अपनी ही सरकार पर क्यों भड़के BJP विधायक बालमुकुंद, आखिर क्या थी वजह?

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में बुधवार को भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने जयपुर परकोटा क्षेत्र में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उनके बयान के बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन में 'शेम-शेम' के नारे लगाने शुरू कर दिए।
योजना पर सरकार का रुख
भाजपा विधायक के आरोपों का जवाब देते हुए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत परकोटा में 152 करोड़ रुपये के काम स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 143 काम पूरे हो चुके हैं, जबकि 9 निर्माणाधीन हैं, जिनकी लागत 115 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि एक प्रोजेक्ट को लेकर शिकायत मिली है, जिसकी जांच की जा रही है। मंत्री ने कहा कि आईआईटी और एमएनआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से थर्ड पार्टी ऑडिट के लिए जांच कराई गई है और काम की गुणवत्ता में कोई अनियमितता नहीं पाई गई है।
बालमुकुंदाचार्य ने उठाए सवाल
हालांकि, मंत्री के जवाब से असंतुष्ट बालमुकुंदाचार्य भड़क गए। उन्होंने कहा, "पूरे प्रोजेक्ट की जांच सिर्फ एक अधिकारी पर निर्भर है, जो पिछले साढ़े छह साल से वहां तैनात है। अगर काम में कोई अनियमितता नहीं है, तो ये अधिकारी एडवांस रिटायरमेंट फाइल क्यों दाखिल कर रहे हैं?" उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन में नियुक्त अधिकारी अभी भी अपने पदों पर बने हुए हैं और पिछले डेढ़ साल से लगातार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
"अधिकारी 800 करोड़ रुपये के बजट का गबन कर रहे हैं"- भाजपा विधायक
बालमुकुंदाचार्य ने आरोप लगाया कि "अधिकारी 800 करोड़ रुपये के बजट का गबन कर रिटायरमेंट फाइल दाखिल कर रहे हैं।" उन्होंने यूडीएच मंत्री को मौके पर जाकर काम की हकीकत जांचने की चुनौती दी। उन्होंने कहा, "अगर आपने जो कहा वह मौके पर सच साबित होता है, तो मैं जो भी कहोगे, करने को तैयार हूं।" इस मुद्दे पर विधानसभा में तीखी बहस देखने को मिली, लेकिन सरकार ने किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में पारदर्शिता के साथ काम किया जा रहा है।