फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, हाल ही में अपनी व्यवसायिक यात्रा के दौरान मुझे अत्यधिक बारिश की वजह से एक बचपन के मित्र के घर रुकने का मौक़ा मिला। शुरुआती औपचारिक बातचीत व डिनर के दौरान मुझे पारिवारिक माहौल बहुत ही अच्छा लगा। परिवार के सब लोग आपस में प्यार के साथ इतना हंस-बोलकर  रह रहे थे मानो वे एक-दूसरे के लिए ही बने हों। मित्र को जब मैंने इतना अच्छा पारिवारिक माहौल बनाए रखने के लिए बधाई दी तो वह एकदम हताशा भरे स्वर में बोला, ‘भाई, यह सब तो बस दिखावा है। मैं स्वयं इस विषय में तुमसे बात करना चाहता था, घर में सभी लोगोंको एक-दूसरे से कुछ ना कुछ समस्या है। माँ, पत्नी और मेरी बेटी के बीच बिलकुल भी नहीं बनती है और यह सब आपस में कुत्तों के समान लड़ते हैं। समझ नहीं आता इनका क्या किया जाए, कैसे इन्हें समझाया जाए?’

मित्र की प्रतिक्रिया सुन मेरे पैरों के नीचे से तो ज़मीन ही सरक गई। मैं सोच रहा था जीवन मूल्य, संस्कार, प्यार और रिश्ता दिखावा है या अच्छा जीवन जीने के लिए एक आवश्यक तत्व? चलिए इस चर्चा को आगे बढ़ाकर अपना मत समझाने से पहले मैं आपको खेल की दुनिया में घटी एक घटना सुनाता हूँ। केन्याई धावक हाबिल मुताई फिनिश लाइन से कुछ ही मीटर की दूरी पर थे, लेकिन संकेतों से भ्रमित हो गए और यह सोचकर रुक गए कि उन्होंने दौड़ पूरी कर ली है। एक स्पेनिश व्यक्ति, इवान फर्नांडीज, उसके ठीक पीछे था और यह महसूस कर रहा था कि क्या हो रहा है, केन्याई को दौड़ते रहने के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। मुताई स्पेनिश नहीं जानता था और समझ नहीं पाता था।

क्या चल रहा था, यह महसूस करते हुए, फर्नांडीज ने मुताई को जीत की ओर धकेल दिया। प्रतियोगिता के पश्चात एक रिपोर्टर ने इवान से पूछा, ‘तुमने ऐसा क्यों किया?’ इवान ने उत्तर दिया, ‘मेरा सपना है कि एक दिन हम सभी एक साथ रहते हुए ऐसा जीवन जी सकें जहाँ हम दूसरे को पछाड़ते हुए आगे निकलने की जगह खुद को आगे बढ़ाते समय दूसरे को भी जीवन में आगे बढ़ने, जीतने में मदद कर सकें।’ रिपोर्टर शायद फर्नांडीज की बात की गहराई समझ नहीं सका और जोर देकर बोला, ‘लेकिन आपने केन्याई धावक को क्यों जीतने दिया?’ इवान ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘मैंने उसे जीतने नहीं दिया, वह पहले से ही जीत रहा था। अगर आप शुरू से देखेंगे तो पाएँगे कि आज की दौड़ उसकी थी।’ रिपोर्टर ने एक बार फिर अपना मत सामने रखते हुए प्रश्न किया, ‘लेकिन आप जीत सकते थे!’ पत्रकार के इस प्रश्न पर इवान गम्भीर हो गए और बोले, ‘लेकिन ऐसी जीत के क्या मायने होंगे? क्या कोई इस पदक का सम्मान करेगा? और इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण, मेरी माँ इस जीत के विषय में क्या सोचेगी?’

जी हाँ दोस्तों, ग़लत तरीक़ों से जीत हासिल करने से कहीं ज़्यादा बेहतर अपने जीवन मूल्यों का पालन करते हुए हारना क्यूँकि ऐसी हार में भी जीवन भर की जीत छुपी होती है। वैसे इस घटना से आपको मेरे पूर्व प्रश्न का उत्तर भी मिल गया होगा। मेरी नज़र में तो जीवन मूल्य, संस्कार, प्यार और रिश्ता निश्चित तौर पर अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यक तत्व है। दोस्तों जब आप इनका प्रयोग सिर्फ़ दिखावे के लिए करने लगते हैं तो जीवन से आत्मिक शांति, ख़ुशी और सुख, सब कुछ दूर चला जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आप और आपकी आने वाली पीढ़ी आत्मिक शांति, ख़ुशी और सुख के साथ जीवन जिए तो सबसे पहले जीवन मूल्यों, संस्कार और प्यार भरे रिश्तों को जीवन का आधार बनाएँ क्यूंकि यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो इनका ना होना सिर्फ़ आपका ही नहीं बल्कि आपकी आने वाली पीढ़ियों का जीवन बर्बाद करता है। इसलिए साथियों हर पल खुद पर नज़र रखें और बारीकी से देखें कि जीवन जीने, उसमें आगे बढ़ने के लिए आप किन मूल्यों का पालन कर रहे हैं या आप अपने बच्चों को कौन से मूल्य सिखा रहे हैं? क्या आप के मूल्य दूसरों को भी अपनी कमियों को दूर करते हुए जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं या फिर आप भी उनकी कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाकर सिर्फ़ अपनी भलाई सोचते हैं?

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com