फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, आपने अक्सर देखा होगा कई लोग अपने काम में माहिर होते हैं लेकिन उसके बाद भी वे अपने जीवन में उतने सफल नहीं हो पाते हैं। मैं ऐसे कई खिलाड़ियों को जानता हूँ जो प्रैक्टिस के दौरान अपनी क्षमताओं से कहीं आगे जाकर प्रदर्शन करते हैं और प्रैक्टिस के दौरान ज़रा सी भी गलती हो जाए तो उसे दूर करने के लिए घंटों अपना पसीना बहाते हैं, तब तक चैन से नहीं बैठते जब तक अपनी गलती को सुधार ना लें। इतना समर्पित रहने के बाद भी वे प्रतियोगिता में वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं जिसकी उम्मीद उन्होंने खुद से करी थी।

ऐसा भी नहीं है दोस्तों कि इस स्थिति का सामना सिर्फ़ खिलाड़ी ही करते हैं, इस तरह के लोग आपको हर क्षेत्र में नज़र आ जाएँगे, बल्कि मैं तो आपको यहाँ तक कह सकता हूँ कि आपके इनर सर्कल अर्थात् आपके परिवार, आपके ख़ास दोस्तों के बीच ही नज़र आ जाएँगे। आख़िर क्या वजह है दोस्तों कि प्रतिभा होने के बाद भी सफलता इन्हें कोसों दूर नज़र आती है। दोस्तों इसका सबसे बड़ा कारण आत्मविश्वास की कमी होना होता है। जी हाँ साथियों, यह लोग क़ाबिलियत होने के बाद भी, उस पर भरोसा ना कर पाने के कारण सफल नहीं हो पाते। क़ाबिलियत होने पर भी खुद पर भरोसा ना होने अर्थात् आत्मविश्वास की कमी होने के मेरी नज़र में तीन मुख्य कारण होते हैं।

पहला - सफल होने का दबाव
अक्सर किसी विशेष क्षेत्र में प्रतिभा रखने वाले बच्चे लीक से हटकर, समाज की धारणाओं से परे जाकर कार्य करते हैं। ऐसे में वे अपने निर्णय को सही सिद्ध करने के दबाव में रहते हैं। यही दबाव उनके प्रदर्शन पर असर डालता है। ऐसे लोगों को दोस्तों मैं एक छोटा सा सुझाव देना चाहूँगा, शुरुआत में जीतने के लिए नहीं बल्कि अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कार्य करें।

दूसरा - कुछ पीछे छूट जाने का एहसास या अपने निर्णय पर बार-बार प्रश्न उठाना
अगर बात खेल और खिलाड़ी के संदर्भ में की जाए तो अक्सर वे बहुत कम उम्र से ही अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए अधिक समय देने लगते हैं और अपने अन्य साथियों के समान पढ़ाई या अन्य कार्यों में बहुत अच्छे होने के बाद भी समय की ज़रूरत को देखते हुए, उनसे दूरी बना लेते हैं या उसमें कम समय देना शुरू कर देते हैं। ऐसे में उस क्षेत्र में धीरे-धीरे उनका प्रदर्शन प्रभावित होने लगता है और कुछ सालों बाद जब उनके साथी शिक्षा या दूसरे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए आगे निकलते प्रतीत होते हैं, तो वे पूर्व में लिए गए अपने निर्णयों पर प्रश्न उठाने लगते हैं। इस वक्त वे भूल जाते हैं कि सालों तक वे जिस क्षेत्र में खुद को तराश रहे हैं, उसमें उनका एक सही प्रदर्शन बाक़ी सभी के सालों के प्रयास पर भारी पड़ेगा। मेरी नज़र में यह मानसिक रूप से परिपक्व ना हो पाने की वजह से होता है।

तीसरा - दृष्टिकोण की वजह से एकाग्रता बरकरार ना रख पाना
मेरे गुरु कहते हैं, ‘सफलता, प्रतिभा की अपेक्षा दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर करती है।’ जी हाँ साथियों, मेरी नज़र में योग्यता होने के बाद भी सफल ना हो पाने का सबसे बड़ा कारण सही दृष्टिकोण का ना होना है।

तीनों कारणों को जानने के बाद सबसे बड़ा सवाल आता है कि योग्यता होने के बाद भी असफलता के चक्र से बाहर आकर सफल होने के लिए क्या किया जाए? तो मेरा मानना है दोस्तों, हमें सबसे पहले अपनी सोच बदलना होगी, हमें खुद को विश्वास दिलाना होगा कि हम अपनी प्रतिभा के बल पर सफल हो सकते हैं। जी हाँ, सफलता का राज हमारी सोच में छिपा हुआ है। अगर आपको लगता है कि आप अपनी प्रतिभा के बल पर सफल हो सकते हैं तो यक़ीन मानिएगा आप बिल्कुल सफल हो सकते हैं और अगर आपको लगता है कि सफलता अभी दूर है, तब भी आप सौ प्रतिशत सही हैं। इसलिए दोस्तों सफल होने के लिए हमें सबसे पहले, अपनी सोच और फिर अपने दृष्टिकोण को सही करना होगा।

याद रखिएगा, आपके अंदर आशा का दीप जलाए रखने में आपका दिमाग़ बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जबकि निराशाएँ अक्सर आपको विजेता बनने से रोक देती है। सफल होने के लिए साथियों हमें अपने आत्मविश्वास को हथियार बनाना होगा क्यूँकि आत्मविश्वास से निराशा को बहुत आसानी से दूर भगाया जा सकता है। आप जिस क्षेत्र में विशेष योग्यता रखते हैं आप उस क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। इसके लिए आपको बड़ी गम्भीरता के साथ, प्रतिभा के साथ जीवन में सफल होने के विषय में सोचना होगा। यदि आप मानसिक तौर पर खुद को जीत के लिए तैयार कर लेते हैं तो निश्चित तौर पर आप ज़रूरत के समय अपनी योग्यता के आधार पर अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए विजेता बन सकते हैं, सफल हो सकते हैं।

जी हाँ साथियों अपने मन, मस्तिष्क, सोच को जीतने के लिए तैयार करना हमें अपनी प्रतिभा के अनुसार श्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करता है और इसके लिए आप सुबह उठकर सकारात्मक पुष्टि अर्थात् पॉज़िटिव अफ़रमेशंस एवं ध्यान का सहारा ले सकते हैं। सकारात्मक पुष्टि एवं ध्यान द्वारा हम अपने मन में नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक सोच के बीज बो सकते हैं, अपने आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com