आपकी हेल्थ पर घातक असर डाल सकता है Stress
नई दिल्ली। बहुत से लोग हर दिन तनाव यानी स्ट्रेस से जूझते हैं। काम, फैमिली इशूज और हेल्थ से जुड़ी समस्याएं रोजमर्रा की जिंदगी के हिस्से हैं, जो आमतौर पर स्ट्रेस के लेवल को बढ़ाने में योगदान करते हैं। अपनी डेली लाइफ में तनाव को जितना हो सके कम करना आपकी फुल बॉडी हेल्थ में सपोर्ट कर सकता है। स्ट्रेस के कारण दिल से जुड़ी बीमारियां, टेंशन और डिप्रेशन जैसी कई प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ सकता है। स्ट्रेस से निपटने के लिए आप अपनी लाइफ में कुछ बदलाव कर सकते हैं। आइए तनाव से बचने के 5 तरीकों के बारे में आपको बताते हैं।
एक्सरसाइज करें
अगर आप तनावग्रस्त हैं, तो अपने शरीर को लगातार एक्टिव रखने से तनाव के लेवल को कम करने और मूड में सुधार करने में मदद मिल सकती है। साथ ही एक्सरसाइज करने से आप डिप्रेशन जैसी प्रॉब्लम से भी लड़ सकते हैं। इसके लिए आप पैदल चलना या बाइक चलाना जैसी हल्की चीजों से शुरुआत कर सकते हैं।
बैलेंस्ड डाइट लें
आपका डाइट आपके हेल्थ के हर पहलू को प्रभावित करता है, जिसमें आपकी मेंटल हेल्थ भी शामिल है। लोग जो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड आइटम्स और ज्यादा चीनी से भरपूर डाइट खाते हैं, उन्हे स्ट्रेस के हाई लेवल का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है। लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने से आप अधिक खाने और ज्यादा स्वादिष्ट खाना खाने लगते हैं, जो आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है।
स्क्रीन टाइम कम करें
स्मार्टफोन, कंप्यूटर और टैबलेट अक्सर को ज्यादा इस्तेमाल करने से स्ट्रेस का लेवल बढ़ सकता है। स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिताने से अडल्ट्स और बच्चों में मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य में कमी और तनाव का लेवल भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, स्क्रीन टाइम नींद को नेगेटिव रूप से प्रभावित कर सकता है।
सेल्फ केयर करें
अपनी देखभाल के लिए समय निकालने से आपके तनाव के लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। इनमें बाहर घूमने जाना , एक अच्छी किताब पढ़ना, हेल्दी भोजन तैयार करना, मालिश करवाना और योगा करने जैसे काम शामिल हैं। स्वस्थ जीवन जीने के लिए अपने लिए समय निकालना जरूरी है। यह उन लोगों के लिए ज्यादा जरूरी है जो ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं, जिनमें नर्स, डॉक्टर, शिक्षक और देखभाल करने वाले शामिल हैं।
जर्नलिंग करें
जर्नलिंग तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है और आपके विचारों और भावनाओं को एक पॉजिटिव आउटलेट दे सकती है। 2018 की एक रिसर्च में कहा गया है कि जर्नलिंग से हेल्थ कंडीशन को मैनेज करने फायदा हो सकता है। इनमें डिप्रेशन जैसी मेंटल हेल्थ कंडीशन भी शामिल हैं।