसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस की रणनीति के लिहाज से खासा अहम होंगे ऐसे में अगर अनुभव और तेज तर्रार छवि के कारण पार्टी के मुखिया गोविंद सिंह डोटासरा को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, तो प्रदेश अध्यक्ष बदलकर नया चेहरा सामने लाना होगा. कांग्रेस की परिपाटी के मुताबिक फिर ऐसी स्थिति में किसी ब्राह्मण चेहरे पर पार्टी दाव खेल सकती है।