फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

आज सुबह अख़बार की एक खबर ने बड़ा विचलित करा, जिसमें लिखा था कि पति द्वारा 1 तारीख़ को बहार ले जाने का वादा ना निभा पाने पर एक नवविवाहिता ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। वह इस बात से नाराज़ थी कि पति ने उससे ज़्यादा अपने कार्य को महत्व दिया। दिल दहला देने वाली इस घटना ने अंदर तक झकझोर दिया। वैसे दोस्तों इस तरह की कई घटनाएँ आपको अपने आस-पास ही देखने को मिल जाएँगी जिसमें छोटे-मोटे कारणों से लोग खुद को या अपने क़रीबियों को बड़ी-बड़ी सजा दे रहे हैं।

इसकी वजह बताने से पहले मैं आपको कल की एक छोटी सी घटना और बता दूँ। कल मेरी बिटिया मुझसे बोली, ‘पापा, इस साल की शुरुआत बहुत अच्छी रही।’ मैंने उत्सुकता वश उसके ऐसा कहने की वजह पूछी तो वह बोली, ‘सप्ताहांत अर्थात् वीकेंड है ना पापा।’ शायद अब आप समझ गए होंगे कि मैंने वजह बताने के स्थान पर दूसरी घटना क्यूँ सुनाई। असल में दोस्तों, हममें से ज़्यादातर लोग जीवन की ऊहापोह में इस तरह उलझ गए हैं कि हमने असली जीवन को या यूँ कहूँ दिल को सुकून देने वाली बातों और कार्यों को अपनी छुट्टियों तक समेट दिया है। ऐसा शायद व्यवसायिक व्यस्तताओं, आभासी दुनिया, दिखावे की प्रवृति अथवा व दूसरों की बराबरी करने की चाह जैसे कारणों की वजह से हुआ है।

दोस्तों अगर आप वाक़ई में खुश, प्रसन्न, मस्त रहते हुए शांति के साथ जीवन जीना चाहते हैं तो आपको एक बात समझना होगी, जीवन बस इसी पल में है। इसलिए आप इस पल में जो भी करें, पूरी सतर्कता के साथ उसी पल में रहते हुए अपने जीवन की प्राथमिकताओं के अनुसार करें क्यूँकि हमारे जीवन में कई चीजें काँच के बर्तन के समान नाज़ुक होती हैं, जो एक बार टूट जाए तो फिर उसे जोड़ना लगभग नामुमकिन ही रहता है। आइए आज ऐसी 7 प्रमुख चीजों को पहचानने का प्रयास करते हैं-

1) आपका नाम : दोस्तों सोचकर देखिएगा, पुरातन काल के बाद किसी ने भी अपने बच्चों का नाम रावण, दुर्योधन, दुशासन, कंस, या या शकुनी रखा है? नहीं ना! पता है क्यों? क्यूँकि इन सभी नाम वाले लोगों के कर्मों ने इन नामों को ही ख़राब कर दिया और ऐसा नहीं है कि यह पुरातन काल में ही हुआ है। पुरानी हिंदी फ़िल्मों के खलनायक प्राण की भूमिकाओं को देखने के बाद किसी भी माँ ने अपने बच्चे का नाम प्राण नहीं रखा। इसीलिए हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, ‘धन-सम्पत्ति गई तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया, लेकिन यदि चरित्र गया तो सब कुछ गया।’ इसलिए दोस्तों अपने कर्मों पर बहुत पैनी नज़र रखें, यही आपके नाम को बना और बिगाड़ सकता है। एक अच्छा नाम आपके, आपके बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए क़िस्मत के दरवाज़े खोलता है।

2) आपका दिल : अक्सर दोस्तों नश्वर चीजों की चाह में हम अपने दिल, अपनी आत्मा की बली दे देते हैं। कई बार ऐसा कुछ लोगों के व्यवहार की वजह से भी होता है। यह स्थिति धीरे-धीरे आपके अंदर कड़वाहट बढ़ा देती है और आप धीरे-धीरे सब से कट कर स्व-केंद्रित होते जाते हैं।

अगर आप खुलकर अपना जीवन जीना चाहते हैं तो आपको दिल और आत्मा को नुक़सान पहुँचाने वाले लोगों और कार्यों से दूरी बनानी पड़ेगी, अपने दिल और आत्मा को ऐसे घावों से बचाना पड़ेगा। जी हाँ दोस्तों, पूर्ण रूप से जीने के लिए आपको पूर्ण हृदय और आत्मा की आवश्यकता होगी।

3) आपका उद्देश्य : जिस तरह बिना गोल पोस्ट वाले मैदान में खेले गए फ़ुटबॉल मैच का निर्णय नहीं निकाला जा सकता है, ठीक उसी तरह, बिना उद्देश्य के जीवन नहीं जिया जा सकता है। दोस्तों, मेरी नज़र में हमारे जीवन का उद्देश्य ही हमारा भाग्य है क्यूँकि उद्देश्य हमारे जीवन को दिशा देकर, उन चीजों को पाने में मदद करता है, जो हमें सुख दे सकती है।

उद्देश्य से भटकना या उसे भूलना अकसर हमें निराशा, धन की कमी, चिंताओं के क़रीब ले जाता है क्यूँकि उद्देश्य का छूटना, भाग्य का रूठना होता है। इसलिए दोस्तों किसी भी चीज़, घटना या व्यक्ति को अपने उद्देश्य को चुराने की इजाज़त ना दें, उसे सावधानी पूर्वक साथ लेते हुए जीवन में आगे बढ़ें।

4) आपका स्वास्थ्य : इस दुनिया में अगर कोई आपका सच्चा साथी है, तो वह आपका शरीर है क्यूँकि जीवन की अंतिम साँस तक सिर्फ़ यही हमारा साथ निभाने वाला है और दूसरी बात जब तक आप स्वस्थ हैं, तभी तक आप आप अपने मन का कर पाते हैं। इसलिए दोस्तों हमें इसे बड़ी सावधानी से सम्भालना होगा अन्यथा हम समय से पहले ही मिट सकते हैं।

स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ हवा, पानी और भोजन के साथ शरीर के देखभाल की आवश्यकता है। कुछ भी सिर्फ़ इसलिए मत खाओ क्योंकि वह खाने योग्य है और इसी तरह कुछ भी सिर्फ़ इसलिए मत पीओ क्योंकि वह स्वादिष्ट है। खाने-पीने से पहले हमेशा विचार करें कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए कैसा है? स्वयं को हर उस चीज़ से बचाओ, जो आपके स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचा सकती है।

आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम खुलकर जीने के लिए आवश्यक उन तीन चीजों को पहचानने की कोशिश करेंगे, जिन्हें हमें हर हाल में टूटने से बचाना है।
 
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com