भोपाल ।    इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भले ही मध्य प्रदेश की कोई टीम न हो, अब राज्य की अपनी लीग होगी। ग्वालियर डिविजन क्रिकेट एसोसिएशन (जीडीसीए) ने मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (MPCA) के साथ मिलकर मध्य प्रदेश क्रिकेट लीग का आयोजन करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से अनुमति भी मिल गई है। इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL खत्म होने के बाद मध्य प्रदेश की पांच टीमें इस लीग में आपस में भिड़ने वाली हैं। मध्य प्रदेश लीग में पांच टीमें होंगी- ग्वालियर चीता, महाकौशल लॉयंस, मालवा पैंथर्स, रीवा जगुआर्स और सतपुड़ा लेपर्ड्स। ये पांच टीमें इंदौर के होलकर स्टेडियम या ग्वालियर के नवनिर्मित स्टेडियम में फ्लड लाइट्स में मुकाबला करेंगी। सिर्फ मध्य प्रदेश के खिलाड़ी ही इस लीग में भाग ले सकेंगे। इन टीमों में मध्य प्रदेश के वे खिलाड़ी रहेंगे, जो विविध स्तरों पर राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच, रणजी ट्रॉफी, अंडर-23 और अंडर-19 मैच खेल चुके खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाएगी। शुरुआती सीजन में खिलाड़ियों की नीलामी नहीं होगी। रजत पाटीदार, आवेश खान, शुभम शर्मा और वेंकटेश अय्यर जैसे खिलाड़ी भी इस लीग में खेलते नजर आएंगे।

फ्रेंचाइजी फाइनल होते ही 'MPL' की गवर्निंग काउंसिल खिलाड़ियों का ड्राफ्ट तैयार करेगी। बीसीसीआई भी राज्यों के संघों को अपनी प्रीमियर लीग शुरू करने के लिए प्रोत्साहन कर रहा है। उसने 2023 में एप्लिकेशन विंडो खोली थी और जीडीसीए ने इसका फायदा उठाया। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी जल्द ही अपनी क्रिकेट लीग शुरू होने वाली है। जीडीसीए के उपाध्यक्ष महाआर्यमन सिंधिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि हम मध्य प्रदेश का अपना प्रीमियर लीग बना रहे हैं। इसमें पांच टीमें होगी। इसका उद्देश्य खेल, कारोबार और जनता को साथ लाना है। हम क्रिकेट का जलवा अगले स्तर पर ले जाएंगे। हम ग्रामीण स्तर से खिलाड़ियों को शहर, फिर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहते हैं। हम चाहते है कि फ्रेंचाइजी का टीम ऑनर प्रत्येक टीम के पांच खिलाड़ियों को रोजगार दे। इससे खिलाड़ियों को रोजगार भी मिलेगा। उनका भविष्य सुरक्षित होगा। इसके अलावा क्रिकेट खेलने में कुछ पैसा भी उन्हें मिलेगा।