इस मंदिर में देवी की पूजा करने से भर जाती है महिलाओं की सूनी गोद, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य!
अनुसूया देवी मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित एक बहुत ही प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर है. ये मंदिर समुद्र तल से करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यह मंदिर माता अनुसूया को समर्पित है. देवी अनुसूया, महर्षि अत्रि की पत्नी थीं. मंदिर के अंदर मां अनुसूया की भव्य मूर्ति स्थापित है. मान्यता है कि इस मंदिर के गर्भगृह में रात्रिभर जागरण, ध्यान, जप-तप करने से संतान की इच्छा रखने वाली महिलाओं की गोद भर जाती है. संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति यहां दूर-दूर से आते हैं.
मान्यता है कि जो भक्त माता की सच्चे मन से सेवा करता है, उसे रात के स्वप्न में माता का आशीर्वाद मिलता है और संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है.
माता अनुसूया की कथा
मान्यता है कि इस स्थान पर महर्षि अत्रि ने तपस्या की थी और उनकी पत्नी माता अनुसूया उनके साथ यहीं निवास करती थीं. माता अनुसूया की पतिव्रता धर्म और शक्ति की ख्याति तीनों लोकों में फैल गई थी. यह देखकर देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के मन में ईर्ष्या और क्रोध आ गया. वे देवी अनुसूया की सच्चाई और पवित्रता की परीक्षा लेना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने अपने-अपने पतियों-भगवान शिव, विष्णु और महेश को देवी अनसूया की परीक्षा लेने भेजा.
तीनों देवता एक साधु के वेश में अनुसूया माता के आश्रम के द्वार पर पहुंचे और भोजन मांगने लगे. लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि भोजन बिना वस्त्रों के परोसा जाए. यह सुनकर देवी अनुसूया चिंतित हो गईं, क्योंकि वे अतिथि का अपमान भी नहीं करना चाहती थीं और अपनी मर्यादा भी नहीं खोना चाहती थीं.
आखिरकार देवी अनुसूया ने आंखें बंद कीं और साधुओं के रूप में आए देवताओं को पहचान लिया. उन्होंने अपनी तपस्या और शक्ति से तीनों देवताओं को छोटे बच्चों में बदल दिया और फिर उन्हें गोद में लेकर बिना वस्त्रों के भोजन कराया.