फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक बहुत ही सुंदर कहानी से करते हैं जो अपने अंदर जीवन को बेहतर तरीके से जीने का एक महत्वपूर्ण सूत्र छिपाए हुई है। आशा करता हूँ आप सभी को यह बहुत पसंद आएगी।

पीटर आज बहुत ही खुश था और हो भी क्यूँ ना, जन्मदिन के दिन ही उसकी ना सिर्फ़ नई नौकरी लगी बल्कि उसकी लॉटरी भी खुल गई थी। पीटर ने अपनी ख़ुशी को सेलिब्रेट करने का निर्णय लिया और अपने क्षेत्र के सबसे बड़े रेस्टोरेंट में पहुँच गया और वहाँ मौजूद सभी लोगों को अपनी ख़ुशी में साझेदार बनाने के उद्देश्य से बोला, ‘दोस्तों, मेरा नाम पीटर है और आज मैं बहुत खुश हूँ। इसलिये सिवाय उस काले अफ़्रीकन के आप सभी का लंच मेरी तरफ़ से रहेगा।’ इतना कहकर उसने वेटर को बुलाया और उसने सबके भोजन बिल के पैसे दे दिए।

पैसे लेने के बाद वेटर ने सभी को लंच परोसा सिवाय उस काले अफ़्रीकन के। पीटर को लग रहा था शायद इस तरह वह उस अफ़्रीकन को नीचा दिखाकर चिढ़ाएगा या परेशान करेगा। लेकिन उसकी आशा के विपरीत अफ़्रीकन उठा और पीटर के पास आकर बोला, ‘बहुत-बहुत धन्यवाद सर!’ अफ़्रीकन का शालीनता भरा व्यवहार देखकर पीटर को बड़ा अटपटा लगा, बल्कि यह कहना ज़्यादा उचित होगा कि अफ़्रीकन की जगह पीटर ही भड़क गया, चिढ़ गया।

पीटर एक बार फिर अपने स्थान पर खड़ा हुआ और जोर से चिल्लाते हुए बोला, ‘वेटर, इस बार मैं इस रेस्टोरेंट में बैठे सभी साथियों के लिए अतिरिक्त भोजन एवं ड्रिंक्स ख़रीद रहा हूँ, सिवाय उस अफ़्रीकन के जो वहाँ कोने में बैठा है। वेटर पीटर के पास गया और उसे धन्यवाद बोलते हुए पैसे लिए और रेस्टोरेंट में बैठे सभी लोगों को ड्रिंक्स व अतिरिक्त भोजन परोसने लगा। सब लोग खुश होकर पीटर को धन्यवाद दे रहे थे लेकिन पीटर का तो ध्यान कहीं ओर ही था। उसने चिढ़ाने के उद्देश्य से अफ़्रीकन की ओर देखा लेकिन इस बार भी अफ़्रीकन ने चिढ़ने या परेशान होने के स्थान पर अपनी सीट पर खड़े होकर बहुत ही आदर के साथ धन्यवाद कहा।

उसको इतना शांत, खुश और अपने में मस्त देख पीटर बुरी तरह भड़क गया और अपनी सारी ख़ुशी को भूल वेटर के पास गया और उससे बोला, ‘वह अफ्रीकी इतना शांत क्यूँ है? कहीं वो पागल तो नहीं है? मैंने इस रेस्टोरेंट-बार में सभी के लिए भोजन ख़रीदा सिवाय उसके, लेकिन उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। उसके बाद मैंने सभी के लिए अतिरिक्त भोजन और ड्रिंक्स ख़रीदा सिवाय उसके, लेकिन इस बार भी उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। बल्कि दोनों बार उसने मुझे धन्यवाद कहा, मेरा आभार व्यक्त करा। क्या वो पागल है???’ पीटर की बात सुन वेटर मुस्कुराता हुआ बोला, ‘नहीं सर, वह पागल नहीं बल्कि इस रेस्टोरेंट का मालिक है!’

अक्सर दोस्तों हम भी पीटर के समान ही व्यवहार करने लगते हैं और बिना किसी ठोस वजह के अपना मूड या अपना मन ख़राब कर बैठते हैं। आईए, आज हम अपनी मनःस्थिति को बिगाड़ने वाली ऐसे ही कुछ स्थितियों को समझने और सुधार करने वाले 7 प्रमुख सूत्रों को समझते हैं -

पहला सूत्र - क्रोध अर्थात् ग़ुस्सा ना करें 
क्रोध या ग़ुस्सा सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको दर्द देता है, इससे दूर रहें। याद रखिएगा, अगर आप सहीं हैं तो नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं है और अगर आप ग़लत हैं तो आपको नाराज़ होने या ग़ुस्सा करने का कोई अधिकार नहीं है।

दूसरा सूत्र - धैर्य रखें 
परिस्थितियाँ कैसी भी क्यूँ ना हों, धैर्य रखना आपको और आपके जीवन को बेहतर बनाता है। अगर आप परिवार के साथ धैर्य रखते हैं तो परिवार में प्रेम उत्पन्न होता है। अगर आप समाज के साथ धैर्य पूर्वक व्यवहार करते है तो आप अपने अंदर दूसरों के लिए सम्मान का भाव पैदा करते हैं और अगर आप स्वयं के प्रति कठोर होने के स्थान पर धैर्य पूर्वक रहते हैं तो आप अपना आत्मविश्वास बढ़ाते है। इसी तरह प्रभु या ईश्वर के साथ धैर्य रखना हमारे विश्वास को मज़बूत करता है।
तीसरा सूत्र - शांत रहें 
परिस्थितियाँ कैसी भी हों उनमें स्वीकारोक्ति का भाव रखते हुए हर हाल में शांत रहना आपको विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में मोड़नें में मदद करता है। शांत रहने के लिए हमेशा याद रखें परिणाम या परिस्थिति आपके हाथ में नहीं है लेकिन उस पर आपकी प्रतिक्रिया, आपकी मनःस्थिति ही तय करेगी। शांति के साथ धैर्य रखना अक्सर आपके शत्रु से अनजाने में आपके पक्ष में कार्य करा लेता है।

आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम मनःस्थिति को सही रखें के 7 सूत्रों में से बचे हुए 2 सूत्र सीखेंगे-

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com