फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों अगर बच्चों का लालन-पालन ठीक से ना किया जाए तो उनका अपने जीवन में शीर्ष पर पहुँचना बहुत मुश्किल है, फिर भले ही माता-पिता अपने कैरियर में बड़े से बड़े मुक़ाम पर क्यूँ ना हो। मेरी नज़र में यह फ़र्क़ बच्चों में शिष्टाचार होने या ना होने से आता है। जी हाँ साथियों, आपके पद, पैसे, प्रभाव, शिक्षा आदि से ज़्यादा आपके द्वारा बच्चों को दिए गए संस्कार या शिष्टाचार, उसे जीवन में सफल बनाते हैं। लेकिन अक्सर बच्चों के लालन-पालन के दौरान हम ऐसी छोटी-मोटी चूक कर जाते हैं, जो उन्हें अपने जीवन में सफल होने से रोक देती है। कल तक हमने ऐसी 25 चूकों में से 20 चूकों पर चर्चा की थी। आइए अब हम अंतिम 5 चूक सीखने से पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं-

1) बच्चों के सामने उसके शिक्षक या पालक से अनुचित व्यवहार करना
2) कैज़ूअल कपड़ों में विद्यालय जाना और शिक्षकों से मिलना
3) बच्चों के समक्ष अभद्र भाषा या अपशब्दों का प्रयोग करना
4) छोटे बच्चों को अभद्र अर्थात् इनडिसेंट कपड़े पहनाना या अत्यधिक मेकअप करना
5) बच्चे के समक्ष काँच के सामान, क्रॉकरी, डिजिटल उत्पादों का सही तरीके से रखरखाव ना करना
6) बच्चों के सामने लोगों को यथायोग्य सम्मान ना देना
7) बच्चों को उन चीजों के घर लाने पर ना टोकना जो आपने उन्हें नहीं दिलवायी हैं
8) बच्चों के सामने बड़ों का सम्मान ना करना उन्हें पलटकर जवाब देना
9) बच्चों द्वारा वयस्कों के संवाद के दौरान बार-बार टोकना   
10) बच्चों के समक्ष अपने सहयोगियों या हेल्पर का सम्मान ना करना

चलिए दोस्तों अब हम सामान्य जीवन में की जाने वाली अगली दस चूकों को समझने का प्रयास करते हैं-

11) मददगारों को धन्यवाद ना कहना
व्यस्तता अथवा अपनी पोज़ीशन की वजह से अपने मददगारों को धन्यवाद ना कहना बच्चों को, हर बात को ग्रांटेड लेना सिखाता है। इसे ‘इट्स कूल’ कहकर नज़रंदाज़ करना बच्चों को मानवीय दृष्टिकोण या दूसरों की वैल्यू करना सीखने से रोक देता है।

12) मदद ना करना
जरूरतमंदों की मदद ना करना बच्चों को दयालु या समाज के प्रति उत्तरदायी होने से रोककर, भावनात्मक रूप से मज़बूत बनने से रोकता है।

13) हाइजीन ना रखना
बच्चों को साफ़-सफ़ाई या बेसिक हाइजीन से रहना सिखाने का सर्वोत्तम तरीक़ा है स्वयं हाइजीन के साथ रहना प्रारम्भ कर दें, बच्चों को इसकी आदत अपने आप पड़ जाएगी।

14) बच्चों द्वारा बिना अनुमति के सामान लेना
अगर बच्चा आपकी अनुमति के बिना फ़्रिज, टेबल या अन्य कहीं से सामान ले रहा है तो इसका अर्थ है वह चीजों को ‘टेकन फ़ोर ग्रांटेड’ लेना सीखकर, मतलबी बनता जा रहा है।

15) बिना नॉक किए कमरे में आना
बिना नॉक किए कमरे में आने की आदत बच्चों को निजता का सम्मान करना नहीं सिखा पाती है, इसे तुरंत बदलें।

16) अपनों से बड़ों के कार्यों में हाथ बटाना
बड़ों के कार्यों में हाथ बँटाकर आप बच्चों में समानुभूति अर्थात् एमपैथी का भाव विकसित कर सकते हैं, जो उन्हें इंसानियत सिखाता है।

17) हर कार्य के बदले में उपहार की आस रखना
हर कार्य के बदले उन्हें पारितोषिक (या रिश्वत) देना, उन्हें लालची और मतलबी बनाता है, इससे बचें।

18) आलोचना, निंदा तथा शिकायत करना छोड़ें
हमेशा आलोचना, निंदा तथा शिकायत वाले माहौल में रहना बच्चों को हर कार्य में नकारात्मकता ढूँढना सिखाकर, आपकी समझाइश को गम्भीरता से ना लेना सिखाता है। इसके स्थान पर सकारात्मकता को ध्यान में रखते हुए एप्रीशिएट करना उनमें लीडरशिप क्वालिटी विकसित करता है।

19) बच्चों के सामने झूठ बोलने, हेराफेरी करने अथवा बातों या लोगों को घुमाने-फिराने से बचें
झूठ, हेराफेरी या लोगों को टालते देख बच्चे सफलता के लिए शॉर्टकट लेना सीखते हैं, जो उनका भविष्य बर्बाद कर सकता है। इसके स्थान पर सच्चाई का साथ देना उन्हें सही क़ीमत पर सफल होना सिखाता है।

20) मेहमान और आगंतुकों का सम्मान करें
समाज के प्रति नरम रवैया रखना सिखाने के लिए घर पर आने वाले मेहमानों या आगंतुकों से सम्मान भरा व्यवहार करें। ऐसा करना उन्हें पद या पैसे से ज़्यादा इंसानों की क़ीमत करना सिखाता है।

चलिए दोस्तों अब हम सामान्य जीवन में पालकों द्वारा की जाने वाली अंतिम 5 चूकों को सीखते हैं-

21) बच्चों के सामने ग़ुस्से का प्रदर्शन करना
अगर आप बच्चे के सामने असंयमित भाषा, शारीरिक भाषा जैसे उँगलियाँ उठाकर बात करना आदि से बार-बार अपने ग़ुस्से का प्रदर्शन करते हैं तो बच्चा भी आक्रामक रवैया अपनाने लगता है, इससे बचें।

22) बच्चे को सही या ग़लत ठहराने के स्थान पर उसके द्वारा किए गए कार्य को सही या ग़लत ठहराएँ
अगर आप बात-बात पर बच्चे को उसकी ग़लतियों के लिए टोकते हैं या उसकी विशेष योग्यता की अत्यधिक तारीफ़ करते हैं, जैसे, तुम कब समझदारी से काम करना सीखोगे या मेरा बेटा तो गुड बॉय है आदि तो इसे तुरंत बंद कर दें। बच्चे को सही या ग़लत, अथवा अच्छा या बुरा ठहराने के बजाय उसके कार्य को सही या ग़लत ठहराएँ। यह आपके निष्पक्ष भाव को प्रदर्शित करते हुए उसे सही या ग़लत समझने में मदद करेगा।

23) प्रार्थना करना और आभारी रहना सिखाएँ
घर में बुजुर्गों या किसी भी अन्य के द्वारा की जाने वाली प्रार्थना के दौरान परिवार के सभी लोग भाग लें। अगर आपका बच्चा 4-10 साल का है और इस दौरान खेलना या मस्ती करना चाहता है तो भी उसे रोकते हुए प्रार्थना में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। इससे वह समय के साथ प्रार्थना के महत्व को सीखेगा। इसी तरह उसे प्राप्त भौतिक या अलौकिक चीजों के लिए आभारी रहना सिखाएँ।

24) अभिवादन करना सिखाएँ
घर आने वाले सभी आगंतुकों का अभिवादन करने के साथ ही परिवार में सभी लोग सुबह उठकर एक-दूसरे का अभिवादन करें। इससे बच्चा कम उम्र में ही इस आदत को अपना लेगा और विनम्र स्वभाव को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लेगा।

25) देशप्रेम सिखाएँ  
जिस तरह हम अपने परिवार या परिचितों से प्रेम भाव रखते हैं उसी तरह हमें अपने देश से भी प्रेम करना चाहिए। आज हमें जो कुछ भी मिल पा रहा है इस धरती माँ अर्थात अपने देश से मिल पा रहा है इसके लिए आभारी रहने के साथ, इससे प्रेम करना, इसके लिए अपना सर्वस्व देना सिखाना आवश्यक है तभी वे अपने जीवन में स्वतंत्रता के साथ सब कुछ भोग पाएँगे।

दोस्तों बच्चों को काल्पनिक दुनिया में खुश रखने से बेहतर है, हक़ीक़त का सामना करवाकर आज रोने देना क्यूँकि आज तो स्थितियों से निपटने के लिए आप उनके साथ खड़े हैं। अगर आप इससे उन्हें आज बचाएँगे तो वे भविष्य में ज़्यादा रोएँगे और आपको दुखी करेंगे। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे अपमान की जगह सम्मान घर लेकर आएँ तो आपको आज पालक के रूप में शिष्टाचार आधारित, बेहतर रवैया सुनिश्चित करना पड़ेगा।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com